थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ

गाना - आज तो बिजलियाँ गिराने की शाम है
फिल्म - थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ 
संगीतकार -भास्कर चंद्वारकर 
गीतकार - कमलेश पाण्डेय 
गायक -उषा रेजे, मीना ताड़कर, शिल्पी सेनगुप्ता, नूतन सेनगुप्ता, सगारका मुखर्जी 



मेहमान सब आते ही होंगे
जल्दी से निपटा लो जो काम है
आज की शाम ना बरबाद करो
आज तो बिजलियाँ गिराने की शाम है

ज़रा ठहरो ज़रा ठहरो, सँभालो अपना गजरा
लगा तो लो आँखों में काली घटा का कजरा
आय हाय हाय हाय
आज तो बिजलियाँ ...

अरी कलमुँही मेरी बूँद लगा दे
कोई मेरी लिपस्टिक का रंग तो मिला दे
मेरा जुड़ा खिसका, मेरा आँचल बहका
हाय!
तेरी चोली की हुक मेरे बालों में फँसी
मेरी क्लिप हुई गुम तुझे आती है हँसी!
अपने सैंया को बुला ले
अपनी क्लिप ढुँढ़वा ले
अपना बूँदा लगवा ले
अपनी चोली कसवा ले
ले ले हाय हाय
आज तो बिजलियाँ ...

ऐ पलटन! शादी तुम्हारी है कि लोपा की?

ओ दीदी! तुम न समझोगी!
बिन्नी दीदी! तुम न जानोगी!
तुम्हें क्या पता कि एक ही शादी में कितनी निगाहें चार होती हैं?
शादी सहेली की हो या हो किसीकी
कितने छुप छुप के वार होते हैं?
कैसे लड़के पटाए जाते हैं
कितने दुल्हे फँसाए जाते हैं!
इस लिये ऐ शरीफ़ लड़कियों, चलो,
अपने हुस्न का तूफ़ान लेकर!
इस पार हम लड़कियों की क़तारें हैं
और उस पार? सब के सब कुँवारे हैं!

हाय हाय हाय हाय
आज तो बिजलियाँ गिराने की शाम है
शाम है..

बिन्नी दीदी, तुम हम सब से बड़ी हो
पर शादी के मैदान में कब से अकेली खड़ी हो!
इस लिये हमारी मान लो
वरना यूँ ही रह जाओगी, ये जान लो!


गाना - चाँदनी रात भर जगायेगी
गायक - छाया गांगुली 


चाँदनी रातभर जगायेगी
आज फिर नींद नहीं आयेगी
चाँदनी रात..

कैसी है ये अजीब सी तन्हाई
नींद क्या मेरा घर भूल गयी?
हर चहरा सवाली लगता है
भरा हुआ घर खाली लगता है

मेरे क़दमों से लिपटी बेचैनी
आज जाने कहाँ ले जायेगी

चाँदनी रात
चाँदनी रातभर जगायेगी
आज फिर नींद नहीं आयेगी
चाँदनी रात

मेरे पास क्या है जो कोई आयेगा
मुझे देखेगा और रुक जायेगा
फिर क्या कोई नहीं आयेगा?
अब यहाँ कोई नहीं आयेगा?

ये किसका इन्तज़ार है मुझे
किसके आने की ख़बर लायेगी

चाँदनी रात
चाँदनी रातभर जगायेगी
आज फिर नींद नहीं आयेगि
चाँदनी रात



गाना - थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
गायक - छाया गांगुली 

बादलों का नाम न हो, अम्बर के गाँवों में
जलता हो जँगल खुद अपनी छाँव में
यही तो है मौसम
तुम और हम
बादलों के नग़में गुनगुनाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं

मुश्किल है जीना
उम्मीद के बिना
थोड़े से सपने सजाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं

रासता अकेला हो, हर तरफ़ अंधेरा हो
रात भी हो घात की, दिन भी लुटेरा हो
यही तो है मौसम
आओ तुम और हम
यही तो है मौसम
आओ तुम और हम
दर्द को बाँसुरी बनाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं

मुश्किल है जीना
उम्मीद के बिना
थोड़े से सपने सजाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं


गाने सुनने के लिए यहाँ या यहाँ 

डोली सजा के रखना

गाना - बोल सजनी मोरी सजनी 
फिल्म - डोली सजा के रखना 
संगीतकार - ए. आर. रहमान
गीतकार - महबूब 
गायक - सोनु निगम, कविता कृष्णमुर्ती


बोल सजनी मोरी सजनी
ढंग जहाँ का कितना बदला
रंग मोहब्बत का ना बदला
चलन वफ़ा का है बस वैसा
सदियों से ही था वो जैसा
प्यार का दीवानापन है वो ही
ओ सजना कह दे प्यार के बोल ज़रा तू भी
सजनी रे सजनी रे एक तू ही जहाँ में है अनमोल
आजा रे मेरी बाँहों में तू डोल
सजनी रे सजनी रे एक तू ही जहाँ में है अनमोल
आजा रे मेरी बाँहों में तू डोल
बोल सजनी मोरि सजनी

जीने का बहाना है ये प्यार साथ
सपना सुहाना है ये प्यार साथी
संग मेरे साथी चल
धरती चली है जैसे आसमाँ संग
परबत है कहीं पे घटा संग
कहीं धुंध में हम हों जायें ओझल चल
ज़माने की आँखों से बच के


नैनों में एक दूजे के छुप के
बितायें दो पल हम चुपके चुपके
बोल सजन मोरे सजना बोल सजन मोरे सजना
ढंग जहाँ का कितना बदला
रंग मोहब्बत का ना बदला
चलन वफ़ा का है बस वैसा
सदियों से ही था वो जैसा
प्यार का दीवानापन है वो हि
ओ सजना कह दे प्यार के बोल ज़रा तू भी
सजनी रे सजनी रे एक तू ही जहाँ में है अनमोल
आजा रे मेरी बाँहों में तू डोल

सदियों पुरानी ये रीत रही है
जब भी दिलों में कहीं प्रीत हुई है
दुश्मन हुई ये दुनिया
डरा नहीं ज़ुल्मों से इश्क़ भी पर
तलवारों पे रख दिया सर
ज़ंजीरें भी टूटीं ये दुनिया भी हारी
वफ़ा का हम भी थामे परचम
जियेंगे जब तक तुम\-हम
मिल बाँट लेंगे ख़ुशी हो या ग़म
बोल सजनी मोरी सजनी
ढंग जहाँ का कितना बदला
रंग मोहब्बत का ना बदला
चलन वफ़ा का है बस वैसा
सदियों से ही था वो जैसा
प्यार का दीवानापन है वो हि
ओ सजना कह दे प्यार के बोल ज़रा तू भी
सजनी रे सजनी रे एक तू ही जहाँ में है अनमोल
आजा रे मेरी बाँहों में तू डोल
बोल सजनी मोरी सजनी




गाना - चल खेवा रे खेवा नैया खेवा 
गायक - सुखविंदर सिंह, रानू मुखर्जी 


खेवा खेवा हो खेवा हो खेवा
खेवा रे खेवा खेवा रे खेवा खेवा रे खेवा नैया रे
चल खेवाअ रे खेवा खेवा रे खेवा खेवा रे खेवा नैया रे
चल खेवा रे खेवा नैया खेवा मछली है सागर का मेवा
और भी देगा देवा देवा मेवा देवा

जल थल जल है चंचल मौजें ये बेकल
कोशिश कर आगे चल बोले ये हर पल
चल खेवा रे खेवा नैया खेवा मछली है सागर का मेवा
और भी देगा देवा देवा मेवा देवा

हमने सागर में खेला है मौत से आँख मिचोली
इसने ही तो बताया है कीमत ज़िंदगी की
इसके जितने बड़े इरा.दे हैं फिरते नहीं हैं ज़ुबाँ से हम
मोती भी जैसे हैं दौलत इस सागर की
हिम्मत भी वैसे ही है दौलत अपने दिल की
सागर जितना गहरा उतना दिल अपना
खेवा रे खेवा रे नैया खेवा मछली है सागर का मेवा
और भी देगा देवा देवा मेवा देवा
चल खेवा रे खेवा रे नैया खेवा मछली है सागर का मेवा
और भी देगा देवा देवा मेवा देवा

खेवा रे खेवा खेवा रे खेवा खेवा रे खेवा नैया रे
चल खेवा रे खेवा खेवा रे खेवा खेवा रे खेवा नैया रे

इश्क़ भी है समंदर तो दिल की कश्ती चला दो
साथी हम सा हसीं हो और माझी तुम सा जवाँ हो
फिर नीले-नीले अम्बर के साये में बहते जायें यहाँ-वहाँ हम
डूबने मत देना तुम पर कश्ती अपने दिल की
तूफ़ाँ से टकरा लूँ उम्मीदें हों साहिल की
मुश्किल की सुन ही आसानी है साहिबा
चल खेवा रे खेवा रे नैया खेवा मछली है सागर का मेवा
और भी देगा देवा देवा मेवा देवा


गाना -  झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे
गायक - साधना सरगम, श्रीनिवास 

झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे
भैया गोद में उठाओ न आज मुझे
कद से हूँ बड़ी मन से छोटी मैं आज भी मान लो ज़िद मेरी

झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे
भैया गोद में उठाओ न आज मुझे
कद से हूँ बड़ी मन से छोटी मैं आज भी मान लो ज़िद मेरी
झूला झूला झूला झूला

तू ख़ुशी तू क़रार तू बहार है
दम से तेरे ही तो घर पे निखार है
तू ख़ुशी तू क़रार तू बहार है
दम से तेरे ही तो घर पे निखार है

मैं शोर शराबा धूम करूँगी ठुमक-ठुमक नाचूँगी
चंचल कोयल के जैसे मैं तो चहक-चहक जाऊँगी
सारे रंग धनक के मैं चुरा लूँगी
हो सारे रंग धनक के मैं चुरा लूँगी
हो तारे फ़लक के तोड़ लाऊँगी
छुप-छुप मेरी हँसी ना उड़ाना
झूला बाँहों का आज भी
झूला झूला झूला झूला

झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे
भैया गोद में उठाओ न आज मुझे
कद से हूँ बड़ी मन से छोटी मैं आज भी मान लो ज़िद मेरी
झूला बाँहों का आज भी

तू ख़ुशी तू क़रार तू बहार है
दम से तेरे ही तो घर पे निखार है

इक नहीं दो नहीं तीन हैं भाई
तीनों जैसे मेरे सिपाही
मेरी शरारत मेरी तबाही बचा ले ख़ुदा
लेकिन इनका ग़ुस्सा ऐसा गड़गड़ गरजें बादल जैसा
फिर बर्सायें प्यार भी वैसा ओ मेरे ख़ुदा
मोती हूँ मैं इन आँखों का फूल हूँ इनके बाग का
झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे
भैया गोद में उठाओ न आज मुझे
कद से हूँ बड़ी मन से छोटी मैं आज भी मान लो ज़िद मेरी
झूला झूला झूला झूला

झूला बाँहों का आज भी दो ना मुझे
भैया गोद में उठाओ न आज मुझे

तू ख़ुशी तू क़रार तू बहार है
दम से तेरे ही तो घर पे निखार है



गाना - ओ किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का
गायक - श्रीकुमार, अनुराधा पौडवाल


ओ किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का 
ख़त में सजा के फूल हम प्यार का 
लफ़्ज़ों में लिख देंगे अपना ये हाल-ए-दिल 
देखेंगे क्या जवाब आता है फिर यार का 


किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का 
ख़त में सजा के फूल हम प्यार का 
लफ़्ज़ों में लिख देंगे अपना ये हाल-ए-दिल 
देखेंगे क्या जवाब आता है फिर यार का

किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का 
ख़त में सजा के फूल हम प्यार का

दिल का दीवानापन कहता है ये सजन 
क़दमों में आपके लुटा दूँ अपनी जाअँ 
जान हमारी हो जाँ से भी प्यारी हो 
आपके प्यार की तो दिल में है जगह 


दिल में ही बसा के रखना तुम सदा 
हम तो ना छोड़ेंगे ये साथ कभी दिलदार का 
किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का 
ख़त में सजा के फूल हम प्यार का 
लफ़्ज़ों में लिख देंगे अपना ये हाल-ए-दिल 
देखेंगे क्या जवाब आता है फिर यार का

किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का 
ख़त में सजा के फूल हम प्यार का

चंदा सा चेहरा जब याद आता है जब 
दिन में भी छा जाता है रात का समाँ
रातें बेहाल हैं सोना मुहाल है 
आँखों में आप हैं जी नींदें हैं कहाँ 

मेरी भी निगाहों का अब सुन ले सवाल 
पूछती हैं कब आयेगा फिर मौक़ा तेरे दीदार का 
किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का 
ख़त में सजा के फूल हम प्यार का 
लफ़्ज़ों में लिख देंगे अपना ये हाल-ए-दिल 
देखेंगे क्या जवाब आता है फिर यार का

किस्सा हम लिखेंगे दिल-ए-बेक़रार का 
ख़त में सजा के फूल हम प्यार का 


गाना - ये  खोया-खोया रहता है
गायक - बाबुल सुप्रियो, श्रीनिवास 


ये खोया-खोया रहता है ये दिन में सोया-सोया रहता है 
ये रातों को उठ-उठ  के रोता है, यही गाता है वो ले गई दिल 
तरम पम तरम पम तरम पम चलो उसको ढूँढेंगे हम 
परी है वो है हूर कोई जो ढाया है इतना सितम 
नहीं वो तो कुछ और ही है कहें क्या यारो तुमसे हम 
तरम पम तरम पम तरम पम चलो उसको ढूँढेंगे हम


इतनी हसीनों में छुपी एक ऐसी हसीना है 
कि मोती सीप में हो जैसे अँगूठी में हो नगीना कोई वो 
देखा है तुमने कहो क्या उसको 
जैसे नगीना कोई वो 
देखा है तुमने कहो क्या उसको
तरम पम तरम पम तरम पम चलो उसको ढूँढेंगे हम 
परी है वो है हूर कोई जो ढाया है इतना सितम 
नहीं वो तो कुछ और ही है कहें क्या यारो तुमसे हम ) \-४

दूध सी रंगत है धुली है चँदनी से जैसे 
कंवल के जैसी नज़ाक़त है 
करिश्मा है वो ख़ुदाई का जो देखा है तुमने कहो क्या उसको 
जैसे करिश्मा है वो देखा है तुमने कहो क्या उसको
तरम पम तरम पम तरम पम चलो उसको ढूँढेंगे हम 
परी है वो है हूर कोई जो ढाया है इतना सितम 

वो सुबह का तारा है हाँ वो क़िस्मत से हमारा है 
ओ यारो डोलि सजा के रखना है उसे बनना है मेरी दुल्हन 
तरम पम तरम पम तरम पम चलो उसको ढूँढेंगे हम 
परी है वो है हूर कोई जो ढाया है इतना सितम 
नहीं वो तो कुछ और ही है कहें क्या यारो तुमसे हम 
तरम पम तरम पम तरम पम चलो उसको ढूँढेंगे हम 


अट्ठन्नी सी ज़िंदगी

गाना - कभी चाँद की तरह टपकी ... अट्ठन्नी सी ज़िंदगी 
फिल्म - जहाँ तुम ले चलो 
संगीतकार - विशाल 
गीतकार -गुलज़ार 
गायक - हरीहरन


कभी चाँद की तरह टपकी, कभी राह में पड़ी पाई
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी
कभी चींक की तरह खनकी, कभी जेब से निकल आई
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी

कभी चेहरे पे जड़ी देखी, कहीं मोड़ पे खड़ी देखी
शीशे के मरतबानों में, दुकान पे पड़ी देखी
चौकन्नी सी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी   ...

तमगे लगाके मिलते है, मासूमियत सी खिलती है
कभी फूल हाथ में लेकर, शाख़ों पे बैठी हिलती है
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी   ...

सातवां आसमान

गाना - तुम क्या मिले जान-ए-जाँ प्यार ज़िंदगी से हो गया
फिल्म - सातवां आसमान
संगीतकार -राम लक्षमण
गीतकार - सूरज सनीम
गायक - लता मंगेशकर, उदित नारायण


तुम क्या मिले जान-ए-जाँ प्यार ज़िंदगी से हो गया
अजी इज़्ज़त अफ़ज़ाई का शुक्रिया शुक्रिया
इस नाचीज़ को आपने क़ाबिल तो समझा
तुम क्या मिले जान-ए-जाँ प्यार ज़िंदगी से हो गया
तुम क्या मिले जान-ए-जाँ प्यार ज़िंदगी से हो गया

हम तो ये समझे थे कहानी ख़त्म हुई
नाज़ हमें था जिसपे जवानी ख़त्म हुई
हम तो ये समझे थे कहानी ख़त्म हुई
नाज़ हमें था जिसपे जवानी ख़त्म हुई

तेरा मेरा ये सामना, नई इत्तिफ़ाक़ी इब्तिदा
तुम क्या मिले जान-ए-जाँ प्यार ज़िंदगी से हो गया

सबसे अलग लाए हैं लिखवा के तक़दीरें
तोड़ के हम रख देंगे रस्मों की ज़ंजीरें
सबसे अलग लाए हैं लिखवा के तक़दीरें
तोड़ के हम रख देंगे रस्मों की ज़ंजीरें
डरने से क्या फ़ायदा लिखें हम नया क़ायदा

तुम क्या मिले जान-ए-जाँ प्यार ज़िंदगी से हो गया
अजी इज़्ज़त अफ़ज़ाई का शुक्रिया शुक्रिया
इस नाचीज़ को आपने क़ाबिल तो समझा
तुम क्या मिले जान-ए-जाँ प्यार ज़िंदगी से हो गया


गाना - सोचा तुम्हें खत लिखूं 
गायक -उदित नारायण 


सोचा तुम्हें खत लिखूं
पर मन ही मन मैं डरती हूँ
तुम खत को पढ़ ना पाओगे
इस खत को फाड़ डालोगे

सोचा तुम्हें खत लिखूं
पर मन ही मन मैं डरता हूँ

रूठूंगी मैं तुम मनाओगे रूठोगे तुम मैं मनाऊंगी
उम्र जो थोड़ी सी बाकी है आंसुओं में बीत जाएगी
इतनी फ़ुर्सत तो ऐ मेरी जां जान देकर भी न पाऊंगी
सोचा तुमसे आ कर मिलूं
पर मन ही मन ...

सोचा टेलेफोन करूं
पर मन ही मन मैं डरता हूँ
हेल्लो तुम कह न पाओगी

पहले मैं मरने से डरता था तुमने जीना मुझको सिखलाया
तुम आईं तो सूने जीवन में जैसे कोई चाँद निकल आया
हाय ये खिलता पागलपन हर खुशी को मैने ठुकराया
सोचा तुमसे आ कर मिलूं
पर मन ही मन ...

सपने

फिल्म - सपने
संगीत - ए.आर.रहमान
गीत - जावेद अख्तर
गायक -  हरिहरन, साधना सरगम
गाना - चंदा रे चंदा रे

चंदा रे चंदा रे
कभी तो ज़मीं पर आ
बैठेंगे, बातें करेंगे
तुझको आते इधर, लाज आये अगर
ओढ़ के आजा, तू बादल घने

गुलशन-गुलशन, वादी-वादी
बहती है रेशम जैसी हवा
जंगल-जंगल, पर्वत-पर्वत
हैं नींद में सब इक मेरे सिवा
चंदा, चंदा
आजा सपनों की नीली नदिया में नहायें
आजा ये तारे चुनके हम, घार बनाएँ
इन धुँधली-धुँधली राहों में, आ दोनों ही खो जाएं
चंदा रे चंदा रे…

चंदा से पूछेंगे हम सारे सवाल निराले
झरने क्यों गाते हैं, पंछी क्यों मतवाले
क्यों है सावन महीना घटाओं का
चंदा से पूछेंगे हम सारे सवाल निराले
चंदा, चंदा
तितली के पर क्यों इतने रंगीं होते हैं
जुगनू रातों में जागे, तो कब सोते हैं
इन धुँधली-धुँधली राहों में, आ दोनों ही खो जाएं
चंदा रे, चंदा रे…'



गाना - आवारा भंवरे 
गायक - हेमा सरदेसाई, मलेशिया वासुदेवन

आवारा भँवरे जो हौले हौले गाएँ
फूलों के तन पे हवा ये सरसराये
कोयल की कुहू कुहू
पपीहे की पिहू पिहू
जंगल में झींगुर भी छाये जाये
नदियाँ में लहरें आयें
बलखायें छलकी जायें
भीगी होंठों से वो गुनगुनाएं
गाता है साहिल, गाता है बहता पानी
गाता है ये दिल सुन
सा रे गा मा पा धा नि सा रे

रात जो आये तो, सन्नाटा छाये तो
टिक-टिक करे घड़ी सुनो
दूर कहीं गुज़रे, रेल किसी पुल से
गूँजे धड़ाधड़ी सुनो
संगीत है ये, संगीत है
मन का संगीत सुनो
बाहों में लेके बच्चा, माँ जो कोई लोरी गाये
ममता का गीत सुनो
आवारा भँवरे…

भीगे परिन्दे जो, ख़ुद को सुखाने को
पर फड़फड़ाते हैं सुनो
गाय भी, बैल भी, गले में पड़ी घंटी
कैसे बजाते हैं सुनो
संगीत है ये, संगीत है
जीवन संगीत सुनो
बरखा रानी बूँदों की
पायल जो झनकाये
धरती का गीत सुनो
हिलको रे, हिलको रे…
आवारा भँवरे…



गाना - रौशन हुई रात
गायक - अनुराधा श्रीराम 

रौशन हुई रात, वो आसमान से उतरके ज़मीं पे आया
रौशन हुई रात, मरियम का बेटा, मुहब्बत क संदेश लाया

दुनिया में वो महरबाँ, साथ लाया सच्चाई के उजाले
दुनिया में बनके मसीहा वो आया, कि हमको दुःखों से बचा ले
रौश्न हुई रात   ...

वो आया सीने से उनको लगाने को हैं यहा.ं बेसहारे
वो आया बाहों में उनको छुपाने जो हैं यहा.ं ग़म के मारे

रौशन हुई रात जब जगमगाया पूरब गगन का सितारा
रुशन हुई रात हुक़्म\-ए\-ख़ुदा से मरियम ने येसू पुकारा
रौशन हुई रात   ...



गाना - स्ट्राबेरी आँखें  सोचती क्या हैं 
गायक - के.के, कविता पौडवाल 

स्ट्रॉबेरी आँखें, सोचती क्या हैं
लड़की तुम हो महलों में हो पली
वो आईसक्रीम हो जो है फ़्रिज् में रखी
तुमने जो भी कहा, वो हमेशा हुआ
तुम्हें हर चीज़ मिली, मर्सिडीज मिली
फिर भी आँखों में है, कोई ग़म छुपा हुआ
फिर भी तुम खुश नहीं, बोलो है बात क्या

ऐं? नो रिएक्शन? वॉल्यूम डबल करूँ?
स्ट्रॉबेरी आँखें   ...

तुम दिल की हर इक बात पे क्यों इतनी हो बेज़ार
तुम प्यार के सब ख़्वाबों को भी कहती हो बेकार
पगली कहीं हो तो नहीं
लाऊँ मैं क्या, कोई दवा?

कोई पगली वगली नहीं मैं, सुनो
दवा मुझको न दो, इलाज अपना करो
मेरे दादा-परदादा भी पागल न थे
 न कोई पागल्पन मुझ में है

 पाऊँ कैसे खुशी अपने ही प्यार में
 जब के है दुःख भरा सारे संसार में
 मुझको ऐसी खुशी से नहीं वासता
 मेरा तो है अलग रास्ता

क्या? शादी नहीं चाहिये?
 तो फिर रूट चेंज

आँखों में हैं हीरे चमकते
चेहरे पर हैं, चाँद दमकते
गालों में हैं, फूल महकते
होंठों में हैं कलियाँ गुलाबी
दिल को बना दें जैसे शराबी
नाक तो थोड़ी ओवर साईज है
It's okay, मैडम. प्लास्टिक सर्जरी कर देंगे

मेरी तो नाक जैसी है, तु अपना सर दिखा
लगता है तेरे सर में है, भूसा भरा हुआ
किसे पता, किसे खबर, तू आदमी है या बन्दर



गाना - दूर न जा मुझसे पास आ 
गायक - S P Balasubramaniam

दूर न जा, मुझसे, पास आ
मेरा तन प्यासा, मन प्यासा
नहीं मुझको चैन ज़रा सा
मेरे अंग अंग में अंगारे   ...

सुलगती साँसें तरसती बाहें हैं मेरी
जहाँ भी तू है, वहीं निगाहें हैं मेरी
है चाँद जैसा, ये चेहरा तेरा, बदन तेरा सूरज
तो फिर ये क्यों है, कि यूँ अन्धेरी
सारी रातें हैं मेरी
तेरे ये उजाले मैं बाहों में भर लूँ
तुझे छू के ख़ुद को अमर आज कर लूँ
मचल रहा है दिल मेरा
दूर न जा   ...

कभी तो होगा, ये हाथ मेरे हाथों में
कभी तो छलकेगा, प्यार तेरी बातों में
कभी तो पिघलेंगे, तेरे तन\-मन मेरे क़रीब आके
कभी तो टूटेंगे सारे बन्धन, महकी महकी रातों में
तेरी आरज़ू में, जो करता हूँ जानम
न जीता हूँ जानम, न मरता हूँ जानम
तड़प रहा है दिल मेरा
दूर न जा   ...



सत्या

गाना -  सपने में मिलती है ओ कुड़ी मेरी
फिल्म - सत्या
संगीतकार - विशाल भरद्वाज
गीतकार -गुलजार
गायक - आशा भोसले,  सुरेश वाडकर,

सपने में मिलती है
ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है

सपने में मिलती है
ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है
सारा दिन घुँघटे में बंद गुड़िया सी
ओय सारा दिन घुँघटे में बंद गुड़िया सी
अखियों में घुलती है

सपने में मिलता है
ओ मुण्डा मेरा सपने में मिलता है

सपने में मिलता है
ओ मुण्डा मेरा सपने में मिलता है
सारा दिन सड़कों पे खाली रिक्षे सा
ओय सारा दिन सड़कों पे खाली रिक्षे सा
पीछे पीछे चलता है

ओय होय कोरी है करारी है
भून के उतारी है
कोरी है करारी है
भून के उतारी है
कभी कभी मिलती है
हो कुड़ी मेरी
हो कुड़ी मेरी

हे ऊँचा लम्बा कद है
चौड़ा भी तो हद है

ऊँचा लम्बा कद है
चौड़ा भी तो हद है
दूर से दिखता है
ओ मुण्डा मेरा हाँ हाँ हाँ
ओ मुण्डा मेरा
अरे देखने में तगड़ा है
जंगल से पकड़ा है
सींग दिखाता है

सपने में मिलता है
ओ मुण्डा मेरा सपने में मिलता है

सपने में मिलती है
ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है

हे पाजी है शरीर है
घूमती लकीर है
चकरा के चलती है
होय

सपने में मिलती है
ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है

सपने में मिलता है
ओ मुण्डा मेरा सपने में मिलता है

अरे कच्चे पक्के बेरों से
चोरी के शेरों से

कच्चे पक्के बेरों से
चोरी के शेरों से
दिल बहलाता है
रे मुण्डा मेरा
हो मुण्डा मेरा
मुण्डा मेरा

हाय गोरा चिट्टा रंग है
चाँद का पलंग है

गोरा चिट्टा रंग है
चाँद का पलंग है
चाँदनी में धुलती है
हो कुड़ी मेरी
हाँ
हो कुड़ी मेरी
हाँ
दूध का उबाल है
हँसी तो कमाल है
मोतियों में तुलती है

सपने में मिलती है
ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है

सपने में मिलता है
ओ मुण्डा मेरा सपने में मिलता है

नीम शरीफ़ों के
एं वें लतीफ़ों के क़िस्से सुनाता है

सपने में मिलता है
ओ मुण्डा मेरा सपने में मिलता है

सपने में मिलती है
ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है

सारा दिन घुँघटे में बंद गुड़िया सी
अखियों में घुलती है

सारा दिन सड़कों पे खाली रिक्षे सा
पीछे पीछे चलता है

सपने में मिलता है
ओ मुण्डा मेरा सपने में मिलता है

सपने में मिलती है
ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है


गाना - तू मेरे पास भी है
गायक - लता मंगेशकर,  हरीहरन

तू मेरे पास भी है, तू मेरे साथ भी है \-२
फिर भी तेरा इंतज़ार है

तू मेरे पास भी है, तू मेरे साथ भी है
फिर भी तेरा इंतज़ार है

तू मेरे पास भी है, तू मेरे साथ भी है

आ तेरे लिये सूरज उगाया है
आ तेरे लिये रस्ता बिछाया है

आ तेरे लिये सूरज उगाया है
आ तेरे लिये मौसम मँगायाअ है

आ ये जहाँ एक पार है
तू मेरे पास भी है

तू मेरे साथ भी है
तू मेरे पास भी है

तू मेरे साथ भी है


माही रे

ए चलो चलें
चलते ही चलते ही चलते रहें
आ ख़ूब हँसे
हँसते ही हँसते ही हँसते रहें
दिल पे कहाँ इख़्तियार है

तू मेरे पास भी है
तू मेरे साथ भी है

फिर भी तेरा इंतज़ार है


गाना -  बादलों से काट-काट के... ये मुझे क्या हो गया
गायक - भूपेंद्र 

बादलों से काट\-काट के
काग़ज़ों पे नाम जोड़ना 
ये मुझे क्या हो गया
अरे ये मुझे क्या हो गया

डोरियों से बाँध-बाँढ के
रात भर चाँद तोड़ना
ये मुझे क्या हो गया

एक बार तुमको जब बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
तब से मेरी नींद में बरसती रहती हो
बोलती बहुत हो और हँसती रहती हो
जो तुझे जानता न हो
उससे तेरा नाम पूछना
ये मुझे क्या हो गया

देखो यूँ खुले बदन तुम
देखो यूँ खुले बदन गुलाबी साहिलों पे आया न करो
तुम नमक भरे समन्दरों में इस तरह नहाया न करो
सारा दिन चाँदनी सी छायी रहती है
और गुलाबी धूप बौखलाई रहती है
जामुनों की नर्म डाल पे
नाखुनों से नाम खोदना
ये मुझे क्या हो गया 

बादलों से काट-काट के
काग़ज़ों पे नाम जोड़ना
डोरियों से बाँध-बाँढ के
रात भर चाँद तोड़ना
ये मुझे क्या हो गया

गाना - गोली मार भेजे में 
गायक  - मानो 

 ए गोली मार भेजे में
धिचकिऊँ
के भेजा शोर करता है
भेजे की सुनेगा तो मरेगा कल्लू 
अरे तू करेगा दूसरा भरेगा कल्लू
मामा कल्लू मामा
हे मामा कल्लू मामा

गोली मार भेजे में
धिचकिऊँ
भेजा शोर करता है
भेजे की सुनेगा तो मरेगा कल्लू
अरे तू करेगा दूसरा भरेगा कल्लू
मामा कल्लू मामा
हे मामा कल्लू मामा

ए सोच वोच छोड़ भेजा काहे को खरोँचना
मामा कल्लू मामा
वाह
अपना काम माल हाथ आये तो दबोचना
मामा कल्लू मामा

सोच वोच छोड़ भेजा काहे को खरोँचना
अपना काम माल हाथ आये तो दबोचना

अक्का अक्का जो भी फटका झटका दे
लटका लटका डाल मटका अरे सटका दे
येड़े वो मरेगा जो डरेगा कल्लू
भेजे की सुनेगा तो मरेगा कल्लू
मामा कल्लू मामा
हे मा आमा कल्लू मामा


दिन में खोली रात तीन बत्ती पे गुज़ार दी
थोड़ी चढ़ गई तो तीन पत्ती में उतार दी

दिन में खोली रात तीन बत्ती पे गुज़ार दी
थोड़ी चढ़ गई तो तीन पत्ती में उतार दी

अरे खोपड़ी की झोपड़ी में फटका दे
आड़ फाड़ मार छाड़ कटका दे कटका दे
छोकरों की नौकरी करेगा कल्लू
भेजे की सुनेगा तो मरेगा कल्लू
मामा कल्लू मामा
हे मामा कल्लू मामा

ए गोली मार भेजे में
धिचकेऊँ
के भेजा शोर करता है
भेजे की सुनेगा तो मरेगा कल्लू
तू करेगा दूसरा भरेगा कल्लू
मामा कल्लू मामा
मामा
हे मामा कल्लू मामा
मामा कल्लू मामा
मामा
हे मामा कल्लू मामा
मामा कल्लू मामा
मामा



माया मेमसाहब

फिल्म - माया मेमसाहब 
संगीत - हृदयनाथ मंगेशकर
गीतकार - गुलज़ार
गायक - लता मंगेशकर
गाना - ओ दिल बंजारे 

ओ दिल बंजारे, जा रे
खोल डोरियाँ सब खोल दे
ओ दिल बंजारे

धूप से छनती छाँव
ओक में भरना चाहूँ
आँख से छनते सपने
होंठ से चखना चाहूँ
ये मन संसारी, बोले
एक बार तो अब डोल दे
ओ दिल बंजारे…

रात का बीता सपना
दिन में दिल दोहराए
जाने कौन है आकर
साँसों को छू जाए
ये दिल अनजाना, बोले
एक बार तो लब खोल दे
ओ दिल बंजारे…



गाना  - मेरे सिरहाने जलाओ सपने 
गायक - लता मंगेशकर

मेरे सरहाने जलाओ सपने            
मुझे ज़रा सी तो नींद आये
मेरे सरहाने जलाओ सपने   ...

ख़याल चलते हैं आगे आगे
मैं उनकी छँव में चल रही हूँ
न जाने किस मोम से बनी हूँ
जो क़तरा क़तरा पिघल रही हूँ
मैं सहमी रहती हूँ नीन.द में भी
कहीँ कोई ख़्वाब डस न जाये
मेरे सर्हाने जलाओ सपने   ...

कभी बुलाता है कोई साया
कभी उड़ाती है धूल कोई
मैं एक भटकी हुई सी खुशबू
तलाश करती हूँ फूल कोई
ज़रा किसी शाख़ पर तो बैठूँ
ज़रा तो मुझको हवा झुलाये
मेरे सर्हाने जलाओ सपने   ...



गाना - खुद से बातें करते रहना, बातें करते रहना 
गायक -लता मंगेशकर 

खुद से बातें करते रहना, बातें करते रहना
ओ, आँखें मीचे दिन में मीठी रातें करते रहना
खुद से बातें   ...

खुद से कहना जाती हूँ मैं
खुद से कहना आई मैं
ऐसा भी होता है न
हल्की सी तन्हाई में
तन्हाई में तसवीरों के चेहरे भरते रहना
खुद से बातें   ...

भीगे भीगे मौसम में क्यों
बरखा प्यासी लगती है
जी तो खुश होता है लेकिन
एक उदासी लगती है
ऐं वैं ही बस रूठी खुद से
ऐं वैं मनते रहना
खुद से बातें   ...

गाना -  इस दिल में बस कर देखो तो ये शहर बड़ा पुराना है
गायक -लता मंगेशकर

इस दिल में बस कर देखो तो
ये शहर बड़ा पुराना है
हर साँस में कहानी है
हर साँस में अफ़साना है
ये शहर बड़ा पुराना है   ...

ये बस्ती दिल की बस्ती है
कुछ द.द्र है, कुछ रुसवाई है
ये कितनी बार उजाड़ी है
ये कितनी बार बसायी है
ये शहर बड़ा पुराना है   ...

ये जिस्म है कच्ची मिट्टी का
भर जाये तो रिसने लगता है
बाहों में कोई थामें तो
आग़ोश में घिरने लगता है
ये शहर बड़ा पुराना है   ...

डर

फिल्म - डर
संगीत -शिव-हरी (शिव कुमार शर्मा, हरिप्रसाद चौरसिया)
गीतकार - आनंद बक्षी
गायक - अलका याग्निक, विनोद राठोड़, सुदेश भोंसले
गाना - अंग से अंग लगाना 

अरे जो जी में आए, तुम आज कर लो
चाहो जिसे इन बाँहो में भर लो

अंग से अंग लगाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना
गालों से ये गाल लगा के, नैनों से ये नैन मिला के
होली आज मनाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना
अंग से अंग लगाना…

ऊपर ऊपर रंग लगय्यो, ना करिओ कुछ नीचे
मोसे कुछ ना बोल, खड़ी रे चुप से अँखियाँ मीचे
बच के पड़ोसन जाने ना पाए
जाये तो वापस आने ना पाए
जुलमी ने ऐसे बाजू मरोड़ा
कजरा ना गजरा, कुछ भी ना छोड़ा
रपट लिखा दो थाने में
हम भर देंगे जुर्माना
अंग से अंग लगाना…
रंग बरसे…

कैसी खींचा तानी, भीगी चुनरी, भीगी चोली
होली का है नाम, अरे ये तो है आँख मिचोली
आज बना हर लड़का कान्हां, आज बनी हर लड़की राधा
तू राधा मैं कान्हां, ना ना ना ना (क्या)
बिजली और बादल, तुम दोनों हो पागल
है खूब ये जोड़ी, बस देर है थोड़ी
तुम जीवन साथी, हम सब बाराती
रंगों की डोली, ले आई होली
भर लो पिचकारी, कर लो तैयारी
एक निशाना बांध के तुम, नैनों के तीर चलाना
अंग से अंग लगाना…

भीगे भीगे तेरे तन से, जैसे शोले लपक रहे हैं
अपना रस्ता देखे मुसाफिर, तेरे नैनों भटक रहे हैं
मैं भूला रास्ता, रस्ते पे आजा
मैं थाम लूं बैय्याँ, मत छेड़ो सैय्याँ
तुम दिल मत तोड़ो, तुम आँचल छोड़ो
तुम काहे रूठी, मेरी चूड़ी टूटी
दिल मेरा टूटा, चल हट जा झूठा
तू नाच मैं गाऊं, तू बैठ मैं जाऊं
मुश्किल है जाना, तू है दीवाना
मुझे अंग लगा ले, बस रंग लगा ले
नीला के पीला, नीला न पीला
क्या लाल गुलाबी, तु बोल ओ भाभी
चुटकी भर सिन्दूर मंगाकर, इसकी मांग सजाना
अंग से अंग लगाना…


गाना -  छोटा सा घर 
गायक -लता मंगेशकर, अभिजीत 

छोटा सा घर है ये मगर तुम इसको पसंद कर लो
दरवाज़ा बंद कर लो
मैं हाँ कहूँ या ना कहूँ
तुम मुझको रज़ामंद कर लो
दरवाज़ा बंद कर लो ...
दरवाज़ा बंद कर लो ...

ये घर नहीं ये है एक सपना
सपना नहीं सच है प्यार अपना \-२
इस प्यार से लग के गले
इस प्यार से लग के गले
मुलाक़ातें तो चंद कर लो
दरवाज़ा बंद कर लो ...
दरवाज़ा बंद कर लो ...

छूना न मुझको ओ मेरे छैला
गोरा बदन हो जाएगा मैला \-२
इस रंग का इस रूप का \-२
न इतना घमंड कर लो
दरवाज़ा बंद कर लो ...

सूरज सितारे या फूल लाऊँ
इस घर को मैं कैसे सजाऊँ
फूलों से मैं इस घर को सजाऊँ
बोलो मैं क्या\-क्या सामान लाऊँ
रहना मुझे दिल में तेरे \-२
बस इसका प्रबंध कर लो
दरवाज़ा बंद कर लो ...




गाना - जादू तेरी नज़र, खुशबू तेरा बदन -
गायक = उदित नारायण 

जादू तेरी नज़र, खुशबू तेरा बदन
तू हाँ कर या ना कर
तू है मेरी किरन
जादू तेरी नज़र ...

मेरे ख्वाबोँ की तस्वीर है तू
बेखबर मेरी तक़दीर है तू
तू किसी और की हो ना जाना
कुछ भी कर जाऊँगा मैँ दीवाना
तू हाँ कर या ...

फ़ासले और कम हो रहें हैँ
दूर से पास हम हो रहें हैँ
माँग लूँगा मैँ तुझे आसमाँ से
छीन लूँगा तुझे इस जहाँ से
तू हाँ कर या ...



गाना -लिखा है ये इन हवाओं पे
गायक - लता मंगेशकर, हरीहरन

लिखा है ये इन हवाओं पे
लिखा है ये इन घटाओं पे
तू है मेरे लिये, मैं हूँ तेरे लिये

इश्क़ की हसीन दास्तान से, हम उतर के आये आसमान से
ये समाँ ये प्यार की कहानियाँ, मिल रही हैँ आज दो जवानियाँ
पहली मुहब्बत की राहों पे
लिखा है ये इन ...

यूँ ही ज़रा तू मुस्कुरा, शरमा के आँचल मुँह में दबा
ज़ुल्फ़ों का तू घूँघट हटा, ये खूबसूरत चेहरा दिखा
इस नाज़ से इठलाते हुए, चलके ज़रा मेरे पास आ
कि आशिक़ हूँ मैं इन अदाओं पे
लिखा है ये इन ...

आओ कह दें आज इस जहान से
हम गुज़र के जी से और जान से
प्यार की हसीन जीत हार में
दिल है चीज़ क्या कि मैंने प्यार में
सर रख दिया तेरे पाँव में
लिखा है ये इन ...



गाना - तू मेरे सामने मैं तेरे सामने 
गायक -लता मंगेशकर, उदित नारायण 

तू मेरे सामने मैं तेरे सामने
तुझको देखूँ कि प्यार करूँ
ये कैसे हो गया, तू मेरी हो गयी
कैसे मैं ऐतबार करूँ

टूट गई टूट के मैं चूर हो गयी
तेरी ज़िद से मज़बूर हो गयी
तेरा जादू चल गया ओ जादूगर

तेरी जुल्फ़ों से खेलूंगा मैं
तुझको बाहों मैं ले लूंगा मैं
दिल तो देते हैं आशिक़ सभी
जान भी तुझको दे दूंगा मैं

एक बार नहीं सौ बार कर ले,
जी भर के तू मुझे प्यार करले
तेरा जादू चल गया ओ जादूगर

इस कहानी के सौ साल हैं \- २
ये तेरे प्यार के चार पल
ज़िन्दगानी के सौ साल हैं


हम आपके दिल में रहते हैं

गाना - छुप गया बदली में जा के
फिल्म - हम आपके दिल में रहते हैं
संगीतकार -अनु मलिक
गीतकार - समीर
गायक - अभिजीत, शंकर महादेवंम, अनुराधा श्रीराम


छुप गए सारे तारे बादलों में छुप गए
छुप गए वो नज़ारे बादलों में छुप गए
आ आ
छुप गया बदली में जा के चाँद भी शरमा गया
आपको देखा तो फूलों को पसीना आ गया
अरे माही रे ओ ओ
आपने यूं छेड़ के तो दिल मेरा धड़का दिया
हम मिले तो प्यार करने का महीना आ गया
अरे माही रे ओ ओ आ

आपकी ये चूड़ियां हमको जगाएं रात भर
आपकी ये बोलियां हमको सताएं रात भर
आपका आँचल उड़ा अ.म्बर पे बादल छा गया
हम मिले तो ...
अरे माही हाय हो हो आ

आँखों से नींदें चुराना कोई सीखे आपसे
प्यार में पागल बनाना कोई सीखे आपसे
आपकी चाहत का ये अंदाज़ हमको भा गया
आपको देखा तो ...

गाना -  जहाँ बहता है गंगा का पानी
गायक - कुमार सानु, अनुराधा पौडवाल

जहाँ बहता है गंगा का पानी
ये राजा वहीं का है रानी
तुझे धोखा न देगा तेरा रहेगा
ये दिल है हिन्दुस्तानी
कसम से कसम से सनम प्यार तुमसे
करते थे करते हैं हम
उम्र भर करते रहेंगे
जहाँ बहता है ...

छोड़ के ऐसे हमें कहां तू चली
चूम लें आजा तेरे होंठों की कली
जा रे जा देखो यूं ना करो दिल्लगी
वरना हम आएंगे ना मिलने फिर कभी
ज़िद है बुरी छेड़ो ना अभी
पास तो आ यूं ना सता
तेरी अदाओं पे फ़िदा हम
झूठे हो
कसम से ...

जान-ए-मन तेरे बिना कटे ना ये पल
नींद भी आए नहीं हमें आजकल
दिलरुबा तुझे नहीं ज़रा भी खबर
क्या करें तेरी यादें आएं रात भर
खोए खोए हम बहके कदम
बस न चले लग जा गले
तेरे ख्यालों में नशा है
स.म्भालो जी
कसम से ...

गाना -पहले कभी न हमने कहा
गायक - कुमार सनुम, अनुराधा पौडवाल

पहले कभी न हमने कहा लो आज सनम ये कहते हैं
हम आपके दिल में रहते हैं
पहले कभी न ...

सच हो गई दुआ अपना मिलन हुआ
अब ना कभी रहना जुदा मिलके चलो वादा करो
छुप जाओ आँखों में बस जाओ साँसों में
धड़कन की है सदा
इक पल कभी जो दूर हुए दर्द हज़ारों सहते हैं
हम आपके दिल ...

दोनों जहां को भुला के बस तुमको करना है हासिल
कितनी मुहब्बत है तुमसे तुमको बताना है मुश्किल
क्या ज़िंदगी है हमारी ये है अमानत तुम्हारी
बस अब यही है तमन्ना साँसें तुम्हें दे दूं सारी
होंगे कभी हम ना जुदा रग़ रग़ में लहू बनके बहते हैं
हम आपके दिल ...

गाना -  ज़रा आँखों में काजल लगा लो सनम 


ज़रा आँखों में काजल लगा लो सनम
सुर्ख़ चेहरे पे ज़ुल्फ़ें गिरा लो सनम
तेरे गालों पे जो काला तिल है वही मेरा दिल है

तेरी बातों ने ऐसा किया है असर
शर्म से झूक रही है मेरी ये नज़र
तुझे जिसने दीवाना किया है
मेरी बिंदिया है मेरी बिंदिया है
काली सी आँखें आँखों में काजल
क्यूं न हो घायल दिल मेरा
ओ छोड़ो जी छोड़ो बातें बनाना
पागल है पागल दिल तेरा
धकधक क्यूं करता है
मुझपे ये मरता है
दर्द जिसने तुझे ये दिया है
मेरी बिंदिया है मेरी बिंदिया है
ज़रा आँखों में ...

लाली ये लाली होंठों की लाली
आजा चुरा लूं चोरी से
ओ तू जो बुलाए मैं भागी आऊं
खींच तू ऐसी डोरी से
खुद पे ना क़ाबू है
चाहत का जादू है
चैन जिसने तेरा ले लिया है
मेरी बिंदिया है मेरी बिंदिया है
ज़रा आँखों में ...

लगान

गाना - राधा कैसे न जले
फिल्म - लगान - Lagaan
संगीतकार - ए. आर. रहमान
गीतकार - जावेद अख्तर
गायक - आशा भोसले, उदित नारायण

मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले
कभी मुस्काये, कभी छेड़े कभी बात करे
राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले
आग तन में लगे
राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले

मधुबन में भले कान्हा किसी गोपी से मिले
मन में तो राधा के ही प्रेम के हैं फूल खिले
किस लिये राधा जले, किस लिये राधा जले
बिना सोचे समझे
किस लिये राधा जले, किस लिये राधा जले

गोपियाँ तारे हैं चान्द है राधा
फिर क्यों है उस को वि{ष}वास आधा
कान्हा जी का जो सदा इधर उधर ध्यान रहे
गोपियाँ आनी\-जानी हैं
राधा तो मन की रानी है
साँझ सखारे, जमुना किनारे
राधा राधा ही कान्हा पुकारे
बाहों के हार जो डाले कोई कान्हा के गले
राधा कैसे न जले ...

मन में है राधे को कान्हा जो बसाये
तो कान्हा काहे को उसे न बसाये
प्रेम की अपनी अलग बोली अलग भाषा है
बात नैनों से हो, कान्हा की यही आशा है
कान्हा के ये जो नैना नैना हैं
छीनें गोपियों के चैना हैं
मिली नजरिया हुई बाँवरिया
गोरी गोरी सी कोई गुजरिया
कान्हा का प्यार किसी गोपी के मन में जो पले
किस लिये राधा जले, राधा जले, राधा जले
रधा कैसे न जले



गाना - मितवा सुन मितवा तुझ को क्या डर है रे 
गायक - उदित नारायण , अलका याज्ञिक

हर सन्त कहे हर साधु कहे
सच और साहस है जिस के मन में
अन्त में जीत उसी की है

आजा रे आजा रे
भले कितने लम्बे हों रास्ते, हो
थके न तेरा ये तन, हो
आजा रे आजा रे
 सुन ले पुकारे डगरिया
रहे न रास्ते तरसते, हो
तू आजा रे
इस धरती का है राजा तू, ये बात जान ले तू
कठिनाई से टकरा जा तू, नहीं हार मान ले तू

 मितवा सुन मितवा, तुझ को क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अम्बर है रे
ओ मितवा सुन मितवा तुझ को क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अम्बर है रे
तू आजा रे ...

सुन लो रे मितवा
जो है तुम्हरे मन में, वो ही हमरे मन में
जो सपना है तुम्हरा, सपना वो ही हमरा है
जीवन में
हाँ, चले हम लिये आसा के दिये नयनन में
दिये हमरी आसाओं के कभी बुझ न पायें
कभी आँधियाँ जो आ के इन को बुझायें
मितवा सुन मितवा, तुझ को क्या डर है रे ...

सुन लो मितवा
पुरवा भी गायेगी, मस्ती भी छायेगी
मिल के पुकारो तो, फूलों वाली जो रुत है
आयेगी
हाँ, सुख भरे दिन दुःख के बिन लायेगी
हम तुम सजायें आओ सपनों के मेले
रहते हो काहे बोलो, तुम यूँ अकेले
मितवा सुन मितवा, तुझ को क्या डर है रे ...

हर सन्त कहे हर साधु कहे
सच और साहस है जिस के मन में
अन्त में जीत उसी की है

ओ मितवा, सुन मितवा ...



ओ रे छोरी, ओ री छोरी, मान भी ले बात मोरी
मैने प्यार तुझी से है किया, हो

तेरे बिन मैं जीया तो क्या जीया
ओह, तेरे नैनों में यह जो काजल है
सपनों का बादल है
मन तेरे ही कारण पागल है, ओ गोरिया
हो ओह, ओह, ओह ओह ओह

(ओ रे छोरे, दिल से निकले, बोल मोरे) - 2
मैने प्यार तुझी से है किया, हो
मैने तुझको ही माना है पिया
ओह, तूने थामा आज यह आँचल है
मॅन में एक हलचल है
मैं ना भूलूंगी यह वो पल है, साँवरिया
ओह ओह, ओह, ओह ओह ओह
माई हार्ट, इट स्पीक्स आ थाउज़ंड वर्ड्स
आई फील एटर्नल ब्लिस
थे रोज़स पुट देयर स्कार्लेट माउत्स
लाइक ऑफरिंग आ किस
नो ड्रॉप ऑफ रैन, नो ग्लोयिंग फ्लेम
हेज़ एवर बिन सो प्यूर
इफ़ बीयिंग इन लव कॅन फील लाइक दिस
देन ई' म इन लव फॉर शुवर
मोरे मॅन में
मोरे मॅन में थी जो बात छुपी
आई है ज़बान पर
मोरे दिल में कहीं एक तीर जो था
आया है कमान पर
सुन सुन ले साजन रहे जनम जनम
हम प्रेम नगर के बासी
थामे थामे हाथ, रहे साथ साथ
कभी दूरे हो ना ज़रा सी
चलूं मैं संग संग तेरी राह में
बस तेरी चाह में, हो ओह ओह ओह

ओ रे छ्होरे ओ री छोरी
ओह, ई' म इन लोवे, ई आम इन लोवे, एस ई




बार बार हाँ, बोलो यार हाँ
अपनी जीत हो, उनकी हार हाँ

कोई हमसे जीत ना पावे
चले चलो, चले चलो
मिट जावे जो टकरावे,
चले चलो
भले घोर अंधेरा छावे
चले चलो, चले चलो
कोई राह में ना थाम जावे,
चले चलो

टूट गयी जो, उंगली उट्ठी
पाँचों मिली तो, बन गये मुट्ठी
एका बढ़ता ही जावे
चले चलो, चले चलो
कोई कितना भी बहकावे,
चले चलो
कोई हमसे जीत ना पावे
चले चलो, चले चलो
मिट जावे जो टकरावे,
चले चलो

कोई ना अब रोके तुझे, टोके तुझे
तोड़ दे बंधन सारे
मिला है क्या होके तुझे निर्बल, तू ही बता

कभी ना दुख झेलेंगे, खेलेंगे
ऐसे के दुसमन हारे
के अब तो ले लेंगे, हिम्मत का रस्ता

धरती हिला देंगे, सबको दिखा देंगे
राजा है क्या, परजा है क्या,
हम जाग पे छाएंगे, अब ये बताएँगे
हम लोगों का दर्जा है क्या,
बार बार हाँ…

अब डर नहीं मन में आवे
चले चलो, चले चलो
हर बेदी अब खुल जावे, चले चलो

चला ही चल, हाँफ नहीं, काँप नहीं
राह में अब तो राही
थकन का साँप नहीं अब तुझे डसने पाए

वही जो तेरा हाक़िम है, जालिम है
की है जिसने तबाही
घर उसका पच्छिम है, यहाँ ना बसने पाए

धरती हिला देंगे, सबको दिखा देंगे
राजा है क्या…

जो होना है हो जावे
चले चलो, चले चलो
अब सर ना कोई झुकावे, चले चलो
कोई हमसे जीत…


 
ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे

तुमरे बिन हमरा कौनो नाही
हमरी उलझन, सुलझाओ भगवन
तुमरे बिन…

तुम्ही हमका हो संभाले
तुम्ही हमरे रखवाले
तुमरे बिन…

चन्दा में तुम्ही तो भरे हो चांदनी
सूरज में उजाला तुम्ही से
ये गगन है मगन, तुम्ही तो दिए हो इसे तारे
भगवन, ये जीवन, तुम्ही ना संवारोगे
तो क्या कोई सँवारे
ओ पालनहारे…

जो सुनो तो कहे
प्रभुजी हमरी है बिनती
दुखी जन को, धीरज दो
हारे नहीं वो कभी दुखसे
तुम निर्बल को रक्षा दो
रह पाएं निर्बल सुख से
भक्ति को, शक्ति दो
जग के जो स्वामी हो,
इतनी तो अरज सुनो
है पथ में अंधियारे
दे दो वरदान में उजियारे
ओ पालनहारे…



घनन घनन घिर घिर आये बदरा, घने घन घोर कारे छाए बदरा,
धमक धमक गूंजे बदरा के दनके, चमक चमक देखो बिजुरिया चमके,
मन धड्काए बदरवा – २, मन मन धड्काए बदरवा
काले मेघा काले मेघा पानी तो बरसाओ – २
बिजुरी की तलवार नहीं, बूंदों के बाण चलाओ
मेघा छाये, बरखा लाये, घिर घिर आये, घिरके आये,
कहे ये मन मचल मचल, न यूं चल संभल संभल,
गए दिन बदल, तू घर से निकल, बरसने वाला है अमरित जल,
दुविधा के दिन बीत गए, भैया मल्हार सुनाओ,
घनन घनन ...............
रस अगर बरसेगा, कौन फिर तरसेगा, कोयलिया गाएगी बैठी मुन्देरोपर
जो पंछी गायेंगे, नए दिन आयेंगे, उआले मुस्कुरा देंगे अंधेरो पर,
प्रेम की बरखा मैं भीगे भीगे तन मन, धरती पे देखेंगे पानी का दरपन
जइयो तुम जहाँ जहाँ, देखियो वहां वहां, यही एक समा, की धरती यहाँ,
है पहेने सात रंगों की चुअनारिया,
घनन घनन ...............
पेड़ों पर जूले डालों और ऊंची पेंग बढाओ
काले मेघा......
आई है रुत मतवाली, बिछाने हरियाली,
ये अपने संग लायी है सावन को, ये बिजुरी की पायल, ये बादल का आंचल,
सजाने लायी है धरती की दुल्हन को
डाली डाली पहेनेंगी फूलो के कंगन, सुख अब बरसेगा आँगन आँगन,
खिलेगी अब कलि कलि, हसेंगी अब गली गली,
हवा जो चली, तो रुत लगी भली, जला दे जो तन मन ओ धुप ढली,
काले मेघा......
घनन घनन ...............

जब प्यार किसी से होता है

फिल्म - जब प्यार किसी से होता है - Jab Pyaar Kisi Se Hotaa Hai
संगीतकार - जतिन ललित
गीतकार - आनंद बक्षी

गाना - दिल में बसा के

दिल में बसा के पलकों में बिठा के नज़रों में क़ैद कर लिया
आँखों में बंद कर लिया मैने तुमको पसन्द कर लिया

हम दोनों अंजान राही रस्ते मगर मिल गए
पतझड़ के मौसम में जैसे दिल फूल से खिल गए
तुम दूर रहो या पास रहो नज़रों में क़ैद कर लिया
आँखों में बंद ...

अब ये बेचैनियां हैं आगे ना जाने हो क्या
इतने करीब आ गए हैं अब कैसे होंगे जुदा
बाहों में सनम तूने थाम लिया नज़रों में क़ैद कर लिया
आँखों में बंद ...

गाना - मदहोश दिल की धड़कन

मदहोश दिल की धड़कन
चुप सी यह तनहाई
छूप गया चाँद क्यों
क्या तेरी ज़ुल्फ़ लहराई

मदहोश दिल की धड़कन
चुप सी यह तनहाई
फिर तेरी याद ने
दिल में ली यार अंगड़ाई

ये रत जागे
लंबी रातों के दिल ना लगे, क्या करू

ये सिलसिले
दिल की बातों के जादू चले, क्या करू

बिखरा ज़ुल्फ़ें, सो जाऊं
दिल चाहे कहीं खो जाऊं

मदहोश दिल की धड़कन
चुप सी यह तनहाई
यह तेरी आशिक़ी
कर ना दे मेरी रुसवाई

कहना था जो होठों से
मैने आँखों से वो कह लिया

दिल में तेरे रहना हैं मुझको
इस दुनियाँ में रह लिया

आ लग जा तू इस दिल से
के मिलते हैं दिल मुश्किल से

मदहोश दिल की धड़कन
चुप सी यह तनहाई
दिल लिया, जान भी लेगा
ये प्यार हरजाई

मदहोश दिल की ...


गाना - पहली पहली बार जब प्यार किसी से होता है

पहली पहली बार जब प्यार किसी से होता है
होता है ये हाल जब प्यार किसी से होता है
ये दिल कहीं लगता नहीं तेरी तरह मेरी तरह पागल सभी हो जाते हैं
पहली पहली बार जब ...

दिल को करार नहीं आता रातों को नींद आती नहीं
जान चली जाती है लेकिन आके तेरी याद जाती नहीं
तौबा मेरे यार जब प्यार किसी से होता है
होता है ये हाल जब ...

प्यार में करूं मैं बेवफ़ाई ऐसा नहीं मैं हरजाई
लाखों हसीनों को देखा तू ही पसन्द मुझे आई
होता है कमाल जब प्यार किसी से होता है
होता है ये हाल जब ...



गाना - इस दिल में क्या है 

इस दिल में क्या है धड़कन धड़कन में क्या है साजन
फूलों में क्या है खुश्बू आँखों में क्या है जादू
तू मेरी जां है तू ही मेरा प्यार तेरे लिए ही मैं हूँ बेकरार
इस दिल में क्या है ...

छू लिया तूने मुझको सारा बदन जल रहा है
प्यार में ज़ोर कैसा कोई जादू सा बस चल रहा है
पागल ना मैं हो जाऊं
इस दिल में क्या है ...

थाम ले मेरी बाहें मौसम जवां है हसीं है
क्या करूं नाम तेरा दिल भूलता ही नहीं है
जागूं या मैं सो जाऊं
इस दिल में क्या है ..

गाना - एक दिल था पास मेरे 

एक था दिल पास मेरे कर दिया वो नाम तेरे
एक जान थी पास मेरे हो गई वो नाम तेरे

मांगूं तो वापस ना देना जाऊं तो तू रोक लेना
तेरे लिए ही तो मेरी जां तेरी कसम
चैन खो गया है नींद हो गई है कम
बचा बचा के रखा था दे दिया है तुझे आज ये दिल
एक जान थी पास मेरे ...

आ इस दिल के सारे अरमां दे दूं तुझे
ये दिल है क्या तू मांगे जां तो दे दूं तुझे
ये दिल की कहानी कैसे करें हम शुरू
मैं थाम लूं बाहें तेरी आजा ज़रा पास तू
छुपा छुपा के रखा था दे दिया आज तुझे ये दिल
एक था दिल पास मेरे ...

ये पहली मोहब्बत पहला मेरा प्यार है
तोड़े से भी टूटे ना जो ये वो कसम यार है
ये वादा मैं तोड़ूं ऐसा नहीं मैं बेवफ़ा
क्या बात है इस बात पे हो गई मैं तो फ़िदा
बचा बचा के रखा था आज तुझको दे दिया ये दिल
एक था दिल पास मेरे ...

गाना - ओ जाना न जाना 

ओ जानाँ ना जाना ये दिल तेरा दीवाना
जहां भी तू जाए तेरे पीछे आए ये तेरा आशिक़ पुराना
ओ जानाँ ना जाना ...

ज़ोर चलता नहीं क्या करूं दिल स.म्भलता नहीं क्या करूं हाय
ऐसा काँटा चुभा प्यार का अब निकलता नहीं
तेरी निगाहों का मैं बन गया हूँ निशाना
ओ जानाँ ना जाना ...

सारी दुनिया से हम रूठ के आ मोहब्बत करें टूट के
उड़ ना जाए कभी क्या पता कोई भंवरा मुझे लूट के
भंवरा नहीं है मेरा नाम है परवाना

ओ जानाँ ये जाना तू है मेरा दीवाना
तू करे जो इशारा मैं चली आऊं यारा छोड़ के ये ज़माना


ओ जानाँ ये जाना तू है मेरा दीवाना
तू करे जो इशारा मैं चली आऊं यारा छोड़ के ये ज़माना
ओ जानाँ ये माना ...

तेरी मेरी नज़र मिल गई दिल से दिल की डगर मिल गई
बिन कहे बिन सुने देख ले दिल को दिल की खबर मिल गई
ये दिल चुरा के तू आँखें ना मुझसे चुराना
ओ जानाँ ये माना ...

दिल दूं या जान दूं नाम ले बाहों में तू मुझे थाम ले
हो ना जाए नशा प्यार का ओ सनम होश से काम ले
मैं क्या करूं बिना पिए हो गया मैं मस्ताना
ओ जानाँ ये माना ...

इक पल गमों का दरिया - जावेद अख़्तर

इक पल गमों का दरिया, इक पल खुशी का दरिया
रूकता नहीं कभी भी, ये ज़िन्‍दगी का दरिया

आँखें थीं वो किसी की, या ख़्वाब की ज़ंजीरे
आवाज़ थी किसी की, या रागिनी का दरिया

इस दिल की वादियों में, अब खाक उड़ रही है
बहता यहीं था पहले, इक आशिकी का दरिया

किरनों में हैं ये लहरें, या लहरों में हैं किरनें
दरिया की चाँदनी है, या चाँदनी का दरिया

आँख उठी मोहब्बत ने अंगडाई ली - नुसरत फ़तेह अली खान



शायर : फ़ना बुलंद शहरी 


आँख उठी मोहब्बत ने अंगडाई ली
दिल का सौदा हुआ चाँदनी रात में
उनकी नज़रों ने कुछ ऐसा जादू किया
लुट गए हम तो पहली मुलाकात में

दिल लूट लिया ईमान लूट लिया
खुद तड़प कर उन के जानिब दिल गया
शराब सीक पर डाली, कबाब शीशे में
हम पे ऐसा जादू किया उनकी नज़रों ने...

ज़िन्दगी डूब गयी उनकी हसीं आंखों में
यूँ मेरे प्यार के अफ़साने को अंजाम मिला
कैफियत-ए-चश्म उनकी मुझे याद है सौदा
सागर को मेरा हाथ से लेना के चला मैं

हम होश भी अपना भूल गए
ईमान भी अपना भूल गए
इक दिल ही नहीं उस बज़्म में
हम न जाने क्या क्या भूल गए

जो बात थी उनको कहने की
वो बात ही कहना भूल गए
गैरों के फ़साने याद रहे
हम अपना फ़साना भूल गए

वो आ के आज सामने इस शान से गए
हम देखते ही देखते ईमान से गए
क्या क्या निगाह-ए-यार में तासीर हो गयी
बिजली कभी बनी कभी शमशीर हो गयी

बिगड़ी तो आ बनी दिल-ए-इश्क के जान पर
दिल में उतर गयी तो नज़र तीर हो गयी
महफ़िल में बार बार उन पर नज़र गयी
हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गयी

उनकी निगाह में कोई जादू ज़रूर
जिस पर पड़ी उसी के जिगर में उतर गयी
वो मुस्करा कर देखना उनकी तो  थी अदा
हम बेतरह तड़प उठे और जान से गए

आते ही उनके बज़्म में कुछ इस तरह से हुआ
शीशे से रिन्द, शेख भी कुरान से गए
उनकी आँखों का लिए दिल पर असर जाते हैं
मैकदे हाथ बढ़ाते हैं जिधर जाते हैं

भूलते ही नहीं दिल को मेरे मस्ताना निगाह
साथ जाता है ये मैखाना जिधर जाते हैं
उनके अंदाज़ ने मुझको बाखुदा लुट लिया
दे के मजबूर को पैगाम ए वफ़ा लूट लिया

सामना होते ही जो कुछ मिला लूट लिया
क्या बताऊँ कि नजर मिलते ही क्या लुट लिया
नरगसी आँखों ने ईमान मेरा लूट लिया

बन के तस्वीर-ए-गम रह गए हैं
खोये खोये से हम रह गए हैं
बाँट ली सबने आपस में खुशियाँ
मेरे हिस्से में गम रह गए हैं

अब न उठाना सरहाने से मेरे
अब तो गिनती के दम रह गए हैं
दिन कटा जिस तरह कटा
लेकिन रात कटती नज़र नहीं आती

दिल ज़िन्दगी से तंग है, जीने से सेर है
पैमाना भर चूका है छलकने की देर है
काफिला चल के मंजिल पे पहुँचा
ठहरो ठहरो में हम रह गए

देख कर उनके मंगतो की गैरत
दंग अहले-करम रह गए हैं
उन की सत्तारियाँ कुछ न पूछो
आसियों के भ्ररम रह गए हैं

ऐ सबा एक ज़हमत ज़रा फिर
उनकी जुल्फों में हम रह गए हैं
कायनाते जफ़ाओं वफाओं में
एक हम एक तुम रह गए हैं

आज साकी पिला शेख़ को भी
एक ये मोहतरम रह गए हैं
दौर-ए-माजी के तस्वीर आखिर
ऐ नसीब एक हम रह गए हैं

नज़र मिलकर मेरे पास आ के लूट लिया, लूट लिया
खुदा के लिए अपनी नज़रों को रोको, मेरे दिल लूट लिया
जिस तरफ उठ गयी हैं आहें हैं
चश्म ए बद्दूर क्या निगाहें हैं

दिल को उलट पुलट के दिखाने से फायदा
कह तो दिया के बस लूट लिया लूट लिया
है दोस्ती तो जानिब-ए-दुश्मन न देखना
जादू भरा हुआ है तुम्हारी निगाह में

करूँ तारीफ़ क्या तेरी नज़र के दिल लूट लिया
नज़र मिलाकर मेरे पास आ के लूट लिया
नज़र हटी  थी के फिर मुस्कुरा कर लूट लिया
कोई ये लूट तो देखो के उसने जब चाहा
मुझ ही में रह कर मुझमें समा कर लूट लिया

ना लुटते हम अगर उन मस्त अंखियों ने जिगर
नज़र बचाते हुए डूब डूबा के लूट लिया

साथ अपना वफा में छूटे कभी
प्यार की डोर बन कर न टूटे कभी
छुट जाए ज़माना कोई गम नहीं
हाथ तेरा रहे बस मेरे हाथ में

रुत है बरसात की, देखो जिद मत करो
ये सुलगती शाम ये तन्हाईयाँ
बादलों के साथ हम भी रो दिए
जहाँ आँखें बरसती रहती हों बरसात से पहले
वहाँ बरसात में बादल बरस जाने से क्या होगा

ये भीगी रात और बरसात की हवाएं
जितना भुला रहा उतना याद आ रहे हैं
ये बादल झूम कर आये तो हैं शीन-ए-गुलिस्तान पर
कहीं पानी न पर जाए किसी के अहद-ओ-पैमां पर

लोग बरसात में सो जाते हैं खुश खुश लेकिन
मुझको इन आँखों की बरसात ने सोने न दिया
रुत है बरसात की देखो जिद न करो
रात अँधेरी है बादल हैं छाये हुए

रुक भी जाओ सनम तुम को मेरी कसम
अब कहाँ जाओगे ऐसी बरसात में
जिस तरह चाहे वो आजमा ले हमें
मुन्तजिर हैं बस उनके इशारे पे हम


मुस्कुरा कर 'फ़ना' वो तलब तो करें
जान भी अपनी दे देंगे सौगात में
आँख उठी मोहब्बत ने अंगडाई ली
दिल का सौदा हुआ चाँदनी रात में

महताब(1991) - गुलाम अली



गुलाम अली के एल्बम महताब के सारे ग़ज़ल. संगीत गुलाम अली का ही है. और शायर का नाम हर ग़ज़ल के पहले लिखा हुआ है.


हबीब जमाल 

आवारगी बरंग-ए-तमाशा बुरी नहीं
ज़ौक़-ए-नज़र मिले तो ये दुनिया बुरी नहीं

कहते हैं तेरी ज़ुल्फ़-ए-परीशाँ को ज़िंदगी
ऐ दोस्त ज़िंदगी की तमन्ना बुरी नहीं

है नाख़ुदा का मेरी तबाही से वास्ता
मैं जानता हूँ नीयत-ए-दरिया बुरी नहीं

इस रहज़न-ए-हयात ज़माने से दूर चल
मर भी गये तो चादर-ए-सहरा बुरी नहीं

-


जान-ए-दिल जान-ए-तमन्ना कौन है
तुमसे अच्छा तुमसे प्यारा कौन है

हम तुम्हारे तुम किसी के हो गये
हम नहीं समझे हमारा कौन है

बंदा-परवर आप ही फ़रमाइये
हम बुरे ठहरे तो अच्छा कौन है

इस तमाशा-गाह-ए-आलम में 'जमाल'
फ़ैसला कीजे तमाशा कौन है

देखना दिल की सदाएं तो नहीं
इस ख़मोशी में ये गोया कौन है



कभी तो महरबाँ हो कर बुला लें
ये महवश हम फ़रिक़ों की दुआ लें

न जाने फिर ये रुत आये न आये
जवाँ फूलों की कुछ ख़ुश्बू चुरा लें

हमारी भी सम्भल जायेगी हालत
वो पहले अपनी ज़ुल्फ़ें तो सम्भालें

निकलने को है वो महताब घर से
सितारों से कहो नज़रें झुका लें

ज़माना तो यूँही रूठा रहेगा
चलो 'जालिब' उन्हें चल कर मना लें



मोहसिन नकवी 

ख़ाब बिखरे हैं सुहाने क्या क्या
लुट गये अपने ख़ज़ाने क्या क्या

मुड़ के देखा ही था माज़ी की तरफ़
आ मिले यार पुराने क्या क्या

आज देखी है जो तस्वीर तेरी
याद आया है न जाने क्या क्या

सिर्फ़ इक तर्क-ए-तअल्लुक़ के लिये
तूने ढूँढे हैं बहाने क्या क्या

रात सहरा की रिदा पर 'मोहसिन'
हर्फ़ लिक्खे थे हवा ने क्या क्या



शाम के वक़्त जाम याद आया
कितना दिलचस्प काम याद आया

जब भी देखा कोई हसीं चेहरा
मुझको तेरा सलाम याद आया

सुनके क़िस्से ख़ुदा की अज़्मत के
आदमी का मक़ाम याद आया

बंसरी की नवा को तेज़ करो
आज राधा को श्याम याद आया

सहन\-ए\-मस्जिद में भी हमें 'मोहसिन'
मयकदे का क़याम याद आया


अहमद नदीम कासमी 

मुझसे क़ाफ़िर को तेरे इश्क़ ने यूँ शरमाया
दिल तुझे देख के धड़का तो ख़ुदा याद आया

चारागर आज सितारों की क़सम खा के बता
किसने इन्साँ को तबसूम के लिये तरसाया

नज़्र करता रहा मैं फूल से जज़्बात उसे
जिसने पत्थर के खिलौनों से मुझे बहलाया

उसके अन्दर कोई फ़नकार छुपा बैठा है
जानते बूझते जिस शख़्स ने धोखा खाया



परवीन शाकिर 

नज़र के सामने इक रास्ता ज़रूरी है
भटकते रहने का भी सिलसिला ज़रूरी है

मिसाल-ए-अब्र-ओ-हवा दिल-ब-हम रहें लेकिन
मुहब्बतों में ज़रा फ़ासला ज़रूरी है

वो ख़ौफ़ है क्र सर-ए-शाम घर से चलते वक़्त
गली का दूर तलक जायज़ा ज़रूरी है

तअल्लुक़ात के नाम-ओ-तिबर हवालों से
तमाम उम्र का इक राविता ज़रूरी है


कतील शिफाई 

उदास शाम किसी ख़ाब में ढली तो है
यही बहुत है के ताज़ा हवा चली तो है

जो अपनी शाख़ से बाहर अभी नहीं आई
नई बहार की ज़ामिन वही कली तो है

धुवाँ तो झूठ नहीं बोलता कभी यारो
हमारे शहर में बस्ती कोई जली तो है

किसी के इश्क़ में हम जान से गये लेकिन
हमारे नाम से रस्म-ए-वफ़ा चली तो है

हज़ार बन्द हों दैर-ओ-हरम के दरवाज़े
मेरे लिये मेरे महबूब की गली तो है



अहमद फ़राज़ 

ये क्या के सबसे बयाँ दिल की हालतें करनी
'फ़राज़' तुझको न आईं मोहब्बतें करनी

ये कुर्ब क्या है के तू सामने था और हमें
शुमारगी से जुदाई से साअतें करनी

कोई ख़ुदा हो के पत्थर जिसे भी हम चाहें
तमाम उम्र उसी की इबादतें करनी

सब अपने अपने करीने से मुन्तज़िर उसके
किसी को शुक्र किसी को शिकायतें करनी

मिले जब उनसे तो मुबहम सी गुफ़्तगू करना
फिर अपने आप से सौ सौ वज़ाहत करनी


तुम एक गोरखधंधा हो - नुसरत फ़तेह अली खान



शायर : नाज़ खिअलावी 

गायक : नुसरत फ़तेह अली खान


हो भी नहीं और हर जहाँ हो
तुम एक गोरखधंधा हो
हर जर्रे में किस शान से तू जलवानुमा है
हैरान है अक्ल की, तू कैसा है और क्या है
तुझे गेरो हरम में मैंने ढूँढा तू नहीं मिलता
मगर तशरीफ़ फरमा, तुझको अपने दिल में देखा है
तुम एक गोरखधंधा हो

हरमो गैर में है जलवा ए पुर्फन तेरा
दो घरो का है चराग, एक रूखे रोशन तेरा
जब बाजुस तेरे दूसरा कोई मोजूद नहीं
फिर समझ में नहीं आता तेरा पर्दा करना
तुम एक गोरखधंधा हो

जो उल्फत में तुम्हारी खो गया है
उसी खोये हुए को कुछ मिला है
न बुतखाने न काबे में मिला है
मगर टूटे हुए दिल में मिला है
अदम बन कर कही छुप गया है
कहीं तू हस्त बन के आ गया है
नहीं है तू तो फिर इंकार कैसा
नाफीबी तेरे होने का पता है
जिसको कह रहा हूँ अपनी हस्ती
अगर वो तू नहीं तो और क्या है
नहीं आया ख्यालो में अगर तू
तो फिर मैं कैसे समझा तू खुदा है
तुम एक गोरखधंधा हो

हैरान हूँ इस बात पे तुम कौन हो क्या हो
हाथ आओ तो बुत हाथ ना आओ तो खुदा हो
अक्ल में जो गिर गया न इन्तहा क्यों कर हुआ
जो समझ में आ गया फिर वो क्यों कर खुदा हुआ
फ़लसफ़ी को बहस के अंदर खुदा मिलता नहीं
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं
मिलते नहीं हो, सामने आते नहीं हो तुम
जलवा दिखा के, जलवा दिखाते नहीं हो तुम
गैरो हरम के झगडे मिटाते नहीं हो, तुम
जो असल बात है वो बताते नहीं हो, तुम
हैरान हूँ मेरे दिल में समाये हो किस तरह
हालाँकि दो जहाँ में समाते नहीं हो, तुम
ये महा बदो हरम ये खलिसा ओ देर क्यों
हरजाई हो, तभी तो बताते नहीं हो तुम
तुम एक गोरखधंधा हो

दिल पे हैरत ने अजब रंग जमा रखा है
एक उलझी हुई तस्वीर बना रखा है
कुछ समझ में नहीं आता की, ये चक्कर क्या है
खेल तुमने क्या अजल से ये रचा रखा है
रूह को जिस्म के पिंजरे का बना के कैदी
उसपे फिर मौत का पहरा भी बिठा रखा है
देके तदबीर के पंछी को उड़ाने तुमने
नामे तकदीर भी हर शब्द बिछा रखा है
करके आरैसे दो नयन के बरसो तुमने
ख़त्म करने का भी मंसूबा बना रखा है
ला मकानी का बहरहाल है दावा है तुम्हे
नह्लो अकरब का भी पैगाम सुना रखा है
ये बुरे वो भलाई ये जहन्नम वो बहिस्त
इस उलट फेर में फरमाओ तो क्या रखा है
जुर्म आदम ने किया और सजा बेटो को
बदले ओ इन्साफ का मियार भी क्या रखा है
देके इंसान को दुनिया में खलाफत अपनी
एक तमाशा सा ज़माने में बना रखा है
अपनी पहचान की खातिर बनाया सबको
सबकी नज़रों से मगर खुद को छुपा रखा है
तुम एक गोरखधंधा हो

नित नए नक्श बना देते हो, मिटा देते हो
जाने किस जुर्म ए तमन्ना की सजा देते हो
कभी कंकड़ को बना देते हो हीरे की कली
कभी हीरो को भी मिट्टी में मिला देते हो
जिंदगी कितने ही मुर्दों को अत्ता की जिसने
वो मसीहा ही सलीबो पे सजा देते हो
खवाहिशे दीद कर बैठे सरे तुर कोई
खुद ही बर्के तजली से जला देते हो
नारे नमरूद में जलवाते हो खुद अपना खलील
खुद ही फिर नार को गुलज़ार बना देते हो
तुम एक गोरखधंधा हो

ए माइलस्टोन - A Milestone (Jagjit Singh, Chitra Singh)

संगीत : जगजीत सिंह 
गायक : जगजीत सिंह, चित्रा सिंह 
ग़ज़ल : कतील शिफाई 



मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम,
एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम,

आंसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर,
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम,

जब दूरियों की याद दिलों को जलायेगी,
जिस्मों को चांदनी में भिगोया करेंगे हम,

गर दे गया दगा हमें तूफ़ान भी ‘क़तील’,
साहिल पे कश्तियों को डुबोया करेंगे हम,




तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा,
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा,

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह,
याद थे मुझको जो पैगाम-ऐ-जुबानी की तरह,
मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह,

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे,
सालाहा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे,

तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे,
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे,

तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ,
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ,







अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको

ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको

वादा फिर वादा है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको






परेशाँ रात सारी है, सितारों तुम तो सो जाओ
सुकूते मर्ग तारी है, सितारों तुम तो सो जाओ


हमें तो आज की शब पौ फटे तक जागना होगा
यही किस्मत हमारी है, सितारों तुम तो सो जाओ

हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो जाऐंगे
अभी कुछ बेक़रारी है, सितारों तुम तो सो जाओ



ये मोजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
के सँग तुझपे गिरे और ज़ख्म आये मुझे

वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो बद-गुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे

वो मेरा दोस्त है सारे जहाँन को मालूम
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे

मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ ‘क़तील’
ग़मे हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे




दिल को ग़मे हयात गवारा है इन दिनों
पहले जो दर्द था वही चारा है इन दिनों

ये दिल, ज़रा सा दिल तेरी यादों में खो गया है
ज़र्रे को आँन्धियों का सहारा है इन दिनों

तुम आ ना सको तो शब को बढ़ा दूँ कुछ और भी
अपने कहे में सुब्ह का तारा है इन दिनों



तुम्हारी अन्जुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
जो वाबिस्ता हुये तुम से वो अफसाने कहाँ जाते

निकल करा दैरो काबा से अगर मिलता ना मैख़ाना
तो ठुकराये हुये इन्सान ख़ुदा जाने कहाँ जाते

तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादा-ख़ाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमानें कहाँ जाते

चलो अच्छा हुआ काम आ गयी दीवानग़ी अपनी
वगरना हम जमाने भर को समझाने कहाँ जाते




सदमा तो है मुझे भी के तुझसे जुदा हूँ मैं
लेकिन ये सोचता हूँ के अब तेरा क्या हूँ मैं

बिखरा पड़ा है तेरे घर में तेरा वजूद
बेकार महफिलों में तुझे ढूँडता हूँ मैं

ना जाने किस अदा से लिया तूने मेरा नाम
दुनिया समझ रही है के सब कुछ तेरा हूँ मैं

ले मेरे तजुर्बों से सबक़ ऐ मेरे रक़ीब
दो-चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं




अँगड़ाई पर अँगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या समझो तुम क्या जानों बात मेरी तन्हाई की

कौन सियाही घोल रहा था वक्त के बहते दरिया में
मैनें आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की

वस्ल की रात ने जाने क्यूँ इसरार था उनको जाने पर
वक्त से पहले डूब गये, तारों ने बड़ी दानाई की

उड़ते उड़ते आस का पँछी दूर उफ़क़ में डूब गया
रोते रोते बैठ गयी आवाज़ किसी सौदाई की

हो गई है पीर पर्वत-सी- दुष्यंत कुमार


हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में, हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

सूर्य का स्वागत- दुष्यंत कुमार


परदे हटाकर करीने से रोशनदान खोलकर कमरे का फर्नीचर सजाकर और स्वागत के शब्दों को तोलकर टक टकी बाँधकर बाहर देखता हूँ और देखता रहता हूँ मैं। सड़कों पर धूप चिलचिलाती है चिड़िया तक दिखाई नही देती पिघले तारकोल में हवा तक चिपक जाती है बहती बहती, किन्तु इस गर्मी के विषय में किसी से एक शब्द नही कहता हूँ मैं। सिर्फ कल्पनाओं से सूखी और बंजर जमीन को खरोंचता हूँ जन्म लिया करता है जो ऐसे हालात में उनके बारे में सोचता हूँ कितनी अजीब बात है कि आज भी प्रतीक्षा सहता हूँ।

कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिए- दुष्यंत कुमार



कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिए कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए|
यहाँ दरख्तों के साए में धूप लगती है चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिए|
न हो कमीज तो घुटनों से पेट ढक लेंगे ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए|
खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही कोई हसीन नजारा तो है नजर के लिए|
वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता मैं बेकरार हूँ आवाज में असर के लिए|
जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए|

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है-दुष्यंत कुमार


इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है|
एक चिनगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है|
एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है|
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है|
निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है|
दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है|

कहना उसे - मेहँदी हसन



संगीत : नियाज़ अहमद
शायर : फरहाद शहजाद

खुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था


खुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था
दहकती आग थी तन्हाई थी फ़साना था

ग़मों ने बाँट लिया है मुझे यूँ आपस में
कि जैसे मैं कोई लूटा हुआ ख़ज़ाना था

जुदा है शाख़ से गुल\-रुत से आशियाने से
कली का जुर्म घड़ी भर का मुस्कुराना था

ये क्या कि चन्द ही क़दमों में थक के बैठ गये
तुम्हें तो साथ मेरा दूर तक निभाना था

मुझे जो मेरे लहू में डबो के गुज़रा है
वो कोई ग़ैर नहीं यार एक पुराना था

ख़ुद अपने हाथ से 'शहज़ाद' उसको काट दिया
कि जिस दरख़्त की टहनी पे आशियाना था




टूटे हुए ख़ाबों के लिये आँख ये तर क्यूँ


टूटे हुए ख़ाबों के लिये आँख ये तर क्यूँ
सोचो तो सही शाम है अंजाम\-ए\-सहर क्यूँ

जो ताज सजाए हुए फिरता हो अनोखा
हालात के क़दमों पे झुकेगा वही सर क्यूँ

सिलते हैं तो सिल जाएं किसे फ़िक़्र लबों की
ख़ुश\-रंग अँधेरों को कहूँगा मैं सहर क्यूँ

सोचा किया मैं हिज्र की दहलीज पे बैठा
सदियों में उतर जाता है लम्हों का सफ़र क्यूँ

हरजाई है 'शहज़ाद' ये तस्लें य पजाना
सोचा भी कभी तुमने हुआ ऐसा मग क्यूँ





देखना उनका कनखियों से इधर देखा किये


देखना उनका कनखियों से इधर देखा किये
अपनी आह-ए-कम-असर का हम-असर देखा किये

जो ब\-जाहिर हमसे सदियों की मुसाफ़त-बर रहे
हम उन्हें हर गाम अपना हमसफ़र देखा किये

लम्हा लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया
रफ़्ता रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये

कोई क्या जाने के कैसे हम भरी बरसात में
नज़र-ए-आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये

सुन के वो 'शहज़ाद' के अशआर सर धुनता रहा
थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये




फ़ैसला तुमको भूल जाने का


फ़ैसला तुमको भूल जाने का
इक नया ख़ाब है दीवाने का

दिल कली का लरज़ लरज़ उठा
ज़िक्र था फिर बहार आने का

हौसला कम किसी में होता है
जीत कर ख़ुद ही हार जाने का

ज़िंदगी कट गई मनाते हुए
अब इरादा है रूठ जाने का

आप शहज़ाद की न फ़िक्र करें
वो तो आदी है ज़ख़्म खाने का





सबके दिल में रहता हूँ पर दिल का आंगन खाली है


सबके दिल में रहता हूँ पर दिल का आंगन खाली है
ख़ुशियाँ बाँट रहा हूँ जग में अपना दामन खाली है

गुल रुत आई कलियाँ चटकीं पत्ती पती मुस्काई
पर एक भँवरा न होने से गुलशन गुलशन खाली है

रंगों का उकताम नहीं हर\-चन्द यहाँ पर जाने क्यूँ
रंग बरंगों तनवारं का सच में ही मन खाली है

दर दर की ठुकराई हुई ऐ महबूबा\-ए\-तनहाई
आ मिल जुल कर रह ले इसमें दिल का नशेमन खाली है





तन्हा तन्हा मत सोचा कर


तन्हा तन्हा मत सोचा कर
मर जाएगा मत सोचा कर

प्यार घड़ी भर का ही बहुत है
झूठा सच्चा मत सोचा कर

जिसकी फ़ितरत ही डँसना हो
वो तो डँसेगा मत सोचा कर

धूप में तन्हा कर जाता है
क्यूँ ये साया मत सोचा कर

अपना आप गँवा कर तूने
क्या पाया है मत सोचा कर

मान मेरे 'शहज़ाद' वगरना
पछताएगा मत सोचा कर





एक बस तू ही नहीं मुझसे ख़फ़ा हो बैठा



एक बस तू ही नहीं मुझसे ख़फ़ा हो बैठा
मैंने जो संग तराशा था ख़ुदा हो बैठा

उठ के मंज़िल ही अगर आये तो शायद कुछ हो
शौक़\-ए\-मंज़िल तो मेरा आब्ला\-पा हो बैठा

मसलह्त छीन ली क़ुव्वत\-ए\-ग़ुफ़्तार मगर
कुछ न कहना ही मेरा मेरी ख़ता हो बैठा

शुक्रिया ऐ मेरे क़ातिल ऐ मसीहा मेरे
ज़हर जो तूने दिया था वो दवा हो बैठा

जान\-ए\-शहज़ाद को मिन\-जुम्ला\-ए\-आदा पा कर
हूक वो उट्ठी कि जी तन से जुदा हो बैठा



क्या टूटा है अन्दर अन्दर चेहरा क्यूँ कुम्हलाया है


क्या टूटा है अन्दर अन्दर चेहरा क्यूँ कुम्हलाया है
क्या टूटा है अन्दर अन्दर क्यूँ चेहरा कुम्हलाया है
तन्हा तन्हा रोने वालो कौन तुम्हें याद आया है

चुपके चुपके सुलग़ रहे थे याद में उनकी दीवाने
इक तारे ने टूट के यारो क्या उनको समझाया है

रंग बिरंगी इस महफ़िल में तुम क्यूँ इतने चुप चुप हो
भूल भी जाओ पागल लोगो क्या खोया क्या पाया है

शेर कहाँ है ख़ून है दिल का जो लफ़्ज़ों में बिखरा है
दिल के ज़ख़्म दिखा कर हमने महफ़िल को गर्माया है

अब 'शहज़ाद' ये झूठ न बोलो वो इतना बेदर्द नहीं
अपनी चाहत को भी परखो गर इल्ज़ाम लगाया है'




कोंपलें फिर फूट आईं शाख़ पर कहना उसे


कोंपलें फिर फूट आईं शाख़ पर कहना उसे
वो न समझा है न समझेगा मगर कहना उसे

वक़्त का तूफ़ान हर इक शय बहा कर ले गया
इतनी तन्हा हो गई है रहगुज़र कहना उसे

जा रहा है छोड़ कर तन्हा मुझे जिसके लिये
चैन न दे पायेगा वो सीम\-ओ\-ज़र कहना उसे

रिस रहा हो ख़ून दिल से लब मगर हँसते रहे
कर गया बरबाद मुझको ये हुनर कहना उसे

जिसने ज़ख़्मों से मेरा 'शहज़ाद' सीना भर दिया
मुस्करा कर आज प्यारे चारागर कहना उसे