बजरंगी भाईजान

फिल्म - बजरंगी भाईजान
गाना - सेल्फी ले ले रे
संगीतकार - प्रीतम
गीतकार - मयूर पूरी
गायक - विशाल ददलानी, प्रीतम, बादशाह 

जय जय बजरंग बली...
तोड़ दे दुश्मन की नाली 

जय जय बजरंग बली...
तोड़ दे दुश्मन की नाली 

धा तुना तुना बाजे डंका 
लन्दन हो या लंका 
गूंजे रे चारो ओर

आपकी रहे अनुकम्पा 
ना डर ना ही शंका 
नाचेंगे हम चोर
जोगी चलाये कोई जंतर 
खिलेगा तेरा अंतर 
तू आजा  गुरु मंतर 
ये  ले ले रे....

ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  x2 

अपना पराया जो मिले झप्पी ले ले रे
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  x2 
मस्ती की टंकी में तनिक डुबकी ले ले रे 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  

चल बेटा सेल्फी ले ले रे 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
चल बेटा सेल्फी ले ले रे 
चल बेटा सेल्फी ले ले रे 

तू मेरी नौटंकी तू ही सनीमा 
तू मेरे साथ गर हो..
तू ही कमाई मेरी और तू ही बीमा
तू मेरे साथ गर हो..
रोकेगी  फिर क्या मुझे कोई सीमा 
तू मेरे साथ गर हो..
ओ रामा रामा 
तू मेरी नौटंकी तू ही सनीमा 
तू मेरे साथ गर हो 
मगन मन बोले 
मचक के हिचकोले 
तू ले ले रे 

ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
अपना पराया जो भी ले झप्पी ले ले रे
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  
मस्ती की टंकी में तनिक डुबकी ले ले रे 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  
चल बेटा सेल्फी ले ले रे 
चल बेटा सेल्फी ले ले रे 

 रैप 

बंदा मैं सीधा सादा
ना तेरा न तीन में
मेरे जैसा न होगा 
चाँद पे न चीन में 
किया वही जो मन को भाया
फिर किसी का कभी दिल न दुखाया
पवन पुत्र हनुमान की 
भक्ति में हूँ लीन मैं 
बाते न करता बड़ी बड़ी 
कोई न मारू तड़ी तड़ी 
मैं अपनी मस्ती में ही मस्त हूँ 
दुनिया देखे खड़ी खड़ी 
रहता हूँ मैं बस 
बजरंग बली की ही धुन में सदा 
दिल बड़ा रखते हैं जैसे हनुमान जी की  गदा 
जैसे हनुमान जी के सीने में 
तुम को सियापति राम मिलेंगे 
सीना देख के देखो मेरा तुमको हनुमान मिलेंगे 
फिर भैया 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  x2 
हौले नहीं जोर से बोलो 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  x2 
अपना पराया जो भी ले झप्पी ले ले रे
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  
मस्ती की टंकी में तनिक डुबकी ले ले रे 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले 
ऐ ले ले ऐ ले ऐ ले  
चल बेटा सेल्फी ले ले रे 
चल बेटा सेल्फी ले ले रे 



फिल्म - बजरंगी भाईजान
गाना - तू चाहिए
संगीतकार - प्रीतम
गीतकार - अमिताभ भट्टाचार्य
गायक - आतिफ असलम


हाल ए दिल को सुकून चाइये
पूरी एक आरजू चाहिए 
जैसे पहले कभी कुछ भी चाहा नहीं 
वैसे ही क्यों चाहिए 

दिल को तेरी मौजूदगी का एहसास यूं चाहिए 
तू चाहिए..तू चाहिए 
शाम-ओ-सुबह तू चाहिए 
तू चाहिए..तू चाहिए 
हर मर्तबा तू चाहिए 

जितनी दफा..जिद हो मेरी..
उतनी दफा..हाँ, तू चाहिए..

कोई और दूजा क्यों मुझे 
न तेरे सिवा चाहिए 
हर सफ़र में मुझे
तू ही रहनुमा चाहिए 
जीने को बस मुझे
तू ही मेहरबान चाहिए 

सीने में अगर तू दर्द है 
ना कोई दावा चाहिए 
तू लहू की तरह 
रगों में रवां चाहिए 
अंजाम जो चाहे मेरा 
वो आगाज़ यूं चाहिए 

तू चाहिए..तू चाहिए 
शाम-ओ-सुबह तू चाहिए 
हर मर्तबा तू चाहिए 

जितनी दफा..जिद हो मेरी
उतनी दफा हाँ तू चाहिए 

मेरे ज़ख्मो को तेरी छुअन चाहिए 
मेरे शम्मा को तेरी अगन चाहिए 
मेरे ख्वाब के आशियाने में तू चाहिए 
मैं खोलूं जब आँखें सिरहाने भी तू चाहिए

--


फिल्म - बजरंगी भाईजान
गाना - सेल्फी ले ले रे
संगीतकार - प्रीतम
गीतकार - कौसर मुनीर  
गायक - अदनान सामी


तेरे दरबार में दिल थाम के वो आता है
जिसको तू चाहे, हे नबी तू बुलाता है

भर दो झोली मेरी या मोहम्मद
लौट कर मैं न जाऊँगा खाली

बंद दीदों में भर डाले आंसू 
सिल दिए मैंने दर्दों को दिल में  

जब तलक तू बना दे न तू बिगड़ी 
दर से तेरे न जाए सवाली 

भर दो झोली मेरी या मोहम्मद 
लौट कर मैं न जाऊँगा खाली 
भर दो झोली हम सब की 
भर दो झोली नबी जी 
भर दो झोली मेरी सरकार-ए-मदीना 
लौट कर मैं न जाऊँगा खली 

दम दम अली अली दम अली अली 

हमारी अधूरी कहानी

फिल्म - हमारी अधूरी कहानी
गाना - हसी बन गए 

संगीतकार - अमी मिश्रा
गीतकार - कुनाल वर्मा
गायक - अमी मिश्रा  


हाँ हसी बन गए 
हाँ नमी बन गए 
तुम मेरे आसमां 
मेरी ज़मीन बन गए 

हाँ हम बदलने लगे 
गिरने सँभालने लगे 
जब से है जाना तुम्हें
तेरी और चलने लगे 

हर सफ़र हर जगह 
हर कहीं बन गए 
मानते थे खुदा 
और हाँ वही बन गए

हाँ हसी बन गए 
हाँ नमी बन गए...

पहचानते ही नहीं अब लोग तनहा मुझे 
मेरी निगाहों में भी हैं ढूँढ़ते वो तुझे 
पहचानते ही नहीं अब लोग तनहा मुझे 
मेरी निगाहों में भी है ढूँढ़ते वो तुझे 
तुम मेरे इश्क की सर-ज़मीं बन गए

हाँ हसी बन गए 
हाँ नमी बन गए
तुम मेरे आसमां 
मेरी ज़मीन बन गए 


फिल्म - हमारी अधूरी कहानी
गाना - हमनवा  

संगीतकार - मिथुन
गीतकार - सईद कादरी 


ऐ हमनवा मुझे अपना बना ले
सूखी पड़ी दिल की इस ज़मीन को भीगा दे 

हूँ अकेला..ज़रा हाथ बढ़ा दे 
सूखी पड़ी दिल की इस ज़मीन को भीगा दे 

कब से मैं दर दर दिर रहा 
मुसाफिर दिल को पनाह दे 
तू आवारगी को मेरी आज ठहरा दे 
हो सके तो थोडा प्यार जाता दे 
सूखी पड़ी इस दिल की ज़मीन को भीगा दे 

मुरझाई सी साख पे दिल की 
फूल खिलते हैं क्यों
बात गुलों की ज़िक्र महक का 
अच्छा लगता है क्यों 
उन रंगों से तूने मिलाया 
जिनसे कभी मैं मिल न पाया 

दिल करता है तेरा शुक्रिया 
फिर से बहारे तू ला दे 
दिल का सूना बंजर महका दे 
सूखी पड़ी दिल की इस ज़मीन को भीगा दे 

हूँ अकेला ज़रा हाथ बढ़ा दे 
सूखी पड़ी दिल की इस ज़मीन को भीगा दे 

वैसे तो मौसम गुज़रे हैं 
ज़िन्दगी में कई 
पर अब ना जाने क्यों मुझे वो 
लग रहे हैं हसीं 

तेरे आने पर जाना मैंने 
कहीं न कहीं जिंदा हूँ मैं 
जीने लगा हूँ मैं अब ये फिजायें 
चेहरे को छूती हवाएं 

इनकी तरह दो कदम तो बढ़ा ले 
सूखी पड़ी दिल की इस ज़मीन को भीगा दे 
हूँ अकेला ज़रा हाथ बढ़ा दे 
सूखी पड़ी इस दिल की ज़मीन को भीगा दे

--

फिल्म - हमारी अधूरी कहानी
गाना - ये कैसी जगह ले आये  

संगीतकार - जीत गाँगुली 
गीतकार - रश्मि विराग  

गायक - दीपाली साथे 

ये कैसी जगह ले आये हो तुम 
ये कैसी नयी दिल गाये है धुन 
मैं मीरा सी दीवानी हो गयी 
इस दुनिया से बेगानी हो गयी 

मेरे होटों पे जो भटके 
कई जन्मों की प्यास है 
मेरे अमृत का वो प्याला बस तेरे पास है 
ये कैसी जगह ले आये हो तुम
ये कैसी नयी दिल गाये है धुन 

रात मेरी आँखों आँखों में कट गयी 
रौशनी में तेरी सुबह सी हो गयी 
रात मेरी आँखों आँखों में कट गयी 
रौशनी में तेरी सुबह सी हो गयी 
चेहरा हूँ मैं, मेरा रूप हो तुम 
ये कैसी जगह ले आये हो तुम 

आज उस खुदा से मुझे कुछ न चाहिए 
सिर्फ तेरे आगे सर झुकना चाहिए 
आज उस खुदा से मुझे कुछ न चाहिए 
सिर्फ तेरे आगे सर झुकना चाहिए 

--


फिल्म - हमारी अधूरी कहानी
गाना - हमारी अधूरी कहानी..  

संगीतकार - जीत गाँगुली 
गीतकार - रश्मि विराग  

गायक - दीपाली साथे 

पास आये 
दूरियां फिर भी कम न हुई 
एक अधूरी सी हमारी कहानी रही 
आसमान को ज़मीन ये जरूरी नहीं 
जा मिले..जा मिले 
इश्क सच्चा वही 
जिसको मिलती नहीं मंजिलें..मंजिलें..
रंग था नूर था 
जब करीब तू था
एक जन्नत सा था, ये जहाँ 
वक़्त की रेट पे कुछ मेरे नाम सा 
लिख के छोड़ गया तू कहाँ...
हमारी अधूरी कहानी 
हमारी अधूरी कहानी ..

हमारी अधूरी कहानी 
हमारी अधूरी कहानी ..

खुशबु से तेरी युहीं टकरा गए
चलते चलते देखो न हम कहाँ आ गए 

जन्नतें अगर यहीं 
तू दिखे क्यों नहीं 
चाँद सूरज सभी है यहाँ
इंतजार तेरा सदियों से कर रहा 
प्यासी बैठी है कब से यहाँ 

हमारी अधूरी कहानी 
हमारी अधूरी कहानी 

प्यास का ये सफ़र खत्म हो जाएगा 
कुछ अधुरा सा जो था पूरा हो जाएगा 

झुक गया आसमान 
मिल गए दो जहाँ  
हर तरफ है मिलन का शमां 
डोलियाँ हैं सजी,खुशबुएँ हर कहीं 
पढने आया खुदा खुद यहाँ 

हमारी अधूरी कहानी 
हमारी अधूरी कहानी

गुड्डू रंगीला

फिल्म - गुड्डू रंगीला
गाना - सूइयां सूइयां
संगीतकार - अमित त्रिवेदी
गीतकार - इरशाद कामिल
गायक - गजेन्द्र फोगत  


कल रात माता का मुझे ईमेल आया है 
माता ने मुझको 
माता ने मुझको फेसबुक पे बुलाया है 
कल रात माता का मुझे ईमेल आया है
कल रात माता का मुझे ईमेल आया है 

चैटिंग शैटिंग करेंगे 
माता से फोटो शेयर करेंगे 
प्रोफिल पिक्चर में माता ने शेर लगाया है 

कल रात माता का मुझे ईमेल आया है 
WWW हो...WWW...
सारे बोलो
WWW हो...,,,WWW...
माता डॉट कॉम माता की वेबसाइट है 
WWW ho... WWW
है दुष्टों से बचने को 
दुष्टों से बचने को....
एंटीवायरस लगाया है

कल रात माता का मुझे ईमेल आया है 
माता ने मुझको..
माता ने मुझको फेसबुक पे बुलाया है 
कल रात माता का मुझे ईमेल आया है
कल रात माता का मुझे ईमेल आया है 



---

फिल्म - गुड्डू रंगीला
गाना - सूइयां सूइयां
संगीतकार - अमित त्रिवेदी
गीतकार - इरशाद कामिल
गायक - अरिजीत सिंह, चिन्मयी श्रीपदा 

दिल मर्द जात है 
बदमाश बात है 
सोचो क्या..सोचूं मैं ?

सर्दी की रात है
एक आग साथ है 
सोचो क्या...सोचु मैं 

दो लफ़्ज़ों की चिंगारियां 
होटों से न छोडो 
यूं बेशर्मी की राह पे 
बातों को न मोड़ो,,,हाय 

हो तन में सूइयां सूइयां सी 
सूइयां सूइयां सी...
अब तो लगी चुभने 
हो तन में सूइयां सूइयां सी 
सूइयां सूइयां सी
लगी लगी चुभने... 

तुझे बहती हवा जो सहलाए रे हाय 
दिल जल के धुंआ हो जाए रे 
मैं तो खुद से खफा हूँ 
मेरी जवानी तेरा ज़रा भी क्यू न 
काम आये रे...हाय रे 
तरसाए रे...हाय रे..

यूं गलत पते पे चिट्ठियां 
भेजूं मैं नैनो की 
तुझे महंगा पड़ेगा जो ये 
हरकत न तूने रोकी 


हो तन में सूइयां सूइयां सी 
सूइयां सूइयां सी 
क्यों है लगी चुभने 
हो तन में सूइयां सूइयां सी 
सूइयां सूइयां सी 
यूं ही लगी चुभने 

बदमाश साथ है 
आगे हवालात है 
सोचो क्या...सोचूं मैं?

सर्दी की रात है 
एक आग साथ है
सोचो क्या..सोचूं मैं?

--

फिल्म - गुड्डू रंगीला
गाना - साहेबान
संगीतकार - अमित त्रिवेदी
गीतकार - इरशाद कामिल 


मेरा है जो भी तू साहेबान
था भी तू...है भी तू..

चलते चलते उड़ना चाहूँ तुमको लेकर 
तुमको ले लूं इस दुनिया से खुद को देकर 

मेरा है जो भी तू साहेबान
था भी तू...है भी तू..

ओ जब तक मैं तेरा न हुआ था 
जैसे की हारा सा जुआ था 
माटी ये मेरी हुई सोना 
तूने जब आँखों से छुआ था 

तेरा गहना पहना
तेरे होक रहना 
झूठा है वो इश्का 
जिसकी कोई ते न 
तुमसा मैं हु बा हु 

मेरा है जो भी तू साहेबान
था भी तू...है भी तू..



द बेस्ट ऑफ़ ग़ज़ल - दाग देहलवी

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था - गुलाम अली 

तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था
न था रक़ीबतो आख़िर वो नाम किस का था

वो क़त्ल कर के हर किसी से पूछते हैं
ये काम किस ने किया है ये काम किस का था

वफ़ा करेंगे ,निबाहेंगे, बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था

रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा
मुक़ीम कौन हुआ है मुक़ाम किस का था

न पूछ-ताछ थी किसी की वहाँ न आवभगत
तुम्हारी बज़्म में कल एहतमाम किस का था

हमारे ख़त के तो पुर्जे किए पढ़ा भी नहीं
सुना जो तुम ने बा-दिल वो पयाम किस का था

इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर
जो लुत्फ़ आप ही करते तो नाम किस का था

तमाम बज़्म जिसे सुन के रह गई मुश्ताक़
कहो, वो तज़्किरा-ए-नातमाम किसका था

गुज़र गया वो ज़माना कहें तो किस से कहें
ख़याल मेरे दिल को सुबह-ओ-शाम किस का था

अगर्चे देखने वाले तेरे हज़ारों थे
तबाह हाल बहुत ज़ेरे-बाम किसका था

हर इक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला
ये पूछे इन से कोई वो ग़ुलाम किस का था





लुत्फ़ इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है - फरीदा ख़ानुम 

लुत्फ़ इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है
रंज भी इतने उठाए हैं कि जी जानता है
जो ज़माने के सितम हैं वो ज़माना जाने
तूने दिल इतने दुखाए हैं कि जी जानता है
तुम नहीं जानते अब तक ये तुम्हारे अंदाज़
वो मेरे दिल में समाए हैं कि जी जानता है

इन्हीं क़दमों ने तुम्हारे इन्हीं क़दमों की क़सम
ख़ाक में इतने मिलाए हैं कि जी जानता है

दोस्ती में तेरी दरपर्दा हमारे दुश्मन
इस क़दर अपने पराए हैं कि जी जानता है






पुकारती है ख़ामोशी मेरी फ़ुगां की तरह - हेमलता 

पुकारती है ख़ामोशी मेरी फ़ुगां की तरह
निगाहें कहती हैं सब राज़-ए-दिल ज़ुबां की तरह

जला के दाग़-ए-मुहब्बत ने दिल को ख़ाक किया
बहार आई मेरे बाग में ख़िज़ां की तरह

तलाश-ए-यार में छोड़ी न सर-ज़मीं कोई
हमारे पांव में चक्कर हैं आसमां की तरह

अदा-ए-मत्लब-ए-दिल हमसे सीख जाए कोई
उन्हें सुना ही दिया हाल दास्तां की तरह





ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया - गुलाम अली 

ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया

दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
उल्टी शिकायतें रही एहसान तो गया

अफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो जिल्लतें हुईं
लेकिन उसे जता तो दिया, जान तो गया

देखा है बुतकदे में जो ऐ शेख कुछ न पूछ
ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया

डरता हूँ देख कर दिल-ए-बेआरज़ू को मैं
सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान तो गया

क्या आई राहत आई जो कुंज-ए-मज़ार में
वो वलवला वो शौक़ वो अरमान तो गया

गो नामाबर से कुछ न हुआ पर हज़ार शुक्र
मुझको वो मेरे नाम से पहचान तो गया

बज़्म-ए-उदू में सूरत-ए-परवाना मेरा दिल
गो रश्क़ से जला तेरे क़ुर्बान तो गया

होश-ओ-हवास-ओ-ताब-ओ-तवाँ 'दाग़' जा चुके
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया




ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया - मेहँदी हसन 

ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया
तमाम रात क़यामत का इन्तज़ार किया

हंसा हंसा के शब-ए-वस्ल अश्क-बार किया
तसल्लिया मुझे दे-दे के बेकरार किया

हम ऐसे मह्व-ए-नज़ारा न थे जो होश आता
मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया

फ़साना-ए-शब-ए-ग़म उन को एक कहानी थी
कुछ ऐतबार किया और कुछ ना-ऐतबार किया

ये किसने जल्वा हमारे सर-ए-मज़ार किया
कि दिल से शोर उठा, हाए! बेक़रार किया

तड़प फिर ऐ दिल-ए-नादां, कि ग़ैर कहते हैं
आख़िर कुछ न बनी, सब्र इख्तियार किया

भुला भुला के जताया है उनको राज़-ए-निहां
छिपा छिपा के मोहब्बत के आशकार किया

तुम्हें तो वादा-ए-दीदार हम से करना था
ये क्या किया कि जहाँ के उम्मीदवार किया

ये दिल को ताब कहाँ है कि हो मालन्देश
उन्हों ने वादा किया हम ने ऐतबार किया

न पूछ दिल की हक़ीकत मगर ये कहते हैं
वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया

कुछ आगे दावर-ए-महशर से है उम्मीद मुझे
कुछ आप ने मेरे कहने का ऐतबार किया





न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओ - ताहिरा सायेद 

न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओ
कि जी न चाहे तो नाचार देखते जाओ

बहार-ए-उमर् में बाग़-ए-जहाँ की सैर करो
खिला हुआ है ये गुलज़ार देखते जाओ

उठाओ आँख, न शरमाओ ,ये तो महिफ़ल है
ग़ज़ब से जानिब-ए-अग़यार देखते जाओ

हुआ है क्या अभी हंगामा अभी कुछ होगा
फ़ुगां में हश्र के आसार देखते जाओ

तुम्हारी आँख मेरे दिल से बेसबब-बेवजह
हुई है लड़ने को तय्यार देखते जाओ

न जाओ बंद किए आँख रहरवान-ए-अदम
इधर-उधर भी ख़बरदार देखते जाओ 

कोई न कोई हर इक शेर में है बात ज़रूर
जनाबे-दाग़ के अशआर देखते जाओ

नीलकमल (1968)

फिल्म - नीलकमल 
गाना - मेरे रोम रोम में बसने वाले राम 
गीतकार : साहिर लुधियानवी
गायक : आशा भोसले
संगीतकार : रवी 

हे रोम रोम में बसनेवाले राम
हे रोम रोम में बसनेवाले राम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

आस का बंधन तोड़ चुकी हूँ
तुझपर सबकुछ छोड़ चुकी हूँ
आस का बंधन तोड़ चुकी हूँ
तुझपर सबकुछ छोड़ चुकी हूँ
नाथ मेरे मैं क्यो कुछ सोचू
नाथ मेरे मैं क्यो कुछ सोचू
 तू जाने तेरा काम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

तेरे चरण की धूल जो पाये
वो कंकर हीरा हो जाये
तेरे चरण की धूल जो पाये
वो कंकर हीरा हो जाये
भाग मेरे जो मैने पाया, इन चरणों में धाम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

भेद तेरा कोई क्या पहचाने
जो तुझसा हो, वो तुझे जाने
भेद तेरा कोई क्या पहचाने
जो तुझसा हो, वो तुझे जाने
तेरे किये को हम क्या देवे
तेरे किये को हम क्या देवे
भले बुरे का नाम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

यूट्यूब पर देखें 

फिल्म - नीलकमल 
गाना - तुझको पुकारे मेरा प्यार 
गीतकार : साहिर लुधियानवी
गायक : मोहम्मद राफी 
संगीतकार : रवी 

आजा तूझको पुकारे मेरा प्यार

आजा, मैं तो मिटा हूँ तेरी चाह में
तुझको पुकारे मेरा प्यार

दोनो जहाँ की भेंट चढ़ा दी मैने राह में तेरी
अपने बदन की खाक़ मिला दी मैने आह में तेरी
अब तो चली आ इस पार
आजा मैं तो मिटा हूँ ...

इतने युगों से इतने दुखों को कोई सह ना सकेगा
मेरी क़सम मुझे तू है किसीकी कोई कह ना सकेगा
मुझसे है तेरा इक़रार
आजा, मैं तो मिटा हूँ ...

आखिरी पल है आखिरी आहें तुझे ढूँढ रही हैं
डूबती साँसें बुझती निगाहें तुझे ढूँढ रही हैं
सामने आजा एक बार
आजा, मैं तो मिटा हूँ ...

यूट्यूब पर देखें 

फिल्म - नीलकमल 
गाना - बाबुल की दुआयें लेती जा  
गीतकार : साहिर लुधियानवी
गायक : मोहम्मद राफी 
संगीतकार : रवी 

बाबुल की दुआयें लेती जा, जा तुझ को सुखी संसार मिले 
मयके की कभी ना याद आए, ससुराल में इतना प्यार मिले 

 नाज़ों से तुझे पाला मैंने, कलियों की तरह फूलों की तरह 
बचपन में झुलाया हैं तुझको, बाहों ने मेरी झुलों की तरह 
मेरे बाग की ऐ नाज़ूक डाली, तुझे हरपल नयी बहार मिले 

जिस घर से बँधे हैं भाग तेरे, उस घर में सदा तेरा राज रहे 
होठों पे हँसी की धूप खिले, माथे पे खुशी का ताज रहे 
कभी जिसकी ज्योत ना हो फ़िकी, तुझे ऐसा रूप सिंगार मिले 

बीते तेरे जीवन की घड़ीयां, आराम की ठंडी छाँव में 
कांट़ा भी ना चुभने पाये कभी, मेरी लाडली तेरे पाँव में 
उस द्वार से भी दुःख दूर रहे, जिस द्वार से तेरा द्वार मिले


दो बदन(1966)

फ़िल्म-दो बदन (1966)
संगीतकार- रवि
गीतकार-शक़ील 
गायक- लता मंगेशकर

लो आ गयी उनकी याद, वो नहीं आये
लो आ गयी उनकी याद, वो नहीं आये

दिल उनको ढूँढता  हैं, ग़म का  सिंगार कर के
आँखें भी थक गयी हैं, अब इंतज़ार कर के
आँखें भी थक गयी हैं, अब इंतज़ार कर के
इक साँस रह गयी है, वो भी न टूट जाये
लो आ गयी उनकी याद, वो नहीं आए

रोती  हैं आज हम पर , तनहाइयाँ हमारी
रोती  हैं आज हम पर , तनहाइयाँ हमारी
वो भी न पाये शायद, परछाइयाँ हमारी
बढ़ते ही जा रहे हैं, मायूसियों के साये
लो आ गयी उनकी याद वो नहीं आए

लौ थरथरा रही है, अब शम्म--ज़िंदगी  की
उजड़ी हुई मुहब्बत, महमाँ है दो घड़ी की
उजड़ी हुई मुहब्बत, महमाँ है दो घड़ी की
मर कर ही अब मिलेंगे, जी कर तो मिल न पाये
लो आ गयी उनकी याद वो नहीं आए
लो आ गयी उनकी याद वो नहीं आए
फ़िल्म-दो बदन (1966)
गाना - जब चली ठंडी हवा 
संगीतकार- रवि
गीतकार-शक़ील 

गायक- आशा भोंसले 


जब चली ठंडी हवा, जब उठी काली घटा
मुझको ऐ जान-ए-वफ़ा तुम याद आए

जिन्दगी की दास्तां, चाहे कितनी हो हसीं
 बिन तुम्हारे कुछ नहीं
क्या मजा आता सनम, आज भूले से कही
तुम भी आ जाते यही

ये बहारें ये फिज़ा, देखकर ओ दिलरुबा
जाने क्या दिल को हुआ, तुम याद आये
 ये नज़ारे ये समा और फिर इतने जवाँ
 हाए रे ये मस्तियाँ
ऐसा लगता है मुझे जैसे तुम नजदीक हो
इस चमन से जान-ए-जाँ
 सुन के पी पी की सदा,
दिल धड़कता है मेरा आज पहले से सिवा,
तुम याद आये

यूट्यूब पर देखें 

फ़िल्म-दो बदन (1966)
गाना - रहा गर्दिशों में हरदम  
संगीतकार- रवि
गीतकार-शक़ील 

गायक- मोहम्मद रफ़ी  


रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क का सितारा 
कभी डगमगाई कश्ती, कभी खो गया किनारा 

 कोई दिल के खेल देखे, के मोहब्बतो की बाजी 
वो कदम कदम पे जीते, मैं कदम कदम पे हारा 

 ये हमारी बदनसीबी जो नहीं तो और क्या है 
के उसीके हो गये हम, जो ना हो सका हमारा 

पड़े जब ग़मों से पाले, रहे मिटके मिटनेवाले 
जिसे मौत ने ना पूछा, उसे जिन्दगी ने मारा


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वो भूली दास्तां, लो फिर याद आ गयी


फिल्म-संजोग 
संगीतकार- मदन मोहन
गीतकार-राजेन्द्र कृष्ण 
गायक- लता मंगेशकर

वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई
नज़र के सामने घटा सी छा गयी
नज़र के सामने घटा सी छा गयी
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी

कहाँ से फिर चले आये, ये  कुछ भटके हुए साये
ये कुछ भूले हुए नग़मे, जो मेरे प्यार ने गाये
ये कुछ बिछुड़ी हुई यादें, ये कुछ टूटे हुए सपने 
पराये हो गये तो क्या, कभी ये भी तो थे अपने
न जाने इनसे क्यों मिलकर, नज़र शर्मा गयी
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी

उम्मीदों के हंसी मेले, तमन्नाओं के वो रेले
निगाहों ने निगाहों से, अजब कुछ खेल से खेले
हवा में ज़ुल्फ़ लहराई, नज़र पे बेखुदी छाई
खुले थे दिल के दरवाज़े, मुहब्बत भी चली आई
तमन्नाओं की दुनिया पर, जवानी छा गयी
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी

बड़े रंगीन ज़माने थे, तराने ही तराने थे
मगर अब पूछता है दिल, वो दिन थे या फ़साने थे
फ़क़त इक याद है बाकी, बस इक फ़रियाद है बाकी
वो खुशियाँ लुट गयी लेकिन, दिल--बरबाद है बाकी
कहाँ थी ज़िन्दगी मेरी, कहाँ पर आ गयी


वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई

नज़र के सामने घटा सी छा गयी
नज़र के सामने घटा सी छा गयी
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी



फिल्म-संजोग 
संगीतकार- मदन मोहन
गीतकार-राजेन्द्र कृष्ण 
गायक- लता मंगेशकर, मुकेश 


एक मंजिल राही दो फिर प्यार ना कैसे हो
 साथ मिले जब दिल को फिर प्यार ना कैसे हो 

 हम भी वो ही हैं, दिल भी वो ही हैं, धड़कन मगर नई हैं 
 देखो तो मीत, आँखों में प्रीत, क्या रंग भर गयी हैं निकले हैं 

धून में, अपनी लगन में मंजिल बुला रही हैं 
 ठंडी हवा भी अब तो मिलन के नग्मे सुना रही हैं 

 देखो वो फूल, दुनियाँ से दूर, आकर कहा खिला हैं 
 मेरी तरह ये खुश हैं जरूर इसको भी कुछ मिला हैं


फिल्म-संजोग 
संगीतकार- मदन मोहन
गीतकार-राजेन्द्र कृष्ण 
गायक- लता मंगेशकर

बदली से निकला है
चाँद परदेसी पिया लौट के तू घर आजा 

 पूछे पता तेरा ठंडी हवायें 
 चुप मुझे देख के चुप हो जाये 
 लाये तो कैसे तुझे ढूँढ के लाये 

 आ के गुजर गयी कितनी बहारें 
 और बरस गयी कितनी पुहारें 
 आ जा तुझे हम कब से पुकारे