माया मेमसाहब

फिल्म - माया मेमसाहब 
संगीत - हृदयनाथ मंगेशकर
गीतकार - गुलज़ार
गायक - लता मंगेशकर
गाना - ओ दिल बंजारे 

ओ दिल बंजारे, जा रे
खोल डोरियाँ सब खोल दे
ओ दिल बंजारे

धूप से छनती छाँव
ओक में भरना चाहूँ
आँख से छनते सपने
होंठ से चखना चाहूँ
ये मन संसारी, बोले
एक बार तो अब डोल दे
ओ दिल बंजारे…

रात का बीता सपना
दिन में दिल दोहराए
जाने कौन है आकर
साँसों को छू जाए
ये दिल अनजाना, बोले
एक बार तो लब खोल दे
ओ दिल बंजारे…



गाना  - मेरे सिरहाने जलाओ सपने 
गायक - लता मंगेशकर

मेरे सरहाने जलाओ सपने            
मुझे ज़रा सी तो नींद आये
मेरे सरहाने जलाओ सपने   ...

ख़याल चलते हैं आगे आगे
मैं उनकी छँव में चल रही हूँ
न जाने किस मोम से बनी हूँ
जो क़तरा क़तरा पिघल रही हूँ
मैं सहमी रहती हूँ नीन.द में भी
कहीँ कोई ख़्वाब डस न जाये
मेरे सर्हाने जलाओ सपने   ...

कभी बुलाता है कोई साया
कभी उड़ाती है धूल कोई
मैं एक भटकी हुई सी खुशबू
तलाश करती हूँ फूल कोई
ज़रा किसी शाख़ पर तो बैठूँ
ज़रा तो मुझको हवा झुलाये
मेरे सर्हाने जलाओ सपने   ...



गाना - खुद से बातें करते रहना, बातें करते रहना 
गायक -लता मंगेशकर 

खुद से बातें करते रहना, बातें करते रहना
ओ, आँखें मीचे दिन में मीठी रातें करते रहना
खुद से बातें   ...

खुद से कहना जाती हूँ मैं
खुद से कहना आई मैं
ऐसा भी होता है न
हल्की सी तन्हाई में
तन्हाई में तसवीरों के चेहरे भरते रहना
खुद से बातें   ...

भीगे भीगे मौसम में क्यों
बरखा प्यासी लगती है
जी तो खुश होता है लेकिन
एक उदासी लगती है
ऐं वैं ही बस रूठी खुद से
ऐं वैं मनते रहना
खुद से बातें   ...

गाना -  इस दिल में बस कर देखो तो ये शहर बड़ा पुराना है
गायक -लता मंगेशकर

इस दिल में बस कर देखो तो
ये शहर बड़ा पुराना है
हर साँस में कहानी है
हर साँस में अफ़साना है
ये शहर बड़ा पुराना है   ...

ये बस्ती दिल की बस्ती है
कुछ द.द्र है, कुछ रुसवाई है
ये कितनी बार उजाड़ी है
ये कितनी बार बसायी है
ये शहर बड़ा पुराना है   ...

ये जिस्म है कच्ची मिट्टी का
भर जाये तो रिसने लगता है
बाहों में कोई थामें तो
आग़ोश में घिरने लगता है
ये शहर बड़ा पुराना है   ...

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