फिल्म हैदर के दोनों गाने


आज की शाम कलाम-ए-मोहब्बत पर सुनिए दो बेहतरीन नए गीत जिसे लिखा है गुलज़ार साहब ने और संगीत दिया है विशाल भरद्वाज ने. ये विशाल भरद्वाज की नयी फिल्म "हैदर" के दो गीत हैं. इस फिल्म के बाकी गीत अभी तक रिलीज नहीं किये गए हैं, सिर्फ यही दो गीत अभी तक रिलीज किये हैं. दोनों ही गीतों में काश्मीर का फ्लेवर आप महसूस कर सकते हैं.

पहला गाना है, "बिस्मिल" जिसे कश्मीर के सूर्य मंदिर में फिल्माया गया है. फिल्म के मुख्य एक्टर शाहिद कपूर ने कहा, कि ये उनके अब तक के फ़िल्मी कैरिअर का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे अलग गीत है. इस गीत को फिल्माने में भी बहुत मेहनत करनी पड़ी थी. इस गीत में एक कहानी कही गयी है, दो प्रेमियों की कहानी. इसे गया है सुखविंदर सिंह ने. दूसरा गाना है, विशाल ददलानी की आवाज़ में, "आओ न..."


गाना - बिस्मिल बिस्मिल बुलबुल-ए-बिस्मिल - Bismil Bismil
फिल्म - हैदर - Haidar -
गीतकार : गुलज़ार
संगीतकार : विशाल भरद्वाज
गायक : सुखविंदर सिंह 

बिस्मिल बिस्मिल बुलबुल-ए-बिस्मिल
मत मिल, मत मिल, गुल से मत मिल
बिस्मिल बिस्मिल बुलबुल-ए-बिस्मिल
मत मिल, मत मिल, गुल से मत मिल
बिस्मिल बिस्मिल बुलबुल-ए-बिस्मिल
ऐ-दिल-ए-बुलबुल बुलबुल-ए-बिस्मिल 
मुश्किल-ए-दिल भी मुश्किल होती है

दिल धड़के, दिल दिल धड़के तो
दिल धड़के, दिल दिल धड़के तो
धड़कन-ए-दिल भी हरकत-ए-दिल होती हैं
खुशबु-ए-गुल में इश्क भरा है  
मत मिल, मत मिल, गुल से मत मिल
ऐ बुलबुल-ए-बिस्मिल
मत मिल, मत मिल, गुल से मत मिल
ऐ बुलबुल-ए-बिस्मिल

हो सुन ले ज़माना समझाता हूँ
तेरी कहानी दोहराता हूँ
ऐ-दिल-ए-बुलबुल बुलबुल-ए-बिस्मिल
ऐ-दिल-ए-बुलबुल बुलबुल-ए-बिस्मिल 

एक जोड़ा था, नर-मादा का 
भोली थी बुलबुल, नर सादा था 
एक जोड़ा था, नर-मादा का 
भोली थी बुलबुल, नर सादा था 
बर्फ गिरी करती थी जब 
भर जाती थी कोहसारों में 

एक बाज़ बड़ा बदनीयत था 
हाँ एक बाज़ बड़ा बदनीयत था 
उड़ता था सब सब्ज़ जारों में  
पंखों में उसके मौत छुपी थी 
महफ़िल महफ़िल ढूंढ रहा था 
महलों की मंजिल  
महफ़िल महफ़िल ढूंढ रहा था 
महलों की मंजिल  

बुलबुल के ख्वाबों में जाकर 
ज़हर के डंक लगाये थे 
खुशबू-ए-गुल में ज़हर भरा 
और मादा को भिजवाये थे 
ज़हर के डंक लगाए थे 
बुलबुल के ख्वाबों में जाकर 
मादा को भिजवाये थे  
ज़हर के डंक लगाए थे 
ओ वादी में छिड़का  बारूद 
झील में जाल बिछा डाले 
छुरियों से बेचारे नर के 
छुरियों से बेचारे नर के
दोनों पंख कटा डाले

अरे दिल दिल दिल दिल झूठ कहे ये
झूठ कहे बुजदिल..
मत मिल, मत मिल, गुल से मत मिल
ऐ-बुलबुल-ए-बिस्मिल
ऐ-बुलबुल-ए-बिस्मिल 

ज़ख़्मी नर को कैद किया
कैद किया..कैद किया..
जंजीरों में बंधवाया
बारामुला के शीरी पुल से
फिर पानी में फेंकवाया
झेलम झेलम लाल लाल हुआ
लाल लाल हुआ लाल
झेलम झेलम लाल लाल हुआ
लाल लाल हुआ लाल
कश्मीर के पानी की तासीरें
खुल गयी जंजीरें, तकदीरें 

जिंदा है वो जिंदा होगा 
मुजरिम फिर शर्मिंदा होगा 
जिंदा है वो जिंदा होगा 
मुजरिम फिर शर्मिंदा होगा 
जिंदा है वो जिंदा होगा 
मुजरिम फिर शर्मिंदा होगा 

होश में आजा, होश में आजा 
ऐ-बुलबुल-ए-बिस्मिल
ऐ-बुलबुल-ए-बिस्मिल 
खुशबु ए-गुल में ज़हर भरा है
होश में आजा होश में आजा
ऐ-बुलबुल-ए-बिस्मिल..
होश में आजा होश में आजा 
ऐ-बुलबुल-ए-बिस्मिल..



गाना - आओ न - Aao na 
फिल्म - हैदर - Haidar -
गीतकार : गुलज़ार
संगीतकार : विशाल भरद्वाज
गायक : विशाल ददलानी  

जलेगी जलेगी जलेगी
दिए से जल रही सारी ज़िदगी, ओ..
जलेगी जलेगी जलेगी,
दिए से जल रही सारी ज़िदगी, ओ

नहीं बुझे, बुझे नहीं 
हवा से बुझे नहीं सारी ज़िन्दगी, ओ.. 

एक फूंक से मियाँ , सब उड़ गया धुंआ 
वो जो सांस की, एक फाँस थी 
वो निकल गयी, जो खराश थी 
अमाँ सीने की, वो खलिश गयी 
बेकरारियाँ..बीमारियाँ गयी 

अब तो आओ...
जान मेरी, सो भी जाओ 
अरे आओ न
कि जाँ गयी, जहाँ गया..
खो जाओ..
अरे आयो न,
के थक गयी, है ज़िन्दगी 
सो जाओ... 

अरे आओ न
कि जाँ गयी, जहाँ गया..
खो जाओ..
अरे आयो न,
के थक गयी, है ज़िन्दगी 


सो जाओ... 

ना चाँद न सवेरा, अँधेरा ही अँधेरा..
ना चाँद न सवेरा, अँधेरा ही अँधेरा..
है रूहों का बसेरा, सो जाओ..

हवा थे हवा थे हवा 
हवा थे हवा हुए बाकी तो खला 
हवा थे हवा थे हवा 



हवा थे हवा हुए 
बाकी तो खला 
कभी थे तो कभी नहीं 
कभी देखा भी नहीं,
बाकी तो खुदा, ओ...

ये था अजल से था, उसके फज़ल से था 
बड़ा काम था, जो ज़मीन पर 
वो तो लिख दिया न ज़बींन पर
जो गुज़र गयी वो गुज़र गयी 
बेवजह यहाँ न रहो मियाँ
चलो मियाँ,  
सब्र ले लो...कब्र ले लो 
घर में आओ... 

अरे आओ न
कि जाँ गयी, जहाँ गया..
खो जाओ..
अरे आयो न,
के थक गयी, है ज़िन्दगी 
सो जाओ...



इन दोनों गानों को आप चाहे तो यहाँ से डाउनलोड कर के सुन सकते हैं.

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गुलज़ारियत भरे लम्हे-2 (नज्में)



गुलज़ार साब की ज़िंदगी में ही क्या, हम में  से हर एक के जीवन में जाने कितने दिन बस एक दिन होने भर का अहसास करा के निकल जाते हैं, पर उन्हें किसी कबाड़ी की दुकान पर बिकने  या रास्तों पर यूँ ही पैरों से ठुकराए जाने वाले खाली...बेकार डिब्बे से तुलना कर पाना सिर्फ गुलज़ार साब के ही वश की बात है...|

एक और दिन 

खाली डिब्बा है फ़क़त, खोला हुआ चीरा हुआ
यूँ ही दीवारों से भिड़ता हुआ, टकराता हुआ
बेवजह सड़कों पे बिखरा हुआ, फैलाया हुआ
ठोकरें खाता हुआ खाली लुढ़कता डिब्बा

यूँ भी होता है कोई खाली-सा बेकार-सा दिन
ऐसा बेरंग-सा बेमानी-सा बेनाम-सा दिन




ऊपर से खुशनुमा नज़र आने वाले जाने कितने लोग अन्दर ही अन्दर  अपने ग़मों की  स्याह क़ब्रों में खामोश मौत मर जाते हैं और पता भी नहीं चलता...सिवाय गुलज़ार साहब की पारखी नज़रों के...|

कब्रें

कैसे चुपचाप ही मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ
जिस्म की ठंडी सी
तारीक सियाह कब्र के अन्दर !
ना किसी साँस की आवाज़
ना  सिसकी कोई
ना कोई आह, ना जुम्बिश
ना ही आहट कोई

ऐसे चुपचाप ही मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ
उनको दफनाने की ज़हमत भी उठानी नहीं पड़ती !






उम्र के गुजरने के साथ उपजा अकेलापन और दर्द कितनी दयनीयता से अपने जज़्बात बांटने के लिए जवान कन्धों की तलाश करता है, इसे कितनी ख़ूबसूरती से इन पंक्तियों में उकेरा है...देखिए तो ज़रा...|

लैंडस्केप

दूर सुनसान-से साहिल के क़रीब
इक जवाँ पेड़ के पास
उम्र के दर्द लिए, वक्त का मटियाला दुशाला ओढ़े
बूढा-सा  पाम का इक पेड़ खडा है कब से
सैकड़ों सालों की तन्हाई के बाद
झुक के कहता है जवाँ पेड़ से: `यार,
सर्द सन्नाटा है, तन्हाई है,
कुछ बात करो '



और देखिए तो...एक जाते साल को इस नज़र से क्या देखा है किसी और ने...?

आहिस्ता-आहिस्ता

आहिस्ता-आहिस्ता आख़िर पूरी बोतल ख़त्म हुई
घूँट-घूँट ये साल पीया है
तल्ख़ ज़्यादा, तेजाबी और आतिशीं कतरे
होंठ अभी तक जलते हैं !












गुलज़ारियत भरे लम्हें - १



गुलज़ार...एक ऐसी शख़्सियत जिसके बारे में कुछ भी कहना जैसे किसी खुश्बू को बयान करना हो...जैसे धूप की गमक को नाम देना हो...जैसे हवा में बसी उस सकून भरी नमी को ज़ुबान देनी हो...। गुलज़ार साहब अपने में एक मुकम्मल शख़्सियत है...। उनके अन्दाज़े बयां को सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है, उस महसूसन को बयान करना किसी के बूते की बात नहीं...। जब भी वो कुछ कहते हैं...शब्द अपने अर्थ बदल देते हैं...। लफ़्ज़ उतने पुरसकून और हसीन कभी नहीं लगते, जितने उनकी नज़्मों-गीतों और कहानियों में ढल कर लगने लगते हैं...।
सूरज को दिया दिखाने की कोशिश है आज...उम्मीद है पसन्द आएगी...। आज से पूरे हफ्ते कलाम-ए-मोहब्बत पर सफ़र शुरू कर रही हूँ गुलज़ार साहब के चुने हुए नज्मों, कविताओं और गीतों की । आज पेश है आपके सामने, गुलज़ार साहब के ग्यारह नायाब और अनमोल गाने ।


सालगिरह मुबारक गुलज़ार साहब...।


आईये शुरुआत करते हैं मकबूल फिल्म के गाने से.

गाना : तू मेरे रु-ब-रु है
फिल्म : मकबूल
संगीतकार : विशाल भरद्वाज
गीतकार : गुलज़ार
गायक : दलेर मेहँदी 


तू मेरे रु-ब-रु है
मेरी आँखों की इबादत है
ये ज़मीं हैं मोहब्बत की
यहाँ मना है खता करना
सिर्फ सजदे में गिरना है
और अदब से दुआ करना

तू मेरे रु-ब-रु है
बस इतनी इजाज़त दे
क़दमों में जबीं रख दूँ
फिर सर ना उठे मेरा
ये जाँ भी वहीँ रख दूँ

एक बार तो दीदार दे
मेरे सामने रह के भी तू
ओझल है तू
पोशीदा है
मेरे हाल से ख्वाबीदा है

रु-ब-रु पिया
खू ब रु पिया





गाना : कभी चाँद की तरह टपकी
फिल्म : जहाँ तुम ले चलो
संगीतकार : विशाल भरद्वाज
गीतकार : गुलज़ार
गायक : हरिहरन  


कभी चाँद की तरह टपकी, कभी राह में पड़ी पाई
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी
कभी छींक की तरह खनकी, कभी जेब से निकल आई
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी

कभी चेहरे पे जड़ी देखी, कहीं मोड़ पे खड़ी देखी
शीशे के मरतबानों में, दुकान पे पड़ी देखी
चौकन्नी सी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी   ...

तमगे लगाके मिलते है, मासूमियत सी खिलती है
कभी फूल हाथ में लेकर, शाख़ों पे बैठी हिलती है
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी   ...


 


गाना : ये फासले तेरी गलियों के हमसे
फिल्म : मम्मो
संगीतकार : वनराज भाटिया
गीतकार : गुलज़ार
गायक : जगजीत सिंह  


ये फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय न हुए
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले

न जाने कौन सी मट्टी वतन की मट्टी थी
नज़र में धूल जिगर में लिये ग़ुबार चले

ये कैसी सरहदें उलझी हुई हैं पैरों में
हम अपने घर की तरफ़ उठ के बार बार चले

 


गाना : मदभरी ये हवाएं
फिल्म : अनोखा दान
संगीतकार : सलिल चौधरी
गीतकार : गुलज़ार
गायक : लता मंगेशकर  



मदभरी ये हवाएं पास आएं
नाम लेकर मुझको ये बुलाएं
मदभरी ये हवाएं

मैं ने रातों से कर ली दोस्ती तारों के लिये
और चुरा के लिया मैंने ये दिन बहारों के लिये
ऐ ज़मीं आसमां मुझको दो दुआएं
मदभरी ये हवाएं

मैंने लहरों की बाहें थाम कर ढूंढे हैं भंवर
साहिलों पे किसी अजनबी की तलाशी है डगर
काश ले कर उन्हें लहरें लौट आएं
मदभरी ये हवाएं


गाना : एक था बचपन
फिल्म : आशीर्वाद
संगीतकार : वसंत देसाई
गीतकार : गुलज़ार
गायक : लता मंगेशकर  


इक था बचपन, इक था बचपन
छोटा सा नन्हा सा बचपन, इक था बच्पन
बचपन के इक बाबूजी थे, अच्छे सच्चे बाबूजी थे
दोनों का सुंदर था बंधन, इक था बचपन

टेहनी पर चढ़के जब फूल बुलाते थे
हाथ उसके वो टेहनी तक ना जाते थे
बचपन के नन्हे दो हाथ उठाकर वो फूलों से हाथ मिलाते थे
इक था बचपन, इक था बचपन

चलते चलते, चलते चलते जाने कब इन राहों में
बाबूजी बस गये बचपन कि बाहों में
मुट्ठि में बन.द हैं वो सूखे फूल भी
खुशबू है जीने की चाहों में
इक था बचपन, इक था बचपन

होँठों पर उनकी अवाज़ भी है, मेरे होँठों पर उनकी अवाज़ भी
है
साँसों में सौँपा विश्वास भी है
जाने किस मोद पे कब मिल जायेंगे वो, पूछेंगे बचपन का एहसास भी
है
इक था बचपन, इक था बचपन...


गाना : दिन जा रहे हैं
फिल्म : दूसरी सीता
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : गुलज़ार
गायक : लता मंगेशकर  


दिन जा रहे हैं के रातों के साये
अपनी सलीबें आप ही उठाये

जब कोई डूबा रातों का तारा
कोई सवेरा वापस ना आया
वापस जो आये वीरान साये

जीना तो कोई मुश्किल नहीं था
मगर डूबने को साहिल नहीं था
साहिल पे कोई अब तो बुलाये

साँसों की डोरी टूटे ना टूटे
जरा जिंदगी से दामन तो छूटे
कोई ज़िन्दगी के हाथ न आये


गाना : तू जहां मिले
फिल्म : दूसरी सीता
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : गुलज़ार
गायक : आशा भोंसले  


तू जहां मिले मुझे वहीँ मेरे दोनों जहाँ
दोनों जहाँ वही मेरे मिले मुझे तू जहां
तू है तो सब है यहाँ रे
तू जहाँ मिले मुझे वही मेरे दोनों जहाँ

होता नहीं मगर हो जाए ऐसा
अगर तुही नज़र आये तू, जब भी उठे ये नज़र
होता नहीं मगर हो जाए ऐसा
अगर तुही नज़र आये तू, जब भी उठे ये नज़र
तू है तो सब है यहाँ रे
तू जहाँ मिले मुझे वही मेरे दोनों जहाँ
दोनों जहाँ वही मेरे मिले मुझे तू जहाँ

पलकों की छावं तले रहते हैं ये लोग
भले जब कोई होता नहीं आ मिल जाए गले
पलकों की छावं तले रहते हैं ये लोग
भले जब कोई होता नहीं आ मिल जाए गले
तू है तो सब है यहाँ रे
तू जहाँ मिले मुझे वही मेरे दोनों जहाँ
दोनों जहाँ वही मेरे मिले मुझे तू जहाँ


गाना : राह पे रहते हैं
फिल्म : नमकीन
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : गुलज़ार
गायक : किशोर कुमार  


राह पे रहते है, यादों पे बसर करते हैं
खुश रहो एहले वतन  हम तो सफ़र करते हैं

जल गये जो धूंप में तो साया हो गये
आसमान का कोई कोना, ओढ़ा सो गये
जो गुजर जाती है बस उस पे गुजर करते है

उड़ते पैरों के तले जब बहती हैं ज़मीन
मूड के हम ने कोई मंज़िल देखी ही नही
रात दिन राहों पे हम शाम-ओ-सहर करते हैं

ऐसे उजड़े आशियाने तिनके उड़ गये
बस्तियों तक आते आते रस्ते मूड गये
हम ठहर जाये जहाँ उसको शहर करते है


गाना : बड़ी देर से मेघा
फिल्म : नमकीन
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : गुलज़ार
गायक : किशोर कुमार 


बड़ी देर से
बड़ी देर से मेघा बरसा हो रामा
जली कितनी रतियाँ
बड़ी देर से मेघा बरसा

इस पहलू झुलसी तो उस पहलू सोई
सारी रात सुलगी मैं आया न कोई
हाँ
बैठी रही रख के हथेली पे दो अखियाँ
जली कितनी रतियाँ

बड़ी देर से मेघा बरसा हो रामा
जली कितनी रतियाँ
बड़ी देर से मेघा बरसा

थोड़ा सा तेज कभी थोड़ा सा हल्का
रोका ना जाये मुई अखियों का टपका
जागी रही ले के हथेली पे भीगी लड़ियाँ
जली कितनी रतियाँ

बड़ी देर से मेघा बरसा हो रामा
जली कितनी रतियाँ
बड़ी देर से मेघा बरसा


गाना : एक सुबह एक मोड़ पर मैंने कहा उसे रोक कर
फिल्म : हिप हिप हुर्रे
संगीतकार : वनराज भाटिया
गीतकार : गुलज़ार
गायक : येसुदास 


एक सुबह एक मोड़ पर मैं ने कहा उसे रोक कर
हाथ बढ़ा अए ज़िंदगी, आँख मिलाकर बात कर

रोज़ तेरे जीने के लिये
एक सुबह मुझे मिल जाती है
मुरझाती कोई शाम अगर तो
रात कोई खिल जाती है
मैं रोज़ सुबह तक आता हूँ
और रोज़ शुरू करत हूँ सफ़र
हाथ बढ़ा अए ज़िंदगी, आँख मिलाकर बात कर

तेरे हज़ारों चेहरों में
एक चेह्रा है मुझसे मिलता है
आँखों का रंग भी एक सा है
आवाज़ का अंग भी मिलता है
सच पूचो तो हम दो जुड़व हैं
तू शाम मेरी मैं तेरी सहर
हाथ बढ़ा अए ज़िंदगी, आँख मिलाकर बात कर


गाना : जब भी मुड़ के देखता हूँ  
फिल्म : हिप हिप हुर्रे
संगीतकार : वनराज भाटिया
गीतकार : गुलज़ार
गायक : भूपिंदर सिंह 


जब कभी मुड़के देखता हूँ मैं
तुम भी कुछ अजनबी सी लगती हो
मै भी कुछ अजनबी सा लगता हूँ

साथ ही साथ चलते चलते कहीं
हाथ छूटे मगर पता ही नहीं
आँसुओं से भरी सी आँखों में
डूबी डूबी हुई सी लगती हो
तुम बहुत अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुड़के देखता हूँ मैं

हम जहाँ थे वहाँ पे अब तो नहीं
पास रहने का भी सबब तो नहीं
कोइ नाराज़गी नहीं है मगर
फिर भी रूठी हुई सी लगती हो
तुम भी अब अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुड़के देखता हूँ मैं

रात उदास नज़्म लगती है
ज़िंदगी से रस्म लगती है
एक बीते हुए से रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते हो
जब कभी मुड़के देखता हूँ मैं



Poetry of Ram Prasad Bismil | रामप्रसाद बिस्मिल की चार रचनाएँ | Patriotic Poems 1

रामप्रसाद बिस्मिल
अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की चार रचनाएँ पढ़िए आज !

ये रामप्रसाद बिस्मिल की अंतिम रचना थी - 

मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या !
दिल की बर्वादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या !

मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़याल ,
उस घड़ी गर नामावर लेकर पयाम आया तो क्या !

ऐ दिले-नादान मिट जा तू भी कू-ए-यार में ,
फिर मेरी नाकामियों के बाद काम आया तो क्या !

काश! अपनी जिंदगी में हम वो मंजर देखते ,
यूँ सरे-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या !

आख़िरी शब दीद के काबिल थी 'बिस्मिल' की तड़प ,
सुब्ह-दम कोई अगर बाला-ए-बाम आया तो क्या !

मुखम्मस

हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रह कर,
हमको भी पाला था माँ-बाप ने दुःख सह-सह कर ,
वक्ते-रुख्सत उन्हें इतना भी न आये कह कर,
गोद में अश्क जो टपकें कभी रुख से बह कर ,
तिफ्ल उनको ही समझ लेना जी बहलाने को !


अपनी किस्मत में अजल ही से सितम रक्खा था,
रंज रक्खा था मेहन रक्खी थी गम रक्खा था ,
किसको परवाह थी और किसमें ये दम रक्खा था,
हमने जब वादी-ए-ग़ुरबत में क़दम रक्खा था ,
दूर तक याद-ए-वतन आई थी समझाने को !


अपना कुछ गम नहीं लेकिन ए ख़याल आता है,
मादरे-हिन्द पे कब तक ये जवाल आता है ,
कौमी-आज़ादी का कब हिन्द पे साल आता है,
कौम अपनी पे तो रह-रह के मलाल आता है ,
मुन्तजिर रहते हैं हम खाक में मिल जाने को !


नौजवानों! जो तबीयत में तुम्हारी खटके,
याद कर लेना कभी हमको भी भूले भटके ,
आपके अज्वे-वदन होवें जुदा कट-कट के,
और सद-चाक हो माता का कलेजा फटके ,
पर न माथे पे शिकन आये कसम खाने को !


एक परवाने का बहता है लहू नस-नस में,
अब तो खा बैठे हैं चित्तौड़ के गढ़ की कसमें ,
सरफ़रोशी की अदा होती हैं यूँ ही रस्में,
भाई खंजर से गले मिलते हैं सब आपस में ,
बहने तैयार चिताओं से लिपट जाने को !


सर फ़िदा करते हैं कुरबान जिगर करते हैं,
पास जो कुछ है वो माता की नजर करते हैं ,
खाना वीरान कहाँ देखिये घर करते हैं!
खुश रहो अहले-वतन! हम तो सफ़र करते हैं ,
जा के आबाद करेंगे किसी वीराने को !


नौजवानो ! यही मौका है उठो खुल खेलो,
खिदमते-कौम में जो आये वला सब झेलो ,
देश के वास्ते सब अपनी जबानी दे दो ,
फिर मिलेंगी न ये माता की दुआएँ ले लो ,
देखें कौन आता है ये फ़र्ज़ बजा लाने को ?

यही बाकी निशां होगा


अरूजे कामयाबी पर कभी तो हिन्दुस्तां होगा
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियां हेागा 

चखायेगे मजा बरबादिये गुलशन का गुलची को
बहार आयेगी उस दिन जब कि अपना बागवां होगा 

वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है
सुना है आज मकतल में हमारा इम्तहां होगा 

जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दें वतन हरगिज
न जाने बाद मुर्दन मैं कहां.. और तू कहां होगा 

यह आये दिन को छेड़ अच्छी नहीं ऐ खंजरे कातिल
बता कब फैसला उनके हमारे दरमियां होगा 

शहीदों की चिताओं पर जुड़ेगें हर बरस मेले 
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा 

इलाही वह भी दिन होगा जब अपना राज्य देखेंगे
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा 

देश पर मर जायेंगे

देश हित पैदा हुये है दे्श पर मर जायेंगे
मरते मरते दे्श को जिन्दा मगर कर जायेंगे

हमको पीसेगा फलक चक्की में अपनी कब तलक
खाक बनकर आंख में उसकी बसर हो जायेंगे

कर वही बर्गें खिगा को बादे सर सर दूर क्यों
पेशबाए फस्ले गुल है खुद समर कर जायेंगे

खाक में हम को मिलाने का तमाशा देखना
तुख्मरेजी से नये पैदा शजर कर जायेंगे

नौ नौ आंसू जो रूलाते है हमें उनके लिये
अश्क के सैलाब से बरपा हश्र कर जायेंगे

गर्दि्शे गरदाब में डूबे तो परवा नहीं
बहरे हस्ती में नई पैदा लहर कर जायेंगे

क्या कुचलते है समझ कर वह हमें बर्गें हिना
अपने खूं से हाथ उनके तर बतर कर जायें

नकशे पर है क्या मिटाता तू हमें पीरे फलक
रहबरी का काम देंगे जो गुजर कर जायेंगे

Songs of Freedom | Indian Independence Day Song 3 | Purab Aur Paschim | आज़ादी के नगमें - 3 पूरब और पश्चिम

Hai preet jahan ki reet sada,dulhan chali song purab aur paschim songs manoj kumar patriotic song

देशभक्ति फिल्मों और गानों में शायद पूरब और पश्चिम फिल्म का एक अलग ही स्थान है. जब से ये फिल्म रिलीज हुई है तब से ये सबसे मशहूर देशभक्ति फिल्मों के श्रेणी में शायद सबसे आगे है. इसके गाने चाहे वो "है प्रीत जहाँ की रीत सदा" हो, या "दुल्हन चली..." हो, ये गाने आज भी लोगों के जबान पर चढ़े हुए हैं. इन दोनों देशभक्ति गानों के अलावा भी इस फिल्म का एक गाना, मुकेश की आवाज़ में "कोइ जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे", काफी मशहूर हुआ था..आज भी वो गाना बेहद लोकप्रिय है. तो आज की महफिल में सुनिए पूरब और पश्चिम फिल्म के गाने...

Song: Hai Preet Jahan Ki Reet |  है प्रीत जहाँ की रीत सदा    

Film: Purab Aur Paschim | पूरब और पश्चिम
Music : Kalyanji-Anandji | कल्याण जी-आनंद जी 
Lyrics: Indiveer | इन्दीवर 
Singer: Mahendra Kapoor | महेंद्र कपूर 

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने, भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आयी, तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलायी..
देता ना दशमलव भारत तो, यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का, अंदाज़ लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले आयी, पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत जो भारत है, जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा, ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले

है प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
काले-गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको , हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वोही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

जीते हो किसीने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ

इतनी ममता नदियों को भी, जहाँ माता कहके बुलाते है
इतना आदर इन्सान तो क्या, पत्थर भी पूजे जातें है
इस धरती पे मैंने जनम लिया, ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
X-----X
Jab ziro diya mere bhaarat ne, duniya ko tab ginati ai 
Taaron ki bhaasha bhaarat ne duniya ko pahale sikhalaai 
Deta na dashamalaw bhaarat to yun chaand pe jaana mushkil tha
Dharati aur chaand ki duri ka andaaja lagaana mushkil tha
Sabhyata jahaan pahale ai, pahale janmi hai jahaan pe kala
Apana bhaarat wo bhaarat hai jis ke pichhe snsaar chala
Snsaar chala aur age badha, yun age badha, badhta hi gaya
Bhagawaan kare ye aur badhe, badhta hi rahe aur fule fale

Hai prit jahaan ki rit sada, main git wahaan ke gaata hun
Bhaarat ka rahanewaala hun, bhaarat ki baat sunaata hun 

Kaale gore ka bhed nahin, har dil se hamaara naata hai
Kuchh aur n ata ho hamako, hamen pyaar nibhaana ata hai
Jise maan chuki saari duniya, main baat wahi doharaata hun 
Bhaarat ka rahane waala hun, bhaarat ki baat sunaata hun 

Jite ho kisi ne desh to kya, hamane to dilon ko jita hai
Jahaan raam abhi tak hai nar men, naari men abhi tak sita hai
Itane paawan hain log jahaan, main nit nit shish jhukaata hun 
Bhaarat ka rahane waala hun, bhaarat ki baat sunaata hun 

Itani mamata nadiyon ko bhi, jahaan maata kah ke bulaate hain 
Itana adar insaan to kya, patthar bhi puje jaate hain 
Us dharati pe maine janam liya, ye soch ke main itaraata hun 
Bhaarat ka rahane waala hun, bhaarat ki baat sunaata hun 




Song: Dulhan Chali |  दुल्हन चली 

Hai preet jahan ki reet sada,dulhan chali song purab aur paschim songs manoj kumar patriotic song


Film: Purab Aur Paschim | पूरब और पश्चिम
Music : Kalyanji-Anandji | कल्याण जी-आनंद जी 
Lyrics: Indiveer | इन्दीवर 
Singer: Mahendra Kapoor | महेंद्र कपूर 

दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली
बाहों में लहराये गंगा जमुना, देख के दुनिया डोली
दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली

ताजमहल जैसी ताजा है सूरत
चलती फिरती अजंता की मूरत
मेल मिलाप की मेहंदी रचाये
बलिदानों की रंगोली..
दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली

और चमकेगी अभी और निखरेगी
चढ़ती उमरिया है और निखरेगी
अपनी आज़ादी की दुल्हनिया बीस के ऊपर होली
दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली

मुख चमके ज्यों हिमालय की चोटी
हो ना पड़ोसी की नीयत खोटी
ओ घर वालों जरा इसको बचाना
ये तो है बड़ी भोली..
दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली

देश प्रेम ही आज़ादी की दुल्हनिया का वर है
इस अलबेली दुल्हन का सिन्दूर सुहाग अमर है
माता है कस्तूरबा जैसी बाबुल गांधी जैसे
चाचा जिसके नेहरु शास्त्री डरें ना दुश्मन कैसे
डरें ना दुश्मन कैसे
जिसके लिये जवान बहा सकते हैं ख़ून की गंगा
आगे पीछे तीनों सेना ले के चलें तिरंगा
सेना चलती है ले के तिरंगा
 
हों कोई हम प्रान्त के वासी हों कोई भी भाषा-भाषी
सबसे पहले हैं भारतवासी
सबसे पहले हैं भारतवासी

दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली
बाहों में लहराये गंगा जमुना, देख के दुनिया डोली
दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोली
X---------X
Purab men suraj ne chhedi jab kiranon ki shahanaai 
Chamak uthha sindur gagan pe pashchim tak laali chhaai 

Dulhan chali, o pahan chali, tin rng ki choli
Baahon me laharaaye gnga jamuna, dekh ke duniya doli
Dulhan chali, o pahan chali 

Taajamahal jaisi taaja hai surat
Chalati firati ajnta ki murat
Mel milaap ki mehndi rachaae, balidaanon ki rngoli 
Dulhan chali, o pahan chali

Mukh chamake jyun himaalay ki choti
Ho na padosi ki niyat khoti
O gharawaalo jra isako snbhaalo, ye to hai badi bholi
Dulhan chali, o pahan chali

Aur sajegi abhi aur snwaregi  
Chadhti umariya hai aur nikharegi
Apani ajaadi ki dulhaniya, bis ke upar ho li
Dulhan chali, o pahan chali

Desh prem hi ajaadi ki dulhaniya ka war hai
Is alabeli dulhan ka sindur suhaag amar hai
Maata hai kasturaba jaisi, baabul gaandhi jaise
Chaacha isake neharu shaastri, dare n dushman kaise
Wir shiwaaji jaise wiran, lakshmibaai bahana
Lakshman jis ke bos, bhagat sing, usaka fir kya kahana
Jisake lie jawaan baha sakate hai khun ki gnga 
Age pichhe tino sena le ke chale tirnga 
Sena chalati hai le ke tirnga 
Ho koi ham praant ke waasi, ho koi bhi bhaasha bhaashi 
Sabase pahale hain bhaaratawaasi 



प्यारे भारत देश - आज़ादी की कवितायें (३)


प्यारे भारत देश - माखनलाल चतुर्वेदी

प्यारे भारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा

ओ ऋषियों के त्वेष
प्यारे भारत देश

वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक

सुख कर जग के क्लेश
प्यारे भारत देश

तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश
प्यारे भारत देश

जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं

श्रम के भाग्य निवेश
प्यारे भारत देश

वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,

जय-जय अमित अशेष
प्यारे भारत देश

आज़ादी का गीत - हरिवंशराय बच्चन

हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल

चांदी, सोने, हीरे मोती से सजती गुड़िया
इनसे आतंकित करने की घडियां बीत गई
इनसे सज धज कर बैठा करते हैं जो कठपुतले
हमने तोड़ अभी फेंकी हैं हथकडियां

परम्परागत पुरखो की जागृति की फिर से
उठा शीश पर रक्खा हमने हिम-किरीट उजव्व्ल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल

चांदी, सोने, हीरे, मोती से सजवा छाते
जो अपने सिर धरवाते थे अब शरमाते
फूल कली बरसाने वाली टूट गई दुनिया
वज्रों के वाहन अम्बर में निर्भय गहराते

इन्द्रायुध भी एक बार जो हिम्मत से ओटे
छत्र हमारा निर्मित करते साठ-कोटी करतल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल


भारत महिमा - जयशंकर प्रसाद


हिमालय के आँगन में उसे, प्रथम किरणों का दे उपहार
उषा ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक-हार

जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक
व्योम-तम पुँज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक

विमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर में सप्रीत
सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम-संगीत

बचाकर बीज रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय का शीत
अरुण-केतन लेकर निज हाथ, वरुण-पथ पर हम बढ़े अभीत

सुना है वह दधीचि का त्याग, हमारी जातीयता विकास
पुरंदर ने पवि से है लिखा, अस्थि-युग का मेरा इतिहास

सिंधु-सा विस्तृत और अथाह, एक निर्वासित का उत्साह
दे रही अभी दिखाई भग्न, मग्न रत्नाकर में वह राह

धर्म का ले लेकर जो नाम, हुआ करती बलि कर दी बंद
हमीं ने दिया शांति-संदेश, सुखी होते देकर आनंद

विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम

यवन को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण-भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि

किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं

जातियों का उत्थान-पतन, आँधियाँ, झड़ी, प्रचंड समीर
खड़े देखा, झेला हँसते, प्रलय में पले हुए हम वीर

चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव
वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा मे रहती थी टेव

वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान
वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य-संतान

जियें तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष


भारत की आरती - शमशेर बहादुर सिंह

भारत की आरती
देश-देश की स्वतंत्रता देवी
आज अमित प्रेम से उतारती 

निकटपूर्व, पूर्व, पूर्व-दक्षिण में
जन-गण-मन इस अपूर्व शुभ क्षण में
गाते हों घर में हों या रण में
भारत की लोकतंत्र भारती

गर्व आज करता है एशिया
अरब, चीन, मिस्र, हिंद-एशिया
उत्तर की लोक संघ शक्तियां
युग-युग की आशाएं वारतीं

साम्राज्य पूंजी का क्षत होवे
ऊंच-नीच का विधान नत होवे
साधिकार जनता उन्नत होवे
जो समाजवाद जय पुकारती

जन का विश्वास ही हिमालय है
भारत का जन-मन ही गंगा है
हिन्द महासागर लोकाशय है
यही शक्ति सत्य को उभारती

यह किसान कमकर की भूमि है
पावन बलिदानों की भूमि है
भव के अरमानों की भूमि है
मानव इतिहास को संवारती

Songs of Freedom | Indian Independence Day Song 2 | आज़ादी के नगमें - 2



शहीदों की चिताओं पर जुड़ेगें हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा  - अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल 

उन अमर शहीदों के नाम जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी देश के नाम कर दी...भारत के उन सैनिकों को समर्पित ये चार गाने, जो लौट के घर नहीं आ पायें.

Song in this section: Ae Mere Watan Ke Logon, Kar Chale Hum Fida, Mere Dushman Mere Bhai, Ek Saathi Aur Bhi Tha.

Song : Ae Mere Watan Ke Logon | ऐ मेरे वतन के लोगों 
Ae mere watan ke logon lyrics,Patriotic songs of bollywood, independence day song
Music: C Ramchandra | सी. रामचंद्र
Lyrics: Pradeep | प्रदीप
Singer : Lata Mangeskar | लता मंगेशकर 

ऐ मेरे वतन के लोगों , तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का , लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आये...

ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो क़ुरबानी

जब घायल हुआ हिमालय , खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो ,फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो क़ुरबानी

जब देश में थी दीवाली ,  वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो आपने, थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो क़ुरबानी

कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पवर्अत पर, वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो क़ुरबानी

थी खून से लथ-पथ काया, फिर भी बन्दूक उठाके
दस\-दस को एक ने मारा, फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त\-समय आया तो, कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो क़ुरबानी

तुम भूल न जाओ उनको , इस लिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी , ज़रा याद करो क़ुरबानी

जय हिन्द... जय हिन्द की सेना
जय हिन्द... जय हिन्द की सेना
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द !!
X---------X
Ai mere watan ke logon, tum khub laga lo naara
Ye shubh din hai ham sabaka, lahara lo tirnga pyaara
Par mat bhulo sima par, wiron ne hai praan gawaaye
Kuchh yaad unhen bhi kar lo, kuchh yaad unhen bhi kar lo
Jo laut ke ghar n aye, jo laut ke ghar n aye

Ai mere watan ke logon, jra ankh men bhar lo paani
Jo shahid hue hain unaki, jra yaad karo kurbaani

Jab ghaayal hua himaalay, khtare men padi ajaadi
Jab tak thi saans lade wo, fir apani laash bichha di 
Sngin pe dhar kar maatha, so gaye amar balidaani
Jo shahid hue hain unaki, jra yaad karo kurbaani

Jab desh men thi diwaali, wo khel rahe the holi
Jab ham baithhe the gharon men, wo jhel rahe the goli
The dhany jawaan wo apane, thi dhany wo unaki jawaani
Jo shahid hue hain unaki, jra yaad karo kurbaani

Koi sikh koi jaat maraathha, koi gurakha koi madraasi 
Sarahad par maranewaala, har wir tha bhaaratawaasi
Jo khun gira parwatapar, wo khun tha hindustaani
Jo shahid hue hain unaki, jra yaad karo kurbaani

Thi khun se lathapath kaaya, fir bhi bnduk uthhaake
Das das ko ek ne maara, fir gir gaye hosh gnwa ke
Jab ant samay aya to, kah gaye ke ab marate hain
Khush rahana desh ke pyaaron, ab ham to safr karate hain
Kya log the wo diwaane, kya log the wo abhimaani
Jo shahid hue hain unaki, jra yaad karo kurbaani

Tum bhul na jaao unako isalie kahi ye kahaani
Jo shahid hue hain unaki, jra yaad karo kurbaani

Jay hind, jay hind ki sena
Jay hind, jay hind ki sena



Song: Kar Chale Hum Fidaa | कर चले हम फ़िदा  
kar chale hum fida lyrics,Patriotic songs of bollywood, independence day song
Film: Haqeeqat | हकीकत
Music : Madan Mohan | मदन मोहन 
Lyrics : Kaifi Aazmi | कैफ़ी आज़मी 
Singer : Mohd Rafi | मोहम्मद रफ़ी 

कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

साँस थमती गई नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकापन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों..

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों..

राह क़ुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये क़ाफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ...

खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाये न रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये न सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों...
X-------X
Kar chale hum fida jaan-o-tan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Kar chale hum fida jaan-o-tan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Kar chale hum fida jaan-o-tan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon

Saans thamti gayi, nabz jamti gayi
Phir bhi badhte kadam ko na rukne diya
Kat gaye sar hamare to kuchh gham nahin
Sar himalay ka humne na jhukne diya
Marte marte raha baankpan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Kar chale hum fida jaan-o-tan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon

Zinda rehne ke mausam bahut hain magar
Jaan dene ki rut roz aati nahin
Husn aur ishq dono ko ruswa kare
Woh jawani jo khoon mein nahaati nahin
Aaj dharti bani hai dulhan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Kar chale hum fida jaan-o-tan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon

Raah kurbaniyon ki na veeran ho
Tum sajaate hi rehna naye kaafile
Fateh ka jashn is jashn ke baad hai
Zindagi maut se mil rahi hai gale
Baandh lo apne sar se kafan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Kar chale hum fida jaan-o-tan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon

Khench do apne khoon se zameen par lakeer
Is taraf aane paaye na Ravan koyi
Tod do hath agar hath uthne lage
Chhoone paaye na Sita ka daaman koi
Raam bhi tum tumhi Lakshman saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Kar chale hum fida jaan-o-tan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon
Ab tumhare hawaale watan saathiyon


Song: Mere Dushman Mere Bhai | मेरे दुश्मन मेरे भाई   

Mere dushman mere bhai, Patriotic songs of bollywood, independence day song
Film: Border | बॉर्डर 
Music : Anu Malik | अनु मालिक  
Lyrics : Javed Akhtar | जावेद अख्तर  
Singer: Hariharan हरिहरन 

जंग जो चंद रोज़ होती है ज़िंदगी बरसों तलक रोती है
सन्नाटे की गहरी छांव खामोशी से जलते पांव
ये नदियों पर टूटे हुए पुल धरती घायल है व्याकुल
ये खेत बमों से झूलते हुए ये खाली रस्ते सहमें हुए
ये मातम करता सारा समां ये जलते घर ये काला धुआं

मेरे दुश्मन मेरे भाई मेरे हमसाए
मुझसे तुझसे हम दोनों से ये जलते घर कुछ कहते हैं
बरबादी के सारे मंज़र कुछ कहते हैं हाय
मेरे दुश्मन मेरे भाई ...

बारूद से बोझल सारी फ़िज़ां...है मौत की बू फैलती हवा
ज़ख्मों पे है छाई लाचारी...गलियों में है फिरती बीमारी
ये मरते बच्चे हाथों में...ये माँओं का रोना रातों में
मुरदा बस्ती मुरदा है नगर..चेहरे पत्थर हैं दिल पत्थर
मेरे दुश्मन मेरे भाई मेरे हमसाए
मुझसे तुझसे हम दोनों से ये जलते घर कुछ कहते हैं

जलते घर बरबादी के सारे मंज़र सब मेरे नगर सब तेरे नगर
ये कहते हैं
इस सरहद पर फुंफकारेगा कब तक नफ़रत का ये अजगर
हम अपने अपने खेतों में
गेहूं की जगह चावल की जगह ये बंदूकें क्यों बोते हैं
जब दोनों ही की गलियों में कुछ भूखे बच्चे रोते हैं
आ खाए कसम अब जंग नहीं होने पाए 
और उस दिन का रास्ता देखे 
जब खिल उठे तेरा भी चमन, जब खिल उठे मेरा भी चमन
तेरा भी वतन मेरा भी वतन, मेरा भी वतन तेरा भी वतन
मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरे हमसाये
X-----------X
Sannate kee gehri chhanv, khamoshi se jalte ganv
 Yeh nadiyo par tute huye pul, dharti ghayal aur vyakul
 Yeh khet gamo se jhulse huye, yeh khali raste sehme huye
 Yeh matam karta sara sama, (yeh jalte ghar yeh kala dhuwa -2)
 Ho ho ho ho ho.........
 Hmm hmm hmm hmm..........
 Mere dushman mere bhai mere humsaye - (2)
 Mujhse tujhse ham dono se yeh jalte ghar kuchh kehte hain
 Barbadee ke saree manjar kuchh kehte hain hay
 Mere dushman mere bhai mere humsaye ho ho ho.....

 Hmm hmm hmm hmm..........
 Barud se bojhal saree fija, hai maut kee dhup hai lati hawa
 Jakhmon pe hai chhayi lachari, dariyo me hai khilti bimari
 Yeh marte bachche hatho me, yeh maon kaa rone rato me
 Murda basti murda hai nagar, (chehre patthar hain dil patthar -2)
 Ho ho ho.....
 Hmm hmm hmm hmm..........
 Mere dushman mere bhai mere humsaye - (2)
 Mujhse tujhse ham dono se yeh jalte ghar kuchh kehte hain
 Barbadee ke saree manjar kuchh kehte hain hay
 Mere dushman mere bhai mere humsaye ho ho ho.....

 Hmm hmm hmm hmm..........
 Mere dushman mere bhai mere humsaye
 Chehro ke dilo ke yeh patthar yeh jalte ghar
 Barbadee ke sare manjar sab mere nagar sab tere nagar yeh kehte hain
 Iss sarhad par pulkarega kab tak nafrat kaa yeh ajgar
 Kab tak nafrat kaa yeh agrak
 Iss sarhad par pulkarega kab tak nafrat kaa yeh ajgar
 Ham apne apne kheto me gehu kee jagah chawal kee jagah
 Yeh banduke kyon bote hain
 Jab dono hee kee galiyo me kuchh bhukke bachche rote hain
 Kuchhbhukhe bachche rote hain
 Aa khaye kasam, abb jung nahee hone paye - (2)
 Aur uss din kaa rasta dekhe, (jab khil uththe tera bhee chaman -2)
 Tera bhee watan mera bhee watan, mera bhee watan tera bhee watan
 Tera bhee watan mere bhee watan

 Ho ho ho.....
 Mere dost mere bhai mere humsaye - (2)
 Ho ho ho..... hmm... aa...



Song: Ek Saathi Aur Bhi Tha | एक साथी और भी था    
ek saathi aur bhi tha lyrics,Patriotic songs of bollywood, independence day song
Film: L.O.C | एल.ओ.सी 
Music: Anu Malik | अनु मालिक  
Lyrics: Javed Akhtar | जावेद अख्तर  
Singer: Sonu Nigam | सोनू निगम  


खामोश है जो यह वो सदा है, वो जो नहीं है वो कह रहा है ,
साथी यूं तुम को मिले जीत ही जीत सदा
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था !!

जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा,
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था !!

कल पर्वतो पे कही बरसी थी जब गोलियां
हम लोग थे साथ में और हौसले थे जवां
अब तक चट्टानों पे है अपने लहू के निशां,
साथी मुबारक तुम्हे यह जश्न हो जीत का,
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था !!

कल तुम से बिछडी हुयी ममता जो फ़िर से मिले,
कल फूल चहेरा कोई जब मिल के तुम से खिले,
पाओ तुम इतनी खुशी , मिट जाए सारे गिले,
है प्यार जिन से तुम्हे , साथ रहे वो सदा ,
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था !!

जब अमन की बासुरी गूजे गगन के तले,
जब दोस्ती का दिया इन सरहद पे जले,
जब भूल के दुश्मनी लग जाए कोई गले,
जब सारे इंसानों का एक ही हो काफिला,
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था!!

बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था!!
X---------X
Khaamosh Hai Jo Ye Vo Sadaa Hai
Vo Jo Nahin Hai Vo Kah Rahaa Hai
Saathiyon Tumko Mile Jeet Hi Jeet Sadaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa
Jaao Jo Laut Ke Tum Ghar Ho Khushi Se Bharaa
Jaao Jo Laut Ke Tum Ghar Ho Khushi Se Bharaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa
Kal Parvaton Pe Kahin Barsi Thi Jab Goliyaan
Ham Log The Saath Mein Aur Hausle The Javaan
Ab Tak Chattaanon Pe Hain Apne Lahoo Ke Nishaan
Saathi Mubaarak Tumhein Ye Jashn Ho Jeet Kaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa
Kal Tumse Bichhadi Huee Mamtaa Jo Phir Se Mile
Kal Phool Chehraa Koi Jab Tumse Milke Khile
Kal Tumse Bichhadi Huee Mamtaa Jo Phir Se Mile
Kal Phool Chehraa Koi Jab Tumse Milke Khile
Paao Tum Itni Khushi Mit Jaayein Saare Gile
Hai Pyaar Jinse Tumhein Saath Rahe Vo Sadaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa
Jab Aman Ki Baansuri Goonje Gagan Ke Tale
Jab Dosti Kaa Diyaa In Sarhadon Pe Jale
Jab Bhool Ke Dushmani Lag Jaaye Koi Gale
Jab Saare Insaano Kaa Ho Ek Hi Kaafilaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa
Jaao Jo Laut Ke Tum Ghar Ho Khushi Se Bharaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa
Bas Itnaa Yaad Rahe Ek Saathi Aur Bhi Thaa

Subah-E-Aazadi | सुबहे आज़ादी | Patriotic Poems 2 | आज़ादी कि कविता - २ | Faiz Ahmed Faiz | Jayshankar Prasad

सुबहे आज़ादी - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़


ये दाग़-दाग़ उज़ाला, ये शब गज़ीदा सहर

वो इन्तज़ार था जिसका, ये वो सहर तो नहीं

ये वो सहर तो नहीं कि जिसकी आरज़ू लेकर
चले थे यार कि मिल जायेगी कहीं न कहीं
फ़लक के दश्त में तारों की आखिरी मंज़िल
कहीं तो होगा शब-ए-सुस्त मौज का साहिल
कहीं तो जाके रुकेगा सफ़ीना-ए-ग़म-ए-दिल
जवाँ लहू की पुर-असरार शाहराहों में
चले जो यार तो दामन पे कितने दाग़ पड़े
पुकारती रहीं बाहें, बदन बुलाते रहे
बहुत अज़ीज़ थी लेकिन रुखे-सहर की लगन

बहुत करीं था हसीना-ए-नूर का दामन
सुबुक सुबुक थी तमन्ना, दबी-दबी थी थकन
सुना है हो भी चुका है फ़िराके ज़ुल्मत-ओ-नूर
सुना है हो भी चुका है विसाले-मंज़िल-ओ-गाम

बदल चुका है बहुत अहले दर्द का दस्तूर
निशाते-वस्ल हलाल-ओ-अज़ाबे-हिज़्र हराम
जिगर की आग, नज़र की उमंग, दिल की जलन
किसी पे चारे हिज़्राँ का कुछ असर ही नहीं
कहाँ से आई निग़ारे-सबा किधर को गयी
अभी चिराग़े-सरे-रह को कुछ खबर ही नहीं
अभी गरानी-ए-शब में कमी नहीं आई
निज़ाते-दीदा-ओ-दिल की घड़ी नहीं आई
चले चलो कि वो मंज़िल अभी नहीं आई




अरुण यह मधुमय देश हमारा / जयशंकर प्रसाद


अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।
सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।
लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।
बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।
हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।

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Arun yah madhumay desh hamaaraa.
jahaan pahunch anajaan ksitij ko milataa ek sahaaraa..
saral taamaras garbh vibhaa par, naach rahii tarushikhaa manohar.
chhitakaa jiivan hariyaalii par, mangal kunkum saaraa..
laghu suradhanu se pankh pasaare, shiital malay samiir sahaare.
udte khag jis or munh kie, samajh niid nij pyaaraa..
barasaatii aankhon ke baadal, banate jahaan bhare karunaa jal.
laharen takaraatiin anant kii, paakar jahaan kinaaraa..
hem kumbh le usaa savere, bharatii dhulakaatii sukh mere.
mandir oonghate rahate jab, jagakar rajanii bhar taaraa..


Songs of Freedom | Indian Independence Day Song 1 | आज़ादी के नगमें - १


आज देश का सबसे पड़ा पर्व, सबसे बड़ा जश्न का दिन है...जश्न-ए-आज़ादी का दिन. तो इस अवसर पर आज पूरे दिन सुनिए कलाम-ए-मोहब्बत पर कुछ देशभक्ति गाने. नए, पुराने सभी गाने को यहाँ संजोने की कोशिश की जायेगी. फ़िलहाल तो पेश है आपके सामने उस फिल्म के तीन गीत जो शायद हम सब के बचपन से जुड़ा हुआ गीत है. जागृति फिल्म के गाने चाहे वो "साबरमती के संत" गाना हो, या फिर "हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के" या फिर कवि प्रदीप का लिखा और उन्ही के आवाज़ का गया ये खूबसूरत गीत "आओ बच्चों तुम्हें दिखाए झांकी हिंदुस्तान की". हम में से शायद हर किसी के बचपन से ये गाने जुड़े हुए हैं. आज भी इस गाने को सुन कर लगता है जैसे हम भी ट्रेन के उस सफ़र में मास्टर जी के साथ सफ़र कर रहे हैं और बच्चों के साथ बैठे हुए मास्टर जी को गाते हुए सुन रहे हैं. सच में हमारे हिंदुस्तान की झाँकी दिखाई देती है इस गाने में. आज की सुबह इसी गाने से शुरुआत करते हैं.

Song in this Section : Aao Bachchon Tumhen Dikhaaye Jhaanki Hindustan Ki, De Di Humen Aazadi, Hum Laaye Hain Toofan Se Kashti, Insaaf Ki Dagar Pe, 

Song: Aao Bachchon Tumhe Dikhaaye | आओ बच्चों तुम्हें दिखाये
Film: Jagriti | जागृति
Music: Hemant Kumar | हेमंत कुमार
Lyrics : Pradeep | प्रदीप
Singer : Pradeep|  प्रदीप 
Aao bachchon tumhen dikhaayen, jagriti, pradeep, hemant kumar, patriotic song of india
आओ बच्चों तुम्हें दिखाये झाँकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की
वंदे मातरम , वंदे मातरम …

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट हैं
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट हैं
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट हैं
बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ हैं
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की
वंदे मातरम , वंदे मातरम …

ये हैं अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे
ये प्रताप का वतन पला हैं आज़ादी के नारों पे
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्मिनियाँ अंगारों पे
बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की
वंदे मातरम , वंदे मातरम …

देखो मुल्क मराठों का यह यहाँ शिवाजी डोला था
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था
हर पर्वत पे आग जली थी हर पत्थर एक शोला था
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था
शेर शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की
वंदे मातरम , वंदे मातरम …

जलियाँवाला बाग ये देखो, यही चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ
मरनेवाले बोल रहे थे इन्कलाब की बोलियाँ
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती हैं बलिदान की
वंदे मातरम , वंदे मातरम …

ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला हैं
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला हैं
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला हैं
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा हैं और प्राण में ज्वाला हैं
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम , वंदे मातरम …
X--------X
Ao bachchon tumhen dikhaaye jhaanki hindustaan ki
Is mitti se tilak karo, ye dharati hai balidaan ki
Wnde maataram, wnde maataram …

Uttar men rakhawaali karata parwataraaj wiraat hai
Dakshin men charanon ko dhota saagar ka samraat hai
Jamuna ji ke tat ko dekho gnga ka ye ghaat hai
Baat-baat men haat-haat men yahaan niraala thhaathh hai
Dekho ye taswiren apane gauraw ki abhimaan ki
Is mitti se tilak karo ye dharati hai balidaan ki
Wnde maataram, wnde maataram …

Ye hai apana raajaputaana naaj ise talawaaron pe
Isane saara jiwan kaata barachhi tir kataaron pe
Ye prataap ka watan pala hai ajaadi ke naaron pe
Kud padi thi yahaan hajaaron padminiyaan angaaron pe
Bol rahi hai kan kan se kurabaani raajasthaan ki
Is mitti se tilak karo ye dharati hai balidaan ki
Wnde maataram , wnde maataram …

Dekho mulk maraathhon ka yah yahaan shiwaaji dola tha
Muglon ki taakat ko jisane talawaaron pe tola tha
Har parwat pe ag jali thi har patthar ek shola tha
Boli har-har mahaadew ki bachcha-bachcha bola tha
Sher shiwaaji ne rakhi thi laaj hamaari shaan ki
Is mitti se tilak karo ye dharati hai balidaan ki
Wnde maataram, wnde maataram …

Jaliyaanwaala baag ye dekho yahi chali thi goliyaan
Ye mat puchho kisane kheli yahaan khun ki holiyaan
Ek taraf bnduken dan dan ek taraf thi toliyaan
Maranewaale bol rahe the inkalaab ki boliyaan
Yahaan laga di bahanon ne bhi baaji apani jaan ki
Is mitti se tilak karo ye dharati hai balidaan ki
Wnde maataram, wnde maataram …

Ye dekho bngaal yahaan ka har chappa hariyaala hai
Yahaan ka bachcha-bachcha apane desh pe maranewaala hai
Dhaala hai isako bijali ne bhuchaalon ne paala hai
Mutthhi men tufaan bndha hai aur praan men jwaala hai
Janmabhumi hai yahi hamaare wir subhaash mahaan ki
Is mitti se tilak karo ye dharati hai balidaan ki
Wnde maataram, wnde maataram …



Song : De Di Humen Aazadi | दे दी हमें आज़ादी  
Film : jagriti | जागृति
Music : Hemant Kumar | हेमंत कुमार
Lyrics: Pradeep | प्रदीप
Singer: Aasha Bhonsle | आशा भोंसले 


दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
आँधी में भी जलती रही गाँधी तेरी मशाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल..

धरती पे लड़ी तूने अजब ढंग की लड़ाई
दागी न कहीं तोप न बंदूक चलाई
दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे फ़कीर खूब करामात दिखाई
चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल..
रघुपति राघव राजा राम

शतरंज बिछा कर यहाँ बैठा था ज़माना
लगता था मुश्किल है फ़िरंगी को हराना
टक्कर थी बड़े ज़ोर की दुश्मन भी था ताना
पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना
मारा वो कस के दांव के उलटी सभी की चाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल..
रघुपति राघव राजा राम

जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े
मज़दूर चल पड़े थे और किसान चल पड़े
हिंदू और मुसलमान, सिख पठान चल पड़े
कदमों में तेरी कोटि कोटि प्राण चल पड़े
फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल..
रघुपति राघव राजा राम

मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी
लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी
वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी
लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी
दुनिया में भी बापू तू था इन्सान बेमिसाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल..
रघुपति राघव राजा राम

जग में जिया है कोई तो बापू तू ही जिया
तूने वतन की राह में सब कुछ लुटा दिया
माँगा न कोई तख्त न कोई ताज भी लिया
अमृत दिया तो ठीक मगर खुद ज़हर पिया
जिस दिन तेरी चिता जली, रोया था महाकाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल
रघुपति राघव राजा राम
X-----------X
De di hamen ajaadi bina khadg bina dhaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
Andhi men bhi jalati rahi gaandhi teri mashaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 

Dharati pe ladi tune ajab dhng ki ladaai 
Daagi na kahin top na bnduk chalaai 
Dushman ke kile par bhi n ki tune chadhaai 
Waah re fakir khub karaamaat dikhaai 
Chutaki men dushmanon ko diya deshase nikaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
De di hamen ajaadi bina khadg bina dhaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal  
Raghupati raaghaw raaja raam 

Shatarnj bichhaakar yahaan baithha tha jmaana 
Lagata tha ke mushkil hai firngi ko haraana 
Takkar thi bade jor ki dushman bhi tha taana 
Par tu bhi tha baapu bada ustaad puraana 
Maara wo kas ke daanw ke ulati sabhi ki chaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
De di hamen ajaadi bina khadg bina dhaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
Raghupati raaghaw raaja raam 

Jab jab tera bigul baja jawaan chal pade 
Majdur chal pade the aur kisaan chal pade 
Hindu aur musalamaan, sikh pathhaan chal pade 
Kadamon pe tere koti koti praan chal pade 
Fulon ki sej chhod ke, daude jawaahar laal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
De di hamen ajaadi bina khadg bina dhaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
Raghupati raaghaw raaja raam 

Man men thi ahinsa ki lagan tan pe lngoti 
Laakhon men ghumata tha lie saty ki sonti 
Waise to dekhane men thi hasti teri chhoti 
Lekin tujhe jhukati thi himaalay ki bhi chhoti 
Duniya men tu bejod tha insaan bemisaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
De di hamen ajaadi bina khadg bina dhaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal . 
Raghupati raaghaw raaja raam 

Jag men koi jiya hai to baapu tu hi jiya 
Tune watan ki raah pe sab kuchh luta diya 
Maanga na koi takht na koi taaj bhi liya 
Amrit diya sabhi ko, magar khud jhar piya 
Jis din teri chita jali, roya tha mahaakaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
De di hamen ajaadi bina khadg bina dhaal 
Saabaramati ke snt tune kar diya kamaal 
Raghupati raaghaw raaja raam



Song: Hum Laaye  hain Toofaan Se | हम लाये हैं तूफ़ान से   
Movie: Jagriti | जागृति
Music: Hemant Kumar | हेमंत कुमार
Lyrics : Pradeep | प्रदीप
Singer: Mohd Rafi | मोहम्मद रफ़ी 

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के

अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के 

हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के, 
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

दुनिया के दांव पेंच से रखना ना वास्ता
मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता
भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के, 
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के

आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन होके ना झूलो
अब वक़्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों
उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के, 
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
X-----------X
Paase sabhii ulaT gae dushman kii chaal ke 
Akshar sabhii palaT gae bhaarat ke bhaal ke 
Manzil pe aayaa mulk har balaa ko Taal ke 
sadiyion ke baad phir ude badal gulaal ke 

Hum laae hain toofaan se kashti nikaal ke 
Is desh ko rakhanaa mere bachcho.n sambhaal ke 
Tum hii bhavishhy ho mere bhaarat vishaal ke 
Is desh ko rakhanaa mere bachchon sambhaal ke 

Dekho kahii.n barabaad na hoe ye bagiichaa 
Isako hriday ke khuun se baapuu ne hai sinchaa 
Rakkhaa hai ye chirag shahiidon ne baal ke, is desh ko...

Duniyaa ke daanv pench se rakhanaa na vaastaa 
Manzil tumhaarii dur hai lambaa hai raastaa 
Bhatakaana de koii tumhen dhokhe men daal ke, is desh ko...

Atom bamon ke jor pe ainthii hai ye duniyaa 
Baaruud ke ik dher pe baithii hai ye duniyaa 
Tum har kadam uthaanaa zaraa dekha bhaal ke, is desh ko...

Aaraam kii tum bhuul bhulayyaa men na bhuulo 
Sapanon ke hindolon pe magan hoke na jhuulo 
Ab vaqt aa gayaa hai mere hansate hue phuulon 
Utho chhalaang maar ke aakaash ko chhuu lo 
Tum gaad do gagan pe tirangaa uchhaal ke, is desh ko... 




Song: Insaaf Ki Dagar Pe | इन्साफ की डगर पे  
फिल्म गंगा जमुना का एक बेहद खूबसूरत गीत है, "इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के". वो चाहे कोई सा भी वक़्त हो, जब ये गीत लिखा गया था वो वक्त, हमारा बचपन या आज का दौर, ये गीत हर दौर के बच्चों के लिए है. कितना सुन्दर सन्देश है इस गीत में बच्चों के लिए. आज इस स्वतंत्रता दिवस पर आईये अपने बच्चों को फिर से ये बात सिखाये....इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के / ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के.
Film : Ganga Jamuna | गंगा-जमुना 
Music : Naushad | नौशाद
Lyrics : Shakeel Badayuni | शकील बदायुनी
Singer: Hemant Kumar | हेमंत कुमार 


इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के

दुनिया के रंज सहना और, कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के

अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के

इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के...
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Insaaf ki dagar pe, bachchon dikhaao chal ke
Ye desh hai tumhaara, neta tum hi ho kal ke

Duniya ke rnj sahana aur kuchh na munh se kahana
Sachchaaiyon ke bal pe, age ko baढ़ate rahana
Rakh doge ek din tum snsaar ko badalake

Apane ho ya paraae, sab ke lie ho nyaay
Dekho kadam tumhaara haragij na dagamagaae
Raste bade kathhin hain, chalana snbhal snbhal ke

Insaaniyat ke sar pe ijjat ka taaj rakhana
Tan man ki bhet dekar bhaarat ki laaj rakhana
Jiwan naya mileg antim chita men jal ke