फिल्म - रॉय
गाना - तू है कि नहीं
संगीतकार - अंकित तिवारी
गीतकार - अंकित तिवारी
गायक - अंकित तिवारी
मुझसे ही आज मुझको मिला दे
देखूँ आदतों में तू है की नहीं
हर साँस से पूछ के बता दे
इनके फासलों में तू है की नहीं
मैं आस-पास तेरे और मेरे पास..
तू है की नहीं..तू है की नहीं..
दौड़ते है ख्वाब जिनपे रास्ता वो तू लगे
नींद से जो आँख का है वास्ता वो तू लगे
तू बदलता वक़्त कोई खुशनुमा सा पल मेरा
तू वो लम्हा जो ना ठहरे आने वाला कल मेरा
मैं आस-पास तेरे और मेरे पास..
तू है की नहीं, तू है की नहीं
इन लबों पे जो हंसी है इनकी तू ही है वजह
बिन तेरे मैं कुछ नहीं हूँ मेरा होना बेवजह
धुप तेरी ना पड़े तो धुंधला सा मैं लगूँ
आके साँसे दे मुझे तू ताकि ज़िंदा मैं रहूँ
मैं आस-पास तेरे और मेरे पास…
तू है की नहीं, तू है की नहीं
मुझसे ही आज मुझको मिला दे
देखूँ आदतों में तू है की नहीं
हर साँस से पूछ के बता दे
इनके फासलों में तू है की नहीं
मैं आस-पास तेरे और मेरे पास..
तू है की नहीं..तू है की नहीं..
दौड़ते है ख्वाब जिनपे रास्ता वो तू लगे
नींद से जो आँख का है वास्ता वो तू लगे
तू बदलता वक़्त कोई खुशनुमा सा पल मेरा
तू वो लम्हा जो ना ठहरे आने वाला कल मेरा
मैं आस-पास तेरे और मेरे पास..
तू है की नहीं, तू है की नहीं
इन लबों पे जो हंसी है इनकी तू ही है वजह
बिन तेरे मैं कुछ नहीं हूँ मेरा होना बेवजह
धुप तेरी ना पड़े तो धुंधला सा मैं लगूँ
आके साँसे दे मुझे तू ताकि ज़िंदा मैं रहूँ
मैं आस-पास तेरे और मेरे पास…
तू है की नहीं, तू है की नहीं
गाना - सूरज डूबा है यारों
गायक - अदिति सिंह, अरिजीत सिंह
गीतकार - कुमार
संगीतकार - अमाल मालिक
मतलबी हो जा ज़रा मतलबी
दुनिया की सुनता है क्यों
खुद की भी सुन ले कभी
मतलबी, हो जा ज़रा मतलबी...
दुनिया की सुनता है क्यों
खुद की भी सुन ले कभी...
दुनिया की सुनता है क्यों
खुद की भी सुन ले कभी...
कुछ बात ग़लत भी हो जाए
कुछ देर ये दिल भी खो जाए
बेफिक्र धड़कने, इस तरह से चले
शोर गूंजे यहां से वहाँ
सूरज डूबा है यारों, दो घूँट नशे के मारो
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
सूरज डूबा है यारों, दो घूँट नशे के मारो
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के
आस्क मी फॉर एनीथिंग
आई कैन गिव यू एवरीथिंग
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
आस्क मी फॉर एनीथिंग
आई कैन गिव यू एवरीथिंग
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के
कुछ देर ये दिल भी खो जाए
बेफिक्र धड़कने, इस तरह से चले
शोर गूंजे यहां से वहाँ
सूरज डूबा है यारों, दो घूँट नशे के मारो
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
सूरज डूबा है यारों, दो घूँट नशे के मारो
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के
आस्क मी फॉर एनीथिंग
आई कैन गिव यू एवरीथिंग
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
आस्क मी फॉर एनीथिंग
आई कैन गिव यू एवरीथिंग
ग़म तुम भुला दो सारे संसार के
अता पता रहे ना किसी का हमें
यही कहे ये पल ज़िन्दगी का हमें
की खुदगर्ज़ सी ख्वाहिश लिए
बे-सांस भी हम-तुम जिए
है गुलाबी गुलाबी समा..
सूरज डूबा है यारों
दो घूँट नशे के मारो
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
यही कहे ये पल ज़िन्दगी का हमें
की खुदगर्ज़ सी ख्वाहिश लिए
बे-सांस भी हम-तुम जिए
है गुलाबी गुलाबी समा..
सूरज डूबा है यारों
दो घूँट नशे के मारो
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
मतलबी, हो जा ज़रा मतलबी
दुनिया की सुनता है क्यों..
खुद की भी सुन ले कभी...
चले नहीं उड़े आसमान पे अभी
पता ना हो है जाना कहाँ पे अभी
की बे-मंज़िलें हो सब रास्ते
दुनिया से हो ज़रा फासले
कुछ खुद से भी हो दूरिया
सूरज डूबा है यारों
दो घूँट नशे के मारो
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
सूरज डूबा है यारों
दो घूँट नशे के मारो
दुनिया की सुनता है क्यों..
खुद की भी सुन ले कभी...
चले नहीं उड़े आसमान पे अभी
पता ना हो है जाना कहाँ पे अभी
की बे-मंज़िलें हो सब रास्ते
दुनिया से हो ज़रा फासले
कुछ खुद से भी हो दूरिया
सूरज डूबा है यारों
दो घूँट नशे के मारो
रास्ते भुला दो सारे घरबार के
सूरज डूबा है यारों
दो घूँट नशे के मारो
मतलबी, हो जा ज़रा मतलबी
संगीतकार - अंकित तिवारी
गीतकार - संदीप नाथ
गायक - के.के
अजनबी कहे कि अपना कहे
गायक - के.के
अजनबी कहे कि अपना कहे
अब क्या कहें क्या ना कहें
इशारे भी चुप हैं
जुबां खामोश हैं
सदा गुमसुम सी है
तनहा आगोश है
यारा रे...यारा रे..
क्यों फासलों में भी तू यारा रे...
तू छूट कर क्यों छूटा नहीं
कुछ तो जुड़ा है अभी
कुछ तो जुड़ा है अभी
मैं टूट कर क्यों टूटा नहीं
जीने में है तू कहीं
इशारे भी चुप हैं
जुबां खामोश हैं
सदा गुमसुम सी है
तनहा आगोश है
यारा रे...यारा रे..
क्यों फासलों में भी तू यारा रे...
है हर घड़ी वो तिश्नगी
जो एक पल भी न बुझी
है ज़िन्दगी चलती हुई
पर ये ज़िन्दगी ही नहीं
इशारे भी चुप हैं
जुबां खामोश हैं
सदा गुमसुम सी है
तनहा आगोश है
यारा रे...यारा रे..
क्यों फासलों में भी तू यारा रे...
संगीतकार - अंकित तिवारी
गीतकार - अभेन्द्र कुमार उपाध्याय
गायक - अंकित तिवारी
बूँद बूँद कर के मुझ में गिरना तेरा
और मुझमें मुझसे ज्यादा होना तेरा
भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे
भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे
आजा तुझको पीलुं मन मेरा कहे
मैं न बचा मुझमें थोड़ा सा भी
देख तू न बचा तुझमें भी
जलने लगा गर्म साँसों में मैं
तू पिघलने लगा मुझमें ही
कतरा कतरा मैं जलूं
शर्म से तेरे मिलूँ
जिस्म तेरा मोम का पिघला दूँ
करवटें भी तंग हो
रात भर तू संग हो
तेरे हर एक अंग को सुलगा दूँ
भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे
आजा तुझको पीलुं मन मेरा कहे
मैं न बचा मुझमें थोड़ा सा भी
देख तू न बचा तुझमें भी
जलने लगा गर्म साँसों में मैं
तू पिघलने लगा मुझमें ही
होने डे कुछ गलतियां
रेंगती ये उंगलियाँ
जिस्म के तू दरमियान ठहरा दे
लम्हा कोई गर्म तू या उबलती बर्फ तू
मुझपे होजा खर्च तू यूँ आके भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे
आजा तुझको पीलुं मन मेरा कहे
मैं न बचा मुझमें थोड़ा सा भी
देख तू न बचा तुझमें भी
जलने लगा गर्म साँसों में मैं
तू पिघलने लगा मुझमें ही
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