और प्यार हो गया(1997)

फिल्म - और प्यार हो गया 
गाना - मेरी साँसों में बसा है...
संगीतकार - नुसरत फ़तेह अली खान 
गीतकार - जावेद अख्तर
गायक - उदित नारायण 

मेरी साँसों में बसा है तेरा ही इक नाम
तेरी याद हमसफ़र सुबह-ओ-शाम
तू मेरे दिन में रातों में ख़ामोशी में बातों में
बादल के हाथों में भेजूं तुझको ये पयाम
तेरी याद हमसफ़र सुबह-ओ-शाम

आँखों में तस्वीर है जैसे तू मेरी तक़दीर है जैसे
उस दिल से इस दिल तक आती धड़कन की ज़ंजीर है जैसे
ख्वाबों ख्वाबों तू मिले ना जाने क्या हैं सिलसिले
पलकों पर ये प्यार के ना जाने कितने गुल खिले
तेरे ख्वाब सजाते रहना अब है मेरा काम
तेरी याद हमसफ़र सुबह-ओ-शाम

फूलों पर शबनम की नमी है रंगों की महफ़िल सी जमी हैं
मैस्म भी मंज़र भी है कहते हैं बस तेरी कमी है
बागों में जो हम मिलें तो गायें सारी कोयलें
महके सारा ये समां हवाएं महकी सी चलें
तेरी खुश्बू से भर जाए कलियों के जाम
तेरी याद हमसफ़र सुबह-ओ-शाम


गाना - इक दिन कहीं हम दो मिलें
गायक - रूप कुमार राठोड

इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो
बैठे रहें खोए रहें कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो

कभी मैं कहूं ज़रा सुन तो लो
कभी तुम कहो अब कह भी दो
कभी मैं कहूं तुम्हें नाज़नीं
कभी तुम कहो मुझे हमनशीं
कभी मैं कहूं सुनो महज़बीं
नहीं तुम बिन मुझको चैन कहीं
फिर तुम कहो कि तुम्हें है यक़ीं
फिर मैं कहूं कि मुझे प्यार है तुमसे

इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो
बैठे रहें खोए रहें कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो
कभी मैं कहूं ... मुझे प्यार है तुमसे
इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो

मौसम की बात राहों की बात मंज़िल की बात हो
फूलों की बात ख़ाबों की बात फिर दिल की बात हो
महकी सी हों तन्हाइयाँ आने लगें अंगड़ाइयाँ
धड़के ये दिल कांपे नज़र तुमको कभी छू लूं अगर
मैं ये कहूं कहता रहूं मुझे तुम बिन अब जीना ही नहीं
फिर तुम कहो तुम्हें है यक़ीं
फिर मैं कहूं कि मुझे प्यार है तुमसे
इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो

चंचल हवाएं आंचल उड़ाएं लेकिन मैं थाम लूं
समझो इशारा जब मैं तुम्हारा कोई भी नाम लूं
तुम्हें प्यार में कहता रहूं कभी चाँदनी कभी रागनी
कभी तुमको मैं कहूं गीत हो जीवन का तुम संगीत हो
मेरी प्रीत हो मनमीत हो तुम कहो तो दे दूं जान अभी
फिर तुम कहो कि तुम्हें है यक़ीं
फिर मैं कहूं कि मुझे प्यार है तुमसे
इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो
बैठे रहें खोए रहें कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो
कभी मैं कहूं ... मुझे प्यार है तुमसे
इक दिन कहीं हम दो मिलें और तीसरा कोई न हो



 गाना - जागी हुई फ़िज़ाएं हैं तेरे लिए मेरे लिए
गायक - उदित नारायण

जागी हुई फ़िज़ाएं हैं तेरे लिए मेरे लिए
गाती हुई हवाएं हैं तेरे लिए मेरे लिए
फूलों में ताजगी सी है राहों में रोशनी सी है
दिन में भी चाँदनी सी है मेरे सनम तेरे लिए मेरे लिए
जागी हुई फ़िज़ाएं हैं ...

लाई है कैसी खुशी
तेरे मेरे पहले प्यार में खोई खोई ज़िंदगी
कब ऐसा था समां कब थी दिलकशी
कलियों की चुनरी ढलकी है लहरों से मस्ती छलकी है
सपनों की दुनिया झलकी है मेरे सनम तेरे लिए मेरे लिए
जागी हुई फ़िज़ाएं हैं ...

सुनती हैं यह वादियां धीरे धीरे
हौले हौले कहते हैं दो दिल
है जैसे थम गया मौसम का कारवां
भंवरे जो गुनगुनाते हैं दिल के तार सनसनाते हैं
मेरे सनम तेरे लिए मेरे लिए
जागी हुई फ़िज़ाएं हैं ...


गाना -  कैसा ये प्यार है अल्लाह अल्लाह
गायक -  नुसरत फ़तेह अली खान ,कविता कृष्णमुर्ती

कोई जाने कोई न जाने ये परवाने होते हैं दीवाने
देखो ये दो परवाने हैं दोनों ही दीवाने
जब से मिली हैं आँखें होश हैं दोनों ही के गुम
कैसा खुमार है अल्लाह अल्लाह
कैसा ये प्यार है अल्लाह अल्लाह

दुनिया को हमने भुलाया जो तुमको है पाया
प्यार का नाज़ुक धागा हमें कहां ले आया
लेकिन सुना तो दुनिया में ये क्या अफ़साने हैं
कहते हैं दुनिया वाले के हम दीवाने हैं
दिल की बातें ये दिल ही जाने कब समझी हैं वे बातें दुनिया ने
तो फिर मशहूर है जो हमको मंज़ूर है वो
जब से मिली हैं आँखें होश हैं दोनों ही के गुम
कैसा ये इकरार है अल्लाह अल्लाह

देखो तो ये लगता है के आसान है मंज़िल
सोचो तो दिल कहता है कि आयेगी मुश्किल
देखना सोचना कैसा जो दिल ही दे डाला
लोगों ने तो है पहन ली प्रेम की ये माला दिल की
सुन ले ज़मीं सुन ले आसमां दोनों के प्यार की ये दास्तां
दोनों में है कैसी दीवानगी दोनों दीवाने चले हैं कहां
मन में उमंग लेकर तन में तरंग लेकर
छोड़ चले दोनों दुनियां की गलियां

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