गाना : खामोशियाँ
संगीतकार : जीत गाँगुली
गीतकार : रश्मि सिंह
गायक : अर्जित सिंह
खामोशियाँ आवाज़ है
तुम सुन ने तो आओ कभी
छू कर तुम्हे खिल जाएंगी,
घर इनको बुलाओ कभी...
बेकरार है बात करने को
कहने दो इनको ज़रा...
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ...
खामोशियाँ, लिपटी हुई खामोशियाँ..
क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ
जहाँ से ज़माने को गुज़रे ज़माना हुआ
मेरा समय तो वहीँ पे है ठहरा हुआ
बताऊँ तुम्हें क्या मेरे साथ क्या क्या हुआ..
खामोशियाँ एक साज़ है, तुम धुन कोई लाओ ज़रा
खामोशियाँ अलफ़ाज़ हैं, कभी आ गुनगुना ले ज़रा
बेकरार है बात करने को, कहने दो इनको ज़रा..
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ
खामोशियाँ, लिपटी हुई खामोशियाँ..
नदिया का पानी भी खामोश बहता यहाँ..
खिली चांदनी में छिपी लाख खामोशियाँ
बारिश की बूंदों की होती कहाँ है जुबां
सुलगते दिलों में है खामोश उठता धुंआ
खामोशियाँ आकाश है, तुम उड़ने तो आओ ज़रा
खामोशियाँ एहसास है, तुम्हे महसूस होती है क्या
बेकरार है बात करने को, कहने दो इनको ज़रा..
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ..
खामोशियाँ, लिपटी हुई खामोशियाँ..
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ...
गाना ; तू हर लम्हा
वाक़िफ़ तो हुए तेरे दिल की बात से
छुपाया जिसे तूने क़ायनात से
वाक़िफ़ तो हुए तेरे उस ख़याल से
छुपाया जिसे तूने अपने आप से
कहीं ना कहीं तेरी आँखें, तेरी बातें पढ़ रहे है हम
कहीं ना कहीं तेरे दिल में, धड़कनो में ढल रहे हैं हम
तू हर लम्हा, था मुझसे जुड़ा...
चाहे दूर था मैं, या पास रहा...
उस दिन तू हाँ उदास रहे,
तुझे जिस दिन हम ना दिखे ना मिले
उस दिन तू चुप-चाप रहे....
तुझे जिस दिन कुछ ना कहे ना सुने
मैं हूँ बन चूका, जीने की इक वजह...
इस बात को खुद से तू ना छुपा
तू हर लम्हा, था मुझसे जुड़ा...
चाहे दूर था मैं, या पास रहा...
लैब से भले तू कुछ ना कहे
तेरे दिल में हम ही तो बेस या रहे
सांसें तेरी इक़रार करे
तेरा हाथ अगर छूलें, पकड़े
तेरी ख्वाहिशें कर भी दे तू बयान
एहि वक़्त है इनके इज़हार का...
तू हर लम्हा, था मुझसे जुड़ा...
चाहे दूर था मैं, या पास रहा...
तुम सुन ने तो आओ कभी
छू कर तुम्हे खिल जाएंगी,
घर इनको बुलाओ कभी...
बेकरार है बात करने को
कहने दो इनको ज़रा...
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ...
खामोशियाँ, लिपटी हुई खामोशियाँ..
क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ
जहाँ से ज़माने को गुज़रे ज़माना हुआ
मेरा समय तो वहीँ पे है ठहरा हुआ
बताऊँ तुम्हें क्या मेरे साथ क्या क्या हुआ..
खामोशियाँ एक साज़ है, तुम धुन कोई लाओ ज़रा
खामोशियाँ अलफ़ाज़ हैं, कभी आ गुनगुना ले ज़रा
बेकरार है बात करने को, कहने दो इनको ज़रा..
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ
खामोशियाँ, लिपटी हुई खामोशियाँ..
नदिया का पानी भी खामोश बहता यहाँ..
खिली चांदनी में छिपी लाख खामोशियाँ
बारिश की बूंदों की होती कहाँ है जुबां
सुलगते दिलों में है खामोश उठता धुंआ
खामोशियाँ आकाश है, तुम उड़ने तो आओ ज़रा
खामोशियाँ एहसास है, तुम्हे महसूस होती है क्या
बेकरार है बात करने को, कहने दो इनको ज़रा..
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ..
खामोशियाँ, लिपटी हुई खामोशियाँ..
खामोशियाँ, तेरी मेरी खामोशियाँ...
गाना ; तू हर लम्हा
गीतकार ; सईद कादरी
गायक : अर्जित सिंह
छुपाया जिसे तूने क़ायनात से
वाक़िफ़ तो हुए तेरे उस ख़याल से
छुपाया जिसे तूने अपने आप से
कहीं ना कहीं तेरी आँखें, तेरी बातें पढ़ रहे है हम
कहीं ना कहीं तेरे दिल में, धड़कनो में ढल रहे हैं हम
तू हर लम्हा, था मुझसे जुड़ा...
चाहे दूर था मैं, या पास रहा...
उस दिन तू हाँ उदास रहे,
तुझे जिस दिन हम ना दिखे ना मिले
उस दिन तू चुप-चाप रहे....
तुझे जिस दिन कुछ ना कहे ना सुने
मैं हूँ बन चूका, जीने की इक वजह...
इस बात को खुद से तू ना छुपा
तू हर लम्हा, था मुझसे जुड़ा...
चाहे दूर था मैं, या पास रहा...
लैब से भले तू कुछ ना कहे
तेरे दिल में हम ही तो बेस या रहे
सांसें तेरी इक़रार करे
तेरा हाथ अगर छूलें, पकड़े
तेरी ख्वाहिशें कर भी दे तू बयान
एहि वक़्त है इनके इज़हार का...
तू हर लम्हा, था मुझसे जुड़ा...
चाहे दूर था मैं, या पास रहा...
गाना : बातें ये कभी न तू भूलना
गायक : अर्जित सिंह
बातें ये कभी ना तू भूलना
कोई तेरे खातिर है जी रहा
जाए तू कही, भी ये सोचना
कोई तेरे खातिर है जी रहा
तू जहा जाए महफूज़ हो
तू जहा जाए महफूज़ हो
दिल मेरा माँगे बस ये दुआ...
बातें ये कभी ना तू भूलना
कोई तेरे खातिर है जी रहा
जाए तू कहीं, भी ये सोचना
कोई तेरे खातिर है जी रहा...
हमदर्द है, हमदम भी है
तू साथ है तो ज़िन्दगी
तू जो कभी दूर रहे...
ये हमसे हो जाए अजनबी
तुझसे मोहब्बत करते है जो
तुझसे मोहब्बत करते है जो
कैसे करे हम उसको बयाँ..
बातें ये कभी ना तू भूलना
कोई तेरे खातिर है जी रहा...
जाए तू कहीं, भी ये सोचना
कोई तेरे खातिर है जी रहा...
जाएगी भी है रोई भी है
आँखें ये रातों में मेरे
क्यों हर घड़ी मिलके तुझे
लगती रहे बस तेरी कमी
हम तो ना समझे तुम ही कहो
क्यों तुमको पाकर तुमसे जुड़ा
बातें ये कभी ना तू भूलना
कोई तेरे खातिर है जी रहा
जाए तू कहीं, भी ये सोचना
कोई तेरे खातिर है जी रहा..
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