नीलकमल (1968)

फिल्म - नीलकमल 
गाना - मेरे रोम रोम में बसने वाले राम 
गीतकार : साहिर लुधियानवी
गायक : आशा भोसले
संगीतकार : रवी 

हे रोम रोम में बसनेवाले राम
हे रोम रोम में बसनेवाले राम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

आस का बंधन तोड़ चुकी हूँ
तुझपर सबकुछ छोड़ चुकी हूँ
आस का बंधन तोड़ चुकी हूँ
तुझपर सबकुछ छोड़ चुकी हूँ
नाथ मेरे मैं क्यो कुछ सोचू
नाथ मेरे मैं क्यो कुछ सोचू
 तू जाने तेरा काम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

तेरे चरण की धूल जो पाये
वो कंकर हीरा हो जाये
तेरे चरण की धूल जो पाये
वो कंकर हीरा हो जाये
भाग मेरे जो मैने पाया, इन चरणों में धाम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

भेद तेरा कोई क्या पहचाने
जो तुझसा हो, वो तुझे जाने
भेद तेरा कोई क्या पहचाने
जो तुझसा हो, वो तुझे जाने
तेरे किये को हम क्या देवे
तेरे किये को हम क्या देवे
भले बुरे का नाम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम
जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू
मैं तुझसे क्या माँगू
हे रोम रोम में बसनेवाले राम

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फिल्म - नीलकमल 
गाना - तुझको पुकारे मेरा प्यार 
गीतकार : साहिर लुधियानवी
गायक : मोहम्मद राफी 
संगीतकार : रवी 

आजा तूझको पुकारे मेरा प्यार

आजा, मैं तो मिटा हूँ तेरी चाह में
तुझको पुकारे मेरा प्यार

दोनो जहाँ की भेंट चढ़ा दी मैने राह में तेरी
अपने बदन की खाक़ मिला दी मैने आह में तेरी
अब तो चली आ इस पार
आजा मैं तो मिटा हूँ ...

इतने युगों से इतने दुखों को कोई सह ना सकेगा
मेरी क़सम मुझे तू है किसीकी कोई कह ना सकेगा
मुझसे है तेरा इक़रार
आजा, मैं तो मिटा हूँ ...

आखिरी पल है आखिरी आहें तुझे ढूँढ रही हैं
डूबती साँसें बुझती निगाहें तुझे ढूँढ रही हैं
सामने आजा एक बार
आजा, मैं तो मिटा हूँ ...

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फिल्म - नीलकमल 
गाना - बाबुल की दुआयें लेती जा  
गीतकार : साहिर लुधियानवी
गायक : मोहम्मद राफी 
संगीतकार : रवी 

बाबुल की दुआयें लेती जा, जा तुझ को सुखी संसार मिले 
मयके की कभी ना याद आए, ससुराल में इतना प्यार मिले 

 नाज़ों से तुझे पाला मैंने, कलियों की तरह फूलों की तरह 
बचपन में झुलाया हैं तुझको, बाहों ने मेरी झुलों की तरह 
मेरे बाग की ऐ नाज़ूक डाली, तुझे हरपल नयी बहार मिले 

जिस घर से बँधे हैं भाग तेरे, उस घर में सदा तेरा राज रहे 
होठों पे हँसी की धूप खिले, माथे पे खुशी का ताज रहे 
कभी जिसकी ज्योत ना हो फ़िकी, तुझे ऐसा रूप सिंगार मिले 

बीते तेरे जीवन की घड़ीयां, आराम की ठंडी छाँव में 
कांट़ा भी ना चुभने पाये कभी, मेरी लाडली तेरे पाँव में 
उस द्वार से भी दुःख दूर रहे, जिस द्वार से तेरा द्वार मिले


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